RBI की मॉनेटरी पॉलिसी LIVE: रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में नहीं किया कोई बदलाव, रेपो रेट 4% पर और रिवर्स रेपो रेट 3.35% पर बरकरार
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नई दिल्ली20 मिनट पहले
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आज यानी 8 अक्टूबर को रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति कमिटी (MPC) की 3 दिवसीय बैठक खत्म हो गई है। RBI ने रेपो रेट 4% पर और रिवर्स रेपो रेट 3.35% पर बरकरार है। यह लगातार 9वीं बार है जब दरों को जस का तस रखा गया है। इससे पहले मई 2020 में रेपो रेट को घटाया गया था। रेपो रेट का यह लेवल 2001 अप्रैल के बाद सबसे निचला लेवल है।
RBI गर्वनर शक्तिकांता दास ने कहा कि सभी MPC सदस्य दरें बरकरार रखने के पक्ष में है। अकोडोमेटिव रुख बरकरार रखने में MPC 5-1 से सहमत है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि इकोनॉमी में रिकवरी के साफ संकेत दिख रहे हैं। अगस्त, सितंबर में मांग में रिकवरी दिखी और खाद्य महंगाई दर में कमी आई है। निवेश में सुधार शुरुआती दौर में देखने को मिल रहा है। जुलाई-अगस्त में महंगाई दर अनुमान से कम है। RBI महंगाई को नियंत्रण में करने की कोशिश कर रही है। कृषि उत्पादन से ग्रामीण मांग में तेजी आएगी साथ ही उन्होंने कहा कि त्योहारों में शहरी मांग बढ़ने की उम्मीद है।
MPC में 6 सदस्य होते हैं
MPC में 6 सदस्य होते हैं। 3 सरकार के प्रतिनिधि होते हैं। 3 सदस्य RBI का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिनमें गवर्नर शक्तिकांत दास भी शामिल हैं।
क्या होता है रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट?
रेपो रेट वह दर है, जिस पर RBI द्वारा बैंकों को कर्ज दिया जाता है। बैंक इसी कर्ज से ग्राहकों को लोन देते हैं। रेपो रेट कम होने का अर्थ होता है कि बैंक से मिलने वाले कई तरह के लोन सस्ते हो जाएंगे। जबकि रिवर्स रेपो रेट, रेपो रेट से ठीक विपरीत होता है। रिवर्स रेट वह दर है, जिस पर बैंकों की ओर से जमा राशि पर RBI से ब्याज मिलता है। रिवर्स रेपो रेट के जरिए बाजारों में लिक्विडिटी यानी नकदी को नियंत्रित किया जाता है। यानी रेपो रेट स्थिर होने का मतलब है कि बैंकों से मिलने वाले लोन की दरें भी स्थिर रहेंगी।
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