70 हजार करोड़ का IPL…एक मैच से कमाई 130 करोड़: IPL दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी लीग…मगर प्लेयर्स पर खर्च में पीछे
28 मिनट पहलेलेखक: आदित्य मिश्र/आतिश कुमार
- कॉपी लिंक
हर साल IPL का बिगुल बजने का इंतजार भारत की लगभग आधी आबादी कर रही होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपकी इसी बेकरारी ने IPL की कमाई में 12 गुना इजाफा किया है।
कमाई किस तरह बढ़ी, इसे यूं समझिए। IPL के मैच टेलीकास्ट के राइट्स की डील 5 साल से 10 साल के लिए होती है। मगर इसे औसत सालाना कमाई में बांटें तो 2008 में IPL ने मीडिया राइट्स बेचकर 820 करोड़ रुपए कमाए थे। 2023 में ये कमाई बढ़कर 9978 करोड़ रुपए हो चुकी है।
IPL के पैदा होने से पहले ही बीसीसीआई दुनिया का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड का खिताब पा चुका था। मगर अब बीसीसीआई के लिए IPL सबसे कमाऊ पूत साबित हुआ है।
2006-07 में बीसीसीआई की कमाई 651.81 करोड़ रुपए थी…और 2021-22 में बोर्ड की कुल कमाई 4360 करोड़ हो गई। इसमें अकेले IPL का योगदान ही करीब 2200 करोड़ रुपए था।
2019 में IPL की ब्रांड वैल्यू 47500 करोड़ रुपए थी, मगर ब्रांड फाइनेंस की रिपोर्ट के मुताबिक 2022 में IPL की ब्रांड वैल्यू बढ़कर करीब 70 हजार करोड़ रुपए तक पहुंच चुकी है।
एक मैच से कमाई के मामले में IPL अब सिर्फ अमेरिका के NFL से ही पीछे है। एक मैच से व्यूअरशिप, स्पॉन्सरशिप, लाइसेसिंग और टिकट सेल को मिलाकर IPL करीब 130 करोड़ रुपए कमाता है। हालांकि प्लेयर्स पर खर्च के मामले में IPL बाकी स्पोर्टिंग लीग्स से अभी काफी पीछे है।
आज हम आपको बताएंगे कि दुनिया की सबसे बड़ी स्पोर्ट्स लीग में शुमार हो चुकी IPL का अर्थशास्त्र क्या है?
पहले समझिए IPL से बीसीसीआई की कमाई कैसे होती है
आज IPL किसी भी बड़े कॉरपोरेट घराने जैसी एक इकोनॉमिक मशीन है। इसके संचालन का पूरा अधिकार बीसीसीआई के पास है। IPL की कमाई को तीन हिस्सों में बांटा जा सकता है…
पहला हिस्सा सेंट्रल पूल : सेंट्रल पूल में तीन सोर्स से कमाई आती है। और बंटती भी तीन हिस्सों में है।
दूसरा हिस्सा फ्रेंचाइजी की कमाई: इसमें कमाई के तीन मुख्य जरिये होते हैं। जबकि ये दो हिस्सों में बंटती है। 80% हिस्सा फ्रेंचाइजी को मिलता है।
तीसरा हिस्सा फ्रेंचाइजी फीस : IPL में आने वाली हर टीम का ओनर ऑक्शन के जरिये तय होता है। सबसे ऊंची बोली लगाने वाले को टीम की फ्रेंचाइजी दी जाती है।
ये वन टाइम फ्रेंचाइजी फीस पूरी तरह बीसीसीआई के खाते में जाती है।
आइए, अब समझते हैं कि ये कमाई किस तरह बढ़ रही है
सबसे पहले सेंट्रल पूल की बात…
मीडिया राइट्स है IPL की कमाई का सबसे बड़ा जरिया
मीडिया और ब्रॉडकास्टिंग राइट्स यानी IPL के मैचों के टेलीकास्ट करने का अधिकार। मैच के लाइव टेलीकास्ट के अलावा हाइलाइट्स तक सिर्फ वही कंपनी दिखा सकती है जिसके पास मीडिया राइट्स हों।
