हेल्थकेयर पर 50 हजार करोड़ की योजना: छोटे शहरों में हेल्थ संसाधन मजबूत होंगे, अस्पताल और मेडिकल सप्लाई पर होगा फोकस
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मुंबई25 मिनट पहले
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पिछले महीने ही सरकार ने एयरलाइंस और हॉस्पिटल्स के लिए 41 अरब डॉलर के इमरजेंसी क्रेडिट प्रोग्राम को मंजूरी दी थी ताकि ये सेक्टर कोविड के प्रभाव से उबर पाएं
- रिजर्व बैंक ने हेल्थकेयर सेक्टर को सस्ता कर्ज देने की घोषणा किया था
- देश में जनसंख्या के हिसाब से अस्पतालों में बिस्तर काफी कम हैं
केंद्र सरकार देश में स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत करने की योजना बना रही है। इस पर 50 हजार करोड़ रुपए खर्च करेगी। इसके तहत क्रेडिट इंसेंटिव दिया जाएगा। इस योजना में सरकार कंपनियों को नए अस्पताल बनाने, उनका विस्तार करने और मेडिकल सप्लाई के लिए क्रेडिट फंड मुहैया कराएगा।
जल्द ही फैसला लिया जाएगा
बताया जा रहा है कि कैबिनेट में यह मामला पहुंच गया है और इस पर जल्द ही फैसला लिया जाएगा। इसे दूसरे लेवल के शहरों में फोकस किया जाएगा। यानी भोपाल, लखनऊ, इंदौर, बड़ौदा, वाराणसी जैसे शहरों में इस सुविधा पर फोकस होगा। इस स्कीम के तहत अस्पतालों को 2 करोड़ रुपए तक का कर्ज बिना गारंटी के मिलेगा। ऑन साइट ऑक्सीजन प्लांट बनाने के लिए भी 2 करोड़ रुपए का कर्ज मिलेगा। इसकी पूरी गारंटी सरकार की होगी। यह कर्ज 7.5% की ब्याज दर पर दिया जाएगा।
सरकार बनेगी गारंटर
सरकार जो पैसा देगी, उसके लिए इन कंपनियों की गारंटर बनेगी। सरकार इसके जरिए कोविड से संबंधित स्वास्थ्य व्यवस्था पर ही फोकस करेगी। सरकार का लक्ष्य क्रेडिट इंसेंटिव के जरिए सेमी अर्बन यानी छोटे शहरों में स्वास्थ्य की व्यवस्था को ठीक करना है। यह लोन गारंटी स्कीम रिजर्व बैंक की उसी योजना के तहत है, जिसे हाल में घोषित किया गया था। रिजर्व बैंक ने हेल्थकेयर सेक्टर के साथ वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों को सस्ता कर्ज देने की घोषणा किया था।
रिजर्व बैंक की मार्च तक सुविधा
रिजर्व बैंक ने स्वास्थ्य सेवाओं और वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों के लिए अगले साल मार्च तक 500 अरब रुपए के ऑन टैप लिक्विडिटी विंडों की शुरुआत की थी। कोरोना के समय में देश की स्वास्थ्य व्यवस्था पर काफी बुरा असर हुआ और अस्पतालों में मरीजों को न तो बिस्तर मिला और न ही ऑक्सीजन। इसलिए सरकार तीसरी लहर से पहले इस मामले में काम करना चाहती है।
41 अरब डॉलर का इमर्जेंसी प्रोग्राम
इसके अलावा पिछले महीने ही सरकार ने एयरलाइंस और हॉस्पिटल्स के लिए 41 अरब डॉलर के इमरजेंसी क्रेडिट प्रोग्राम को मंजूरी दी थी ताकि ये सेक्टर कोविड के प्रभाव से उबर पाएं। आंकड़े बताते हैं कि देश में जनसंख्या के हिसाब से अस्पतालों में बिस्तर काफी कम हैं। पुणे सबसे अव्वल है जहां 1 हजार आबादी पर 1.5 बिस्तर है। जबकि बाकी शहरों में इससे और बुरे हालात हैं। कोरोना के समय में देश के हर शहरों में अस्पतालों और ऑक्सीजन की कमी से हजारों लोगों की मौत हो गई।
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