Quick News Bit

242 खिलाड़ियों को सीजन में सिर्फ 910.5 करोड़ मिल रहे: अकेले मीडिया राइट्स से बीसीसीआई सालाना 9,678 करोड़ तक कमा रहा

0

मुंबई8 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक

फुटबॉल, बेसबॉल जैसे खेलों को पछाड़ते हुए आईपीएल अमेरिकी एनएफएल के बाद दुनिया की दूसरी सबसे अमीर स्पोर्ट्स लीग है। दो महीने के सीजन में जमकर पैसा बरसता है। बीसीसीआई, फ्रेंचाइजी और खिलाड़ियों की कमाई करोड़ों में होती है। हालांकि, चौंकाने वाली बात है कि करोड़ों रुपए की कमाई के बाद भी खिलाड़ियों को लीग की कमाई में उचित हिस्सेदारी नहीं मिल रही।

विश्व की दूसरी सबसे अमीर लीग में खिलाड़ियों की रेवेन्यू हिस्सेदारी अन्य लीग के मुकाबले आधी भी नहीं है। साथ ही, खिलाड़ियों की सैलरी भी लीग के मुनाफे के अनुसार नहीं बढ़ रही। दूसरी लीग से तुलना करें तो खिलाड़ियों की कमाई मौजूदा आमदनी से तीन गुना ज्यादा होनी चाहिए, लेकिन अभी हमारे खिलाड़ी काफी पिछड़ रहे हैं।

सैलरी पर 950 करोड़ से ज्यादा खर्च नहीं, मुनाफा 6 हजार करोड़ बढ़ा तो सैलरी सिर्फ 50 करोड़ बढ़ी
सीजन में 242 खिलाड़ियों की कुल सैलरी 910.5 करोड़ रुपए है। सभी 10 टीमों का अधिकतम सैलरी कैप 95 करोड़ तय है। यानी एक सीजन में सैलरी पर कुल 950 करोड़ से ज्यादा खर्च नहीं हो सकता। वहीं, बीसीसीआई मीडिया राइट्स से सालाना 9,678 करोड़ कमाता है, जो पिछली बार से 6 हजार करोड़ ज्यादा है।

राइट्स से मौजूदा कमाई खिलाड़ियों के सैलरी खर्च से 10 गुना तक ज्यादा है। राइट्स में खिलाड़ियों का कोई हिस्सा नहीं होता। उन्हें सिर्फ सैलरी मिलती है। ये सैलरी मुनाफे की रफ्तार से नहीं बढ़ती। मीडिया राइट्स की सालाना वैल्यू लगभग 6,408 करोड़ बढ़ने के बावजूद खिलाड़ियों का सैलरी कैप 50 करोड़ रुपए ही बढ़ा है।

विदेशी लीग में खिलाड़ियों की हिस्सेदारी 50% से ज्यादा, आईपीएल में सिर्फ 18%; डब्ल्यूपीएल के दो मैचों से पूरी टीम का खर्च निकला
एनबीए, एनएफएल, मेजर लीग बेसबॉल सबसे अमीर लीग हैं। अगर ये लीग सीजन में 2 मिलियन डॉलर कमाती हैं तो उसका 1 मिलियन डॉलर सैलरी पर खर्च होता है। प्रीमियर लीग ने 2020-21 सीजन में 71% मुनाफा सैलरी पर खर्च किया। आईपीएल में ऐसा नहीं है। सीजन में टीमें अकेले राइट्स से 4900 करोड़ तक कमाएंगी।

स्पॉन्सरशिप, टिकट बिक्री, जर्सी बिक्री आदि से भी कमाई होगी, जिससे कुल कमाई 5300 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है। हालांकि, खिलाड़ियों को अधिकतम 950 करोड़ ही मिल सकेंगे, यानी रेवेन्यू का 18 प्रतिशत। वीमेंस प्रीमियर लीग में भी हालात यही थे, जहां एक टीम का सैलरी कैप 12 करोड़ था। मीडिया राइट्स के अनुसार, डब्ल्यूपीएल के एक मैच की वैल्यू 7.5 करोड़ थी। यानी राइट्स, टिकट सेल्स व स्पॉन्सरशिप मिलाकर सिर्फ दो मैचों में ही पूरी टीम की सैलरी का खर्च निकल सकता था।

लीग की कमाई में खिलाड़ियों का हिस्सा
प्रीमियर लीग 71%
एमएलबी 54%
एनबीए 50%
एनएचएल 50%
एनएफएल 48%
आईपीएल 18%

आईपीएल टीमें स्पॉन्सरशिप से 1200 करोड़ कमा रहीं, टी-शर्ट के दाम पायजामे से महंगे
आईपीएल टीमें विज्ञापनों से कुल 1000-1200 करोड़ तक कमा रही हैं। सबसे ज्यादा कमाई जर्सी पर फ्रंट लोगो, बैक लोगो, हेलमेट के लोगो से है, जिनकी कीमत सालाना 26-30 करोड़ तक है। बाजू व पायजामे पर विज्ञापन के लिए टीमें 2 से 10 करोड़ रुपए तक ले रही हैं। चेन्नई ने 3 साल के 100 करोड़ जबकि मुंबई व बेंगलुरू ने 90 करोड़ व 75 करोड़ के सौदे किए हैं।

राइट्स, टिकट सेल्स भी कमाई का बड़ा जरिया, ब्रांड्स को टीमों के जरिए खिलाड़ी मिल जाते हैं
बीसीसीआई का मुख्य रेवेन्यू राइट्स और टाइटल स्पॉन्सरशिप से आता है। कुल राशि का 40-50% हिस्सा फ्रेंचाइजी में बांटा जाता है। खिलाड़ियों के कपड़ों पर लगे विज्ञापन से कमाई का पूरा हिस्सा टीम को मिलता है। विभिन्न ब्रांड्स खिलाड़ियों से संपर्क न साधकर विज्ञापन के लिए टीमों के पास जाते हैं। खिलाड़ियों के लिए लीग में कमाई का एकमात्र जरिया सैलरी होता है।

खबरें और भी हैं…

For all the latest Sports News Click Here 

 For the latest news and updates, follow us on Google News

Read original article here

Denial of responsibility! NewsBit.us is an automatic aggregator around the global media. All the content are available free on Internet. We have just arranged it in one platform for educational purpose only. In each content, the hyperlink to the primary source is specified. All trademarks belong to their rightful owners, all materials to their authors. If you are the owner of the content and do not want us to publish your materials on our website, please contact us by email – [email protected]. The content will be deleted within 24 hours.

Leave a comment