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IPL 2022 में सनराइजर्स की खत्म कहानी: कप्तान विलियमसन की खराब फॉर्म पड़ी टीम पर भारी, 5 कारण जो रहे टीम की हार के जिम्मेदार

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मुंबई9 मिनट पहलेलेखक: कुमार ऋत्विज

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IPL 2022 में सनराइजर्स की खत्म कहानी: कप्तान विलियमसन की खराब फॉर्म पड़ी टीम पर भारी, 5 कारण जो रहे टीम की हार के जिम्मेदार

सनराइजर्स हैदराबाद का सूर्य IPL में फिर एकबार अस्त हो गया। शुरुआती दो मुकाबलों में बुरी तरह हारने के बाद लगातार पांच मैच जीतकर SRH ने सबको चौंका दिया था। ऐसा लग रहा था कि कोई और जाए ना जाए, सनराइजर्स हर हाल में प्लेऑफ खेलेगी।

इसके बाद अचानक टीम का प्रदर्शन खराब होता चला गया। वह अपने खेले अगले 6 मुकाबलों में केवल 1 जीत सकी। फिलहाल हालात ये हैं कि SRH 13 मुकाबलों में 7 गंवाकर अब ऑफिशियली टूर्नामेंट से बाहर हो गई है। आपको 5 वजह बताते हैं, जिनके कारण सनराइजर्स हैदराबाद प्लेऑफ में नहीं पहुंच सकी।

कप्तान केन विलियमसन की नाकामी भारी पड़ी

कप्तान केन विलियमसन पूरे IPL बुरी तरह फ्लॉप रहे। हकीकत यह है कि विलियमसन टी-20 फॉर्मेट के टॉप बल्लेबाज नहीं माने जाते हैं। वह थोड़ा समय लेकर रन बनाने में यकीन रखते हैं। ऐसे में SRH को उम्मीद रही होगी, यह खिलाड़ी इनिंग में एंकर की भूमिका निभा सकता है। टीम मैनेजमेंट को लगा कि विलियमसन के एक छोर पर रहने से दूसरे बल्लेबाज खुल कर रन बना सकेंगे। सारी उम्मीदें बुरी तरह चकनाचूर हो गई।

बल्लेबाजी के दौरान किसी भी समय विलियमसन खुलकर खेलते नजर नहीं आए। बैटिंग में परफॉर्म ना कर पाने का असर कप्तानी में भी नजर आया। आखिरकार, विलियमसन की खराब फॉर्म टीम को ले डूबी।

डेविड वॉर्नर की तरह ओपनंग स्लॉट में टीम को नहीं मिल सका दूसरा विदेशी बल्लेबाज

डेविड वॉर्नर के साथ सनराइजर्स ने जैसा व्यवहार किया था, उसका भी खामियाजा टीम को इस साल भुगतना पड़ा। टॉप ऑर्डर में अभिषेक शर्मा के प्रदर्शन में निरंतरता की कमी साफ देखी गई। अगर वॉर्नर होते तो आज भी उनकी टीम प्लेऑफ की दौड़ में बनी रहती।

लास्ट ईयर ऐसा दिखाई पड़ रहा था कि मैनेजमेंट और वॉर्नर के ईगो टकरा रहे हों। जिस खिलाड़ी ने SRH को अपनी कप्तानी में इकलौता IPL जिताया, उसे टीम से ड्रॉप करने के बाद दर्शकों के बीच बैठने पर मजबूर करना निहायत ही शर्मनाक था। इसी का नतीजा हुआ कि वॉर्नर इस सीजन सनराइजर्स के गेंदबाजों पर टूट कर पड़े और अपने दम पर दिल्ली को अपनी पुरानी टीम के खिलाफ मुकाबला जिता दिया।

निकोलस पूरन को हैदराबाद की टीम ने 10.75 करोड़ में खरीदा। उम्मीद थी कि वह वॉर्नर की कमी पूरी करेंगे। पूरन 13 मुकाबलों में सिर्फ 301 रन बना सके। बिग टिकट प्लेयर की विफलता टीम को भारी पड़ गई। पूरन को पिंच हिटर बनने की बजाय लंबी पारी खेलकर टीम की नैया पार लगानी चाहिए थी, वह ऐसा कर पाने में पूरी तरह नाकाम रहे।