IPL 2023 के लीग स्टेज में कुल 70 मुकाबले खेले गए। जिन्हें जियो सिनेमा और स्टार स्पोर्ट्स पर करोड़ों लोगों ने लाइव देखा।
ये मीडिया राइट्स IPL ऑक्शन के जरिये बेचता है। सबसे ऊंची बोली लगाने वाले को मैच दिखाने के राइट्स मिल जाते हैं।
2008 यानी IPL के पहले सीजन में सोनी इंटरटेनमेंट ने 10 सालों के लिए मीडिया राइट्स हासिल किए थे। इसके लिए सोनी ने कुल ₹8200 करोड़ BCCI को दिए।
मीडिया राइट्स की कीमत लगातार बढ़ती है, क्योंकि IPL की सबसे बड़ी ताकत उसकी व्यूअरशिप है
कोई भी प्रोडक्ट तब सक्सेसफुल माना जाता है, जब उसकी ऑडियंस बड़ी हो। वो लोगों का अटेंशन खींच रहा हो, फिर इसी अटेंशन के दम पर कंपनियां विज्ञापन देती हैं और कमाई का रास्ता खुल जाता है। क्रिकेट या किसी भी खेल में पैसे का सबसे बड़ा सोर्स अलग-अलग कंपनियों के विज्ञापन ही हैं। जिसकी कीमत मैच की व्यूअरशिप पर डिपेंड करती है। साल 2008 में IPL के 10.2 करोड़ व्यूअर थे। जो साल 2023 में 40 करोड़ से ऊपर हैं।
BCCI का IPL के ब्रॉडकास्टिंग राइट्स की कमाई में हिस्सा साल दर साल बढ़ता गया
सेंट्रल पूल की कमाई का दूसरा बड़ा हिस्सा है टाइटल स्पॉन्सरशिप…नाम जोड़ने में करोड़ों खर्च
IPL को सिर्फ IPL नहीं, टाटा IPL कहा जा रहा है। मतलब लीग से पहले किसी ब्रांड का नाम। जैसे 2008 में डीएलएफ IPL कहा जाता था। इसे ही टाइटल स्पॉन्सरशिप कहते हैं, जिसके लिए कंपनियां बोली लगाकर डील हासिल करती हैं।
साल 2008 में टाइटल स्पॉन्सरशिप के लिए सालाना ₹50 करोड़ दिए गए थे, वहीं 2023 में ये आंकड़ा सालाना ₹300 करोड़ से ज्यादा है। टाटा और बीसीसीआई के बीच दो साल की डील हुई है, जिसके लिए कुल ₹600 करोड़ दिए गए।
टाइटल स्पॉन्सरशिप के अलावा भी कमाई
टाइटल स्पॉन्सरशिप के अलावा ऑफिशियल स्पॉन्सर, अंपायर स्पॉन्सर और स्ट्रैटेजिक टाइम आउट स्पॉन्सर भी होते हैं। जिससे साल 2022 में करीब ₹270 करोड़ की कमाई हुई।
इसके अलावा मैच के दौरान ग्राउंड पर लगने वाले विज्ञापनों से भी बीसीसीआई की कमाई होती है।
फ्रेंचाइजी की कमाई है IPL के अर्थशास्त्र का दूसरा हिस्सा
अभी IPL में 10 टीमें हैं। हर टीम को सेंट्रल पूल से कुछ राशि मिलती है। इसके अलावा ये अपने स्तर पर भी खासी कमाई करते हैं।
मर्चेंडाइज सेल का कोई हिसाब नहीं देते टीम ओनर
हर फ्रेंचाइजी अपनी टीम के लोगो वाली जर्सी, कैप, बैग, चश्मे और जूते जैसे सामान बेचते हैं। ये बिक्री ऑनलाइन और कुछ रिटेल आउटलेट्स से पार्टनरशिप में होती है। मगर इससे होने वाली कमाई का खुलासा कोई भी टीम ओनर नहीं करता है।
IPL मैच के टिकट का गणित भी हर साल बदलता रहता है
फ्रेंचाइजी की कमाई का दूसरा हिस्सा टिकट सेल से आता है। मैच के दौरान टिकट की कीमत होमग्राउंड वाली टीम तय करती है। इसीलिए टिकट के प्राइस अलग-अलग स्टेडियम और मैच के दौरान बदल जाते हैं। जैसे लीग स्टेज के मुकाबलों की तुलना में फाइनल और क्वालीफाइंग मैच का टिकट ज्यादा महंगा होता है।
