LIC का IPO: IPO आने से आप पर क्या असर पड़ने वाला है, कर्मचारी इसका विरोध क्यों कर रहे हैं?
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मुंबई16 घंटे पहले
LIC, यानी लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया का IPO आज खुल गया है। 9 मई तक निवेशक इसके लिए अप्लाय कर सकते हैं। सरकार इस IPO के जरिए 3.5% हिस्सेदारी बेचकर 21,000 करोड़ रुपए जुटाना चाहती है, लेकिन कर्मचारी इसका विरोध कर रहे हैं। एम्प्लॉई यूनियन इसे LIC के प्राइवेटाइजेशन की ओर सरकार का पहला कदम बता रहे हैं। यूनियनों का कहना है कि ये IPO देश के हित में नहीं है।
ऐसे में यहां सवाल उठता है कि सरकार विरोध के बावजूद LIC की हिस्सेदारी क्यों बेचना चाहती है? अगर आपके पास LIC की पॉलिसी है, तो IPO के बाद आप पर क्या असर पड़ेगा? कर्मचारियों और एजेंट्स पर क्या असर होगा? तो चलिए पूरी बात समझते हैं।
सबसे पहले जानिए LIC का इतिहास
‘जिंदगी के साथ भी, जिंदगी के बाद भी’ के टैगलाइन वाली LIC की शुरुआत 66 साल पहले हुई थी। कई लोग अभी भी इंश्योरेंस मतलब LIC ही समझते हैं। 19 जून 1956 को संसद ने लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन एक्ट पारित कर इसके तहत देश में कार्य कर रहीं 245 प्राइवेट कंपनियों का अधिग्रहण कर लिया था।
इस तरह 1 सितंबर 1956 को LIC अस्तित्व में आया था। देश में ऐसे काफी कम परिवार होंगे, जो डायरेक्ट या इनडायरेक्ट रूप से LIC से न जुड़े हो। फिर चाहे वह बीमा धारक हो या एजेंट या फिर इसमें कार्य करने वाला कर्मचारी। आज LIC में 1.2 लाख कर्मचारी काम करते हैं, जबकि करीब 30 करोड़ बीमा पॉलिसियां अस्तित्व में हैं। देशभर में इसके करीब 13 लाख एजेंट हैं। अहम बात यह भी है कि इन्हें मिलने वाले करीब 20 हजार करोड़ रुपए के कमीशन से भी न जाने कितने परिवारों के पेट पल रहे हैं।
कर्मचारी विरोध क्यों कर रहें, क्या असर होगा?
LIC के कर्मचारियों को सरकार के मंसूबों पर भरोसा नहीं है, इसलिए वो इस पर सवाल उठा रहे हैं और IPO निकालने का विरोध कर रहे हैं। कर्मचारियों का कहना है कि सरकार घर में रखा सोना सस्ते में बेच रही है। ये LIC के प्राइवेटाइजेशन की ओर सरकार का पहला कदम है। उनका ये भी कहना है कि LIC में सरकारी हिस्सेदारी में किसी भी तरह की छेड़छाड़ बीमाधारकों का इस संस्थान पर से भरोसा हिला देगा।
यूनियन ने कहा कि LIC का IPO लाखों पॉलिसीधारकों के हितों के विपरीत होगा जो LIC के असली मालिक हैं। ऑल इंडिया इंश्योरेंस एम्पलॉई एसोसिएशन (AIIEA) और ऑल इंडिया LIC एम्प्लॉइज फेडरेशन (AILICEF) ने आज इस IPO के विरोध में 2 घंटे की स्ट्राइक भी बुलाई थी।
बीते दिनों चेन्नई में LIC IPO के विरोध में कर्मचारियों ने जोरदार प्रदर्शन किया था
LIC पॉलिसी होल्डर पर IPO का क्या असर होगा?
तो LIC के कर्मचारी प्राइवेटाइजेशन के डर से IPO का विरोध कर रहे हैं ये तो आपने जान लिया। अब एक और पहलू कि पॉलिसी होल्डर्स पर इसका क्या असर होगा? क्या आने वाले दिनों में नई पॉलिसियों का प्रीमियम बढ़ सकता है। पॉलिसी पर मिलने वाला रिटर्न कम हो सकता है। इसमें दो तरह की राय सामने आती है।
इंश्योरेंस सेक्टर से जुड़े कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि इसका पॉलिसी होल्डर्स पर कोई असर नहीं पड़ेगा। शेयर बाजार में लिस्टेड होने से कंपनी के कामकाज में पारदर्शिता आएगी। बीते दिनों LIC के चेयरमैन एमआर कुमार ने भी कहा था कि यह किसी भी तरह से LIC के ग्राहकों और कर्मचारियों को प्रभावित नहीं करेगा। उनका कहना था कि कई सरकारी बैंक, जनरल इंश्योरेंस कंपनियां शेयर बाजार में लिस्टेड है। उसी तरह LIC भी बाजार में लिस्ट होगी। प्राइवेटाइजेशन का कोई सवाल ही नहीं है।
पॉलिसी होल्डर्स का रिटर्न कम हो सकता है
वहीं कुछ अन्य एक्सपर्ट्स की राय इसके उलट है। फिनोलॉजी के CEO प्रांजल कामरा का कहना है कि अब तक LIC पर पूरी तरह से सरकार का कंट्रोल होने की वजह से वह अपने हिसाब से फैसले लेती थीं। जैसे अगर कभी किसी दूसरी डूबती हुई सरकारी कंपनी को फंड की जरूरत होती थी तो सरकार LIC से वो फंड डूबती कंपनी को देती थी।
इसी तरह सरकार कंपनी के प्रॉफिट का ज्यादातर हिस्सा बोनस के रूप में पॉलिसी होल्डर्स को खुश रखने के लिए भी कई बार देती थी। IPO के आने के बाद अगर सरकार ऐसा करेगी तो इससे शेयर होल्डर नाराज हो जाएंगे, क्योंकि इससे उनको प्रॉफिट नहीं होगा और शेयर होल्डर इसका विरोध करेंगे। ऐसे में अब शेयर होल्डर्स के लिए भी LIC को प्रॉफिट का हिस्सा रखना होगा। इसका असर पॉलिसी होल्डर्स के रिटर्न पर होगा। पहले की तुलना में रिटर्न कम होगा तो एजेंट के लिए भी पॉलिसी बेचना मुश्किल होगा।
सरकार LIC में हिस्सेदारी क्यों बेच रही है?
एक्सपर्ट्स का इसे लेकर कहना है कि इंडियन इकोनॉमी कोरोना की वजह से मुश्किल दौर में है। सरकार की देनदारी काफी ज्यादा बढ़ गई है। सरकार को पैसे की सख्त जरूरत है और वह अपनी फंडिंग जरूरतों को पूरा करने के लिए बहुत ज्यादा उधार नहीं लेना चाहती। इस समय ऐसा करने का शायद यही सबसे बड़ा कारण है।
वहीं LIC की ग्रोथ की बात करें तो 1956 में LIC के देशभर में 5 जोनल ऑफिस, 33 डिवीजनल ऑफिस और 209 ब्रांच ऑफिस थे। आज 8 जोनल ऑफिस, 113 डिवीजनल ऑफिस और 2,048 फुली कंप्यूटराइज्ड ब्रांच ऑफिस हैं। इनके अलावा 1,381 सैटेलाइट ऑफिस भी हैं। 1957 तक LIC का कुल बिजनेस करीब 200 करोड़ था। आज यह 5.60 लाख करोड़ है।
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