फिटनेस की समस्या से परेशान रहा सनराइजर्स का खेमा
SRH खिलाडियों की खराब फिटनेस से लगातार जूझती रही। चेन्नई सुपर किंग्स के खिलाफ तेज गेंदबाज नटराजन निगल इंजरी से परेशान दिखे। पहला ओवर डालने के बाद वह मैदान से बाहर चले गए और डेथ ओवर्स में गेंदबाजी के लिए वापस लौटे। नटराजन का पूरी तरह फिट न होना और कुछ मुकाबलों के लिए टीम से बाहर होना टीम के खिलाफ गया।

11 अप्रैल को गुजरात टाइटंस के खिलाफ चोटिल होने के बाद वॉशिंगटन सुंदर को दो हफ्ते तक बाहर रहना पड़ा था। इसके बाद सुंदर ने मैदान पर वापसी की मगर CSK के खिलाफ हुए मुकाबले में इस खिलाड़ी को उसी जगह चोट लगी, जहां पहले लगी थी। सुंदर के लिए हालात खराब नजर आए।

आखिरकार वह कोलकाता के खिलाफ फिट होकर मैदान पर उतरे । विलियमसन ने उन्हें आखिरी ओवर में रसेल के सामने बॉलिंग करने भेज दिया, जहां सुंदर को 3 फुलटॉस पर 3 छक्के लगे। परिणाम यह हुआ कि 150 की रेंज में दिख रहा स्कोर 177 पहुंच गया। SRH मैच गंवा बैठी। सुंदर की गेंदबाजी में मैच प्रैक्टिस की कमी साफ नजर आई। अगर ये दोनों महत्वपूर्ण खिलाड़ी सीजन के बीच में चोटिल नहीं होते, तो सनराइजर्स के लिए परिस्थिति बेहतर हो सकती थी।

भुवनेश्वर कुमार की बॉलिंग में नहीं नजर आई पहले वाली बात

एक जमाने मे स्विंग के सुल्तान कहे जाने वाले भुवनेश्वर कुमार अब उतने प्रभावशाली गेंदबाज नजर नहीं आते। वह 13 मुकाबले खेलकर 12 विकेट ही चटका सके। पावर प्ले और डेथ ओवर्स में उनकी नाकामी टीम की प्लेऑफ में पहुंचने की उम्मीदों पर भारी पड़ी।

उमरान मलिक की गति की सराहना की जानी चाहिए, लेकिन उन्हें लाइन लेंथ के मामले में अभी और परिपक्व होने की आवश्यकता है। ऋतुराज गायकवाड़ ने जब से उनके खिलाफ सीधे बल्ले से आक्रमण शुरू किया, बाकी बल्लेबाजों ने भी वही रणनीति अपनाई। परिणाम यह हुआ कि उनकी इकोनॉमी काफी तेजी से बढ़ने लगी। जिस उमरान ने टीम को लगातार मुकाबले जिताए थे, वही हार के सबसे बड़े दोषी बन गए।

ऑक्शन के दौरान हैदराबाद ने टीम चयन में नहीं दिखाई गंभीरता

SRH की टीम में टी-20 स्पेशलिस्ट खिलाड़ियों की कमी साफ तौर पर नजर आई। हर बार यह इल्जाम राजस्थान पर लगता था कि वह कमजोर टीम के साथ मैदान पर उतरती है। इस बार RR ने बैलेंस के हिसाब से प्लेयर चुने और नतीजा यह हुआ, टीम सीजन 1 के बाद के बाद पहली बार लीग स्टेज के टॉप 2 में रहते हुए प्लेऑफ में पहुंच चुकी है।

ऑक्शन में खिलाड़ियों को चुनने में हुई भूल सनराइजर्स पर भारी पड़ी। एडेन मार्करम और राहुल त्रिपाठी के अलावा मिडिल ऑर्डर ताश के पत्तों की तरह बिखर गया। टीम का कॉम्बिनेशन सही नहीं बन सका और ऐसा न हो पाने की कीमत SRH को प्लेऑफ की होड़ से बाहर होकर चुकानी पड़ी।

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