सबसे तेज फिफ्टी बनाने वाली बल्लेबाज की कहानी: वर्ल्ड कप में टीम इंडिया की सदस्य ऋचा घोष के पिता ने क्रिकेटर बनाने के लिए बंद कर दिया था बिजनेस
5 मिनट पहले
बंगाल के सिलिगुड़ी जैसे छोटे से शहर से निकलकर ऋचा घोष ने 18 साल की उम्र में ही वनडे वर्ल्ड कप के लिए टीम इंडिया में अपनी जगह पक्की की। टीम इंडिया में बतौर विकेटकीपर शामिल ऋचा ने वर्ल्ड कप से पहले न्यूजीलैंड के खिलाफ चौथे वनडे मैच में सबसे तेज हाफ सेंचुरी बनाने का रिकॉर्ड कायम किया था। उन्होंने 26 गेंदों पर फिफ्टी पूरी की थी। ऋचा ने 14 साल पुराने रुमेली धर के बनाए रिकॉर्ड को तोड़ा। धर ने 2008 में 28 गेंदों पर श्रीलंका के खिलाफ अपनी फिफ्टी पूरी की थी।
ऋचा का वर्ल्ड कप तक का सफर भी काफी कठिनाइयों भरा रहा। छोटे से शहर से यहां तक पहुंचने में उनके पिता मानवेंद्र घोष को काफी त्याग करना पड़ा। आइए उनके पिता से ही जानते हैं कि टीम इंडिया के सफर में ऋचा और उन्हें किन परेशानियों का सामना करना पड़ा।
सवाल: ऋचा क्रिकेट की ओर से कैसे आईं?
जवाब: मैं भी क्लब स्तर पर क्रिकेट खेलता हूं। मैं अपने क्लब में अभ्यास के लिए जाता था, तो 4 साल की उम्र से ही ऋचा मेरे साथ जाती थी। वहां पर कई पैरंट्स अपने बच्चों को क्रिकेट की ट्रेनिंग दिलाने के लिए लाते थे। ऋचा भी धीरे-धीरे उन बच्चों के साथ खेलने लगी। हालांकि, मैं चाहता था कि वह टेबल टेनिस खेले।
चूंकि लड़कियों की क्रिकेट एकेडमी हमारे शहर में नहीं थी। इसलिए मैंने टेबल टेनिस एकेडमी में एडमिशन करवा दिया पर ऋचा का वहां मन नहीं लगा। फिर एक दिन मुझसे कहा कि मैं क्रिकेट ही खेलना चाहती हूं। कुछ दिन तक मैं उसे क्लब में लेकर गया, जब मुझे लगा कि यह क्रिकेट में ही कुछ करना चाहती है, तो मैंने कोलकाता में लेकर जाकर ट्रेनिंग करने का फैसला किया?
सवाल: सिलिगुड़ी से कोलकाता ट्रेनिंग लेकर जाने पर किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा?
जवाब: कोलकाता में भी लड़कियां लड़कों के साथ ही ट्रेनिंग करती थीं। जब बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन का कैंप लगता था, तब तो ऋचा अन्य लड़कियों के साथ कैंप में रहती थी। उस समय मुझे उसकी सुरक्षा को लेकर चिंता नहीं होती थी, लेकिन कैंप नहीं होने पर उनकी सुरक्षा को लेकर चिंतित था। इसलिए मैंने अपना बिजनेस छोड़कर उसके साथ ही कोलकाता में रहने लगा। जबकि मेरी पत्नी बड़ी बेटी के साथ सिलिगुड़ी में रहती थी।
कुछ सालों तक मुझे अपना बिजनेस बंद करना पड़ा। अब जब वह टीम इंडिया में सिलेक्ट हो चुकी है तो मैं फिर से अपने बिजनेस पर ध्यान दे रहा हूं। जब मैं कोलकाता में रहता था, तो मैं बंगाल के घरेलू टूर्नामेंट में पार्ट टाइम अंपायरिंग भी करना शुरू कर दिया था।
सवाल: वह टीम इंडिया में विकेटकीपर के तौर पर शामिल की गई हैं, जबकि वे घरेलू क्रिकेट टूर्नामेंट में गेंदबाजी भी करती थीं?
जवाब: ऋचा शुरू से ही विकेटकीपिंग और बल्लेबाजी करती थी। वह हमारे लोकल आइकन टीम इंडिया के विकेटकीपर बल्लेबाज ऋद्धिमान साहा से प्रभावित थी। उनसे प्रेरित होकर ही वह विकेटकीपर बल्लेबाज बनना चाहती थी, पर जब वह घरेलू टूर्नामेंट के लिए सीनियर्स टीम के कैंप में गई, तो वहां पर कोच की सलाह पर वह गेंदबाजी करने लगी।
उसका घरेलू टूर्नामेंट में सिलेक्शन ऑलराउंडर के तौर पर ही हुआ। वह कई मैचों में बंगाल के लिए बॉलिंग भी कर चुकी है। 2020 में टी-20 वर्ल्ड कप में टीम इंडिया में उनका सिलेक्शन हुआ, तब वह घरेलू टूर्नामेंट में गेंदबाजी भी करती थी, लेकिन टीम इंडिया में शामिल होने के बाद वह फिर से विकेटकीपर की भूमिका में लौट आई। वह टीम में विकेटकीपर बल्लेबाज के रूप में टीम में शामिल होती है।
एक स्कूल में कार्यक्रम के दौरान बच्चे ऋचा घोष का स्वागत करते हुए।
सवाल: क्या आपको लगता है कि विमेंस क्रिकेट के प्रति जागरूकता आई है?
जवाब: पहले की तुलना में विमेंस क्रिकेट की लोकप्रियता बढ़ी है, लेकिन अब भी विमेंस एकेडमी की कमी है। पेरेंट्स के सामने सबसे बड़ी चुनौती सुरक्षा को लेकर होती है। लड़कियों को ट्रेनिंग लड़कों के साथ ही करनी पड़ती है। वहीं, छोटे शहरों में आज भी बुनियादी ढांचे की कमी है। ऐसे में छोटे शहरों के पेरेंट्स को बेटी को क्रिकेट सिखाने के लिए काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
सवाल: वर्ल्ड कप में ऋचा से आपको क्या उम्मीद है?
जवाब: ऋचा ने वर्ल्ड कप शुरू होने से पहले ही न्यूजीलैंड के साथ वनडे सीरीज में शानदार प्रदर्शन किया। वह तेजी से वनडे में फिफ्टी बनाने वाली भारतीय महिला क्रिकेटर बनीं। वहीं, टीम की कप्तान मिताली राज ने भी एक इंटरव्यू में ऋचा और शेफाली वर्मा जैसे युवा खिलाड़ियों पर भरोसा जताया है। मुझे भी उम्मीद है कि ऋचा मौका मिलने पर टीम को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाएगी।
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