NSE को-लोकेशन केस: ED की छापेमारी, दिल्ली-गुरुग्राम में ब्रोकर्स के करीब एक दर्जन ठिकानों पर तलाशी
नई दिल्ली9 घंटे पहले
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NSE को-लोकेशन केस में प्रवर्तन निदेशालय ने शुक्रवार को दिल्ली और गुरुग्राम में ब्रोकर्स के करीब एक दर्जन ठिकानों पर छापेमारी की। प्रवर्तन निदेशालय ने 2019 में प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत मामला दर्ज किया था। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) इस मामले में पहले ही NSE की पूर्व CEO और MD चित्रा रामकृष्ण और पूर्व ग्रुप ऑपरेटिंग ऑफिसर (GOO) आनंद सुब्रमण्यम को गिरफ्तार चुकी है।
CBI के अनुसार, रामकृष्ण के कार्यकाल के दौरान एक्सचेंज के अंदर को-लोकेशन घोटाला हुआ था। को-लोकेशन में ब्रोकर्स को एक्सचेंज के सर्वर के करीब अपने सिस्टम ऑपरेट करने के लिए जगह दी जाती है। एक्सचेंज सर्वरों के पास होने की वजह से ऐसे ब्रोकरों को दूसरों की तुलना में फायदा मिल जाता है क्योंकि डाटा ट्रांसमिशन में कम वक्त लगता है।
को-लोकेशन की सुविधा वाले ब्रोकर्स के ऑर्डर एक्सचेंज तक उन ब्रोकर्स की तुलना में जल्दी पहुंच जाते हैं, जिनके पास यह सुविधा नहीं है। को लोकेशन का मुख्य रूप से इस्तेमाल केवल संस्थागत निवेशक और ब्रोकर करते हैं। यहां रिटेल निवेशकों की उपस्थिति न के बराबर होती है।
2015 में को-लोकेशन स्कैम की शिकायत
साल 2015 में एक व्हिसलब्लोअर ने मार्केट रेगुलेटर SEBI से को-लोकेशन स्कैम की शिकायत की थी। इसमें कहा गया था कि NSE में सीनियर मैनेजमेंट लेवल पर खूब धांधलेबाजी चल रही है। उसी समय चित्रा का भी नाम सामने आया था। सेबी ने चित्रा को उस वक्त शो कॉज नोटिस भेजा था। SEBI ने बीते दिनों अपनी जांच पूरी करने के बाद रिपोर्ट शेयर की है।
SEBI ने रिपोर्ट में क्या कहा था?
6 साल की जांच के बाद SEBI ने 190 पन्नों वाला ऑर्डर जारी किया था। सेबी की रिपोर्ट में बताया गया था कि MD और CEO रहने के दौरान चित्रा ने NSE की कई अहम जानकारियां शेयर कीं। कथित योगी की ईमेल आईडी [email protected] पर ये जानकारी शेयर की जाती थी। चित्रा ने ऑर्गनाइजेशन के स्ट्रक्चर से लेकर डिविडेंड, फाइनेंशियल रिजल्ट, एचआर पॉलिसी, बोर्ड मीटिंग का एजेंडा तक शेयर किया।
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