IPL में कमाई का तीसरा सोर्स है फ्रेंचाइजी फीस…फायदा सीधे बीसीसीआई को
कोई भी नई टीम जब IPL का हिस्सा बनती है, इसके लिए फ्रेंचाइजी फीस देनी होती है। ये पूरा प्रोसेस बोली लगाकर होता है, जिसमें अलग-अलग कंपनियां या ग्रुप टीम खरीदने के लिए बिडिंग प्रोसेस का हिस्सा बनते हैं।
लेकिन कोई भी इस बिडिंग प्रोसेस का हिस्सा नहीं बन सकता। इसके लिए वही लोग अप्लाई कर सकते हैं, जिनकी वैल्यूवेशन ₹3000 करोड़ से ज्यादा होती है।
फिर सबसे ज्यादा बोली लगाने वाले को फ्रेंचाइजी दे दी जाती है। जैसे साल 2022 में जब गुजरात टाइटंस और लखनऊ सुपरजायंट्स लीग का हिस्सा बनीं, तो BCCI के खाते में ₹12,500 करोड़ जुड़ गए।
साल 2008 में BCCI ने अलग-अलग शहरों की फ्रेंचाइजी लॉन्च की। जिसके लिए कंपनियों ने बोली लगाई, इसमें सबसे ज्यादा दिलचस्पी मुंबई और चेन्नई के लिए दिखी।
कमाई तो समझ ली, अब जानते हैं कि इतने पैसों का होता क्या है?
IPL से होने वाली कमाई का बड़ा हिस्सा सेंट्रल रेवेन्यू पूल नाम दिया गया है। जिसमें मीडिया राइट्स और टाइटल स्पॉन्सरशिप के अलावा दूसरे सोर्स शामिल होते हैं। सेंट्रल रेवेन्यू पूल में सबसे बड़ा हिस्सा यानी करीब 50% BCCI का होता है। वहीं 45% रकम को सभी फ्रेंचाइज में बांटा जाता है। इसके अलावा बचे हुए पैसे को प्राइज मनी और दूसरे खर्चों में इस्तेमाल करते हैं।
प्राइज मनी पर ₹46 करोड़ से ज्यादा का खर्च
प्राइज मनी के मामले में भी IPL दुनिया की दूसरी लीग से काफी आगे है। साल 2023 के लिए IPL का प्राइज पूल ₹46.5 करोड़ का है।
विनर को ₹20 करोड़ और रनर-अप को ₹13 करोड़ दिए जाएंगे। वहीं तीसरे और चौथे नंबर की टीम को 7-7 करोड़ रुपए मिलेंगे।
IPL की बढ़ती इकोनॉमी के साथ-साथ प्राइज मनी भी करीब-करीब हर साल बढ़ी। 2020 में कोविड के दौर में कॉस्ट कटिंग के नाम पर बीसीसीआई ने प्राइज मनी आधी कर दी थी।
विनर के लिए प्राइज मनी 2017 में भी 20 करोड़ से घटाकर 15 करोड़ की गई थी। मगर इसका कोई कारण बीसीसीआई ने नहीं बताया था।
खिलाड़ियों की शानदार परफार्मेंस पर लाखों के अवार्ड
परफॉर्म करने वाले खिलाड़ियों पर भी पैसों की बरसात
IPL का रोमांच खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर डिपेंड करता है।
शानदार प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों की कमाई भी जबरदस्त है। प्रदर्शन के आधार पर ही ऑक्शन में प्लेयर की कीमत करोड़ों में पहुंच जाती है। इसके अलावा मैच फीस, सैलरी और विज्ञापन से कमाई में भी कई खिलाड़ियों की हिस्सेदारी होती है।
विराट कोहली जब साल 2008 में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु से जुड़े थे, तो उनको हर साल ₹12 लाख मिलते थे। आज 2023 में विराट हर साल ₹15 करोड़ सैलरी लेते हैं।
विदेशी खिलाड़ियों की सैलरी का 20% उनके बोर्ड को मिलता है
IPL ने भारत ही नहीं, विदेशी खिलाड़ियों के लिए भी रास्ता खोला है। इसके लिए BCCI दूसरे देशों के क्रिकेट बोर्ड को खिलाड़ियों की सैलरी का कुछ हिस्सा देती है। IPL शुरू होने के दौरान सैलरी का 10% बोर्ड को मिलता था, जिसे 2017 के बढ़ाकर 20% कर दिया है।
अब देखिए, दुनिया की स्पोर्टिंग लीग्स में IPL कहां ठहरता है…
क्रिकेट की लीग्स में IPL ही नंबर-1
क्रिकेट और इंटरटेनमेंट का ऐसा तालमेल बना कि देश ही नहीं, IPL पूरी दुनिया में लोकप्रिय हो गया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दुनियाभर में IPL की व्यूअरशिप 46 करोड़ से ज्यादा है।
दुनिया की दूसरी बड़ी लीग और उनके एक मैच की कीमत Games moments
दुनिया में कई खेलों से जुड़ी लीग हैं। यहां रोचक बात ये है कि क्रिकेट वाला IPL फुटबॉल वाले NFL से एक पायदान नीचे है। हालांकि क्रिकेट से जुड़ी लीग्स में IPL ही किंग है। दुनियाभर की अलग-अलग स्पोर्टिंग लीग के एक मैच से होने वाली कमाई पर नजर डालें तो IPL दूसरे नंबर पर है।
कमाई में खिलाड़ियों की हिस्सेदारी के मामले में IPL पीछे
लीग की कमाई में खिलाड़ियों के हिस्से को देखें तो इसमें IPL सबसे पीछे नजर आता है।
IPL से चमकी BCCI की किस्मत
1983 वर्ल्ड कप जीतने के बाद भारत में क्रिकेट तेजी से पॉपुलर हुआ, लेकिन पैसे अभी भी नहीं थे। जब 1987 का वर्ल्ड कप भारत में कराए जाने की बात हुई तो BCCI को दूसरों से पैसे मांगने पड़े थे।
आज लाइव टेलीकास्ट से हजारों करोड़ की कमाई करने वाले BCCI को साल 1992 में एक मैच की ब्रॉडकास्टिंग के लिए ₹5 लाख देने पड़े थे।
लेकिन समय के साथ क्रिकेट और पॉपुलर हुआ। BCCI ने मीडिया राइट्स बेचने शुरू कर दिए, जिससे उनकी कमाई बढ़ने लगी। फिर 2008 में IPL ने सबकुछ बदल कर रख दिया।
IPL के पहले जहां बीसीसीआई की कमाई करीब 2006-2007 के ₹650 करोड़ हुआ करती थी, वही IPL के बाद साल 2021-22 करीब 7 गुना बढ़ गई।
कमाई का करीब 38% खर्च करती है BCCI
हालांकि इन सबके बावजूद BCCI अपनी कमाई का बहुत कम हिस्सा ही खर्च करती है।
जैसे साल 2021-22 में BCCI की कमाई करीब 4360 करोड़ रुपए रही। जो साल 2020-21 से 1700 करोड़ रुपए ज्यादा रही।
वहीं BCCI ने 2021-22 के दौरान 1669 करोड़ रुपए खर्च किए, जो 2020-21 के मुकाबले दो गुना (808 करोड़ रुपए) था।
आने वाले सालों में IPL के मैच बढ़ेंगे और कमाई भी…
IPL ने भारतीय युवा खिलाड़ियों को इंटरनेशनल क्रिकेट का एक्सपीरियंस दिया, इसके साथ ही उन्हें इकोनॉमिकली भी मजबूत बनाया।
आज देश ही नहीं, पूरी दुनिया के क्रिकेट प्रेमियों को IPL का इंतजार रहता है। यही वजह है कि आने वाले सालों में IPL मुकाबलों की संख्या भी बढ़ने वाली है।
BCCI के मुताबिक साल 2025-26 में 84 तो वहीं 2027 में 94 मुकाबले कराने की तैयारी है। कहने का मतलब IPL का रोमांच भी बढ़ेगा और पैसा भी।
For all the latest Sports News Click Here
For the latest news and updates, follow us on Google News.