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शिखर सम्मेलन में बोले PM मोदी: हमें अपनी खेती को केमिस्ट्री की लैब से निकालकर प्रकृति की प्रयोगशाला से जोड़ना होगा

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  • PM Modi ; We Have To Take Our Agriculture Out Of The Lab Of Chemistry And Connect It With The Lab Of Nature.

नई दिल्लीएक घंटा पहले

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के संबंध में एक शिखर सम्मेलन को संबोधित किया। इसमें उन्होंने कहा, ‘हमें अपनी खेती को केमिस्ट्री की लैब से निकालकर प्रकृति की प्रयोगशाला से जोड़ना होगा। ये भी पूरी तरह विज्ञान आधारित ही है।’

PM मोदी ने गुजरात के आणंद में कृषि और खाद्य प्रसंस्करण पर राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन के समापन सत्र के दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से किसानों को संबोधित किया।

किसान की आय बढ़ाने के लिए उठाए कई कदम
PM मोदी ने कहा कि बीते 6-7 साल में बीज से लेकर बाज़ार तक, किसान की आय को बढ़ाने के लिए एक के बाद एक अनेक कदम उठाए गए हैं। मिट्टी की जांच से लेकर सैकड़ों नए बीज तक, PM किसान सम्मान निधि से लेकर लागत का डेढ़ गुणा MSP तक, सिंचाई के सशक्त नेटवर्क से लेकर किसान रेल तक,अनेक कदम उठाए गए हैं।

खेती को कैमिस्ट्री की लैब से निकालकर प्रकृति की प्रयोगशाला से जोड़ना होगा
उन्होंने कहा कि इससे पहले खेती से जुड़ी समस्याएं भी विकराल हो जाएं उससे पहले बड़े कदम उठाने का ये सही समय है। हमें अपनी खेती को कैमिस्ट्री की लैब से निकालकर प्रकृति की प्रयोगशाला से जोड़ना ही होगा। जब मैं प्रकृति की प्रयोगशाला की बात करता हूं तो ये पूरी तरह से विज्ञान आधारित ही है।

ये सही है कि केमिकल और फर्टिलाइजर ने हरित क्रांति में अहम रोल निभाया है, लेकिन ये भी उतना ही सच है कि हमें इसके विकल्पों पर भी साथ ही साथ काम करते रहना होगा।

केमिकल के बिना भी अच्छी खेती संभव
PM मोदी ने कहा संबोधित करते हुए कहा कि एक भ्रम ये भी पैदा हो गया है कि बिना केमिकल के फसल अच्छी नहीं होगी। जबकि सच्चाई इसके बिलकुल उलट है। पहले केमिकल नहीं होते थे, लेकिन फसल अच्छी होती थी। मानवता के विकास का, इतिहास इसका साक्षी है।

‘बैक टु बेसिक’ की ओर बढ़ रही दुनिया
उन्होंने कहा कि आज दुनिया जितना आधुनिक हो रही है, उतना ही ‘बैक टु बेसिक’ की ओर बढ़ रही है। इस बैक टु बेसिक का मतलब क्या है? इसका मतलब है अपनी जड़ों से जुड़ना! इस बात को आप सब किसान साथियों से बेहतर कौन समझता है? हम जितना जड़ों को सींचते हैं, उतना ही पौधे का विकास होता है।

प्राचीन ज्ञान को आधुनिक वैज्ञानिक फ्रेम में ढालना जरूरी
PM मोदी ने कहा, ‘कृषि से जुड़े हमारे इस प्राचीन ज्ञान को हमें न सिर्फ फिर से सीखने की ज़रूरत है, बल्कि उसे आधुनिक समय के हिसाब से तराशने की भी ज़रूरत है। इस दिशा में हमें नए सिरे से शोध करने होंगे, प्राचीन ज्ञान को आधुनिक वैज्ञानिक फ्रेम में ढालना होगा।’

नैचुरल फार्मिंग से जिन्हें सबसे अधिक फायदा होगा, वो हैं देश के 80% किसान। वो छोटे किसान, जिनके पास 2 हेक्टेयर से कम भूमि है। इनमें से अधिकांश किसानों का काफी खर्च, केमिकल फर्टिलाइजर पर होता है। अगर वो प्राकृतिक खेती की तरफ मुड़ेंगे तो उनकी स्थिति और बेहतर होगी।

खेत में आग लगाना सही नहीं
उन्होंने कहा कि जानकार ये बताते हैं कि खेत में आग लगाने से धरती अपनी उपजाऊ क्षमता खोती जाती है। हम देखते हैं कि जिस प्रकार मिट्टी को जब तपाया जाता है, तो वो ईंट का रूप ले लेती है, लेकिन फसल के अवशेषों को जलाने की हमारे यहां परंपरा सी पड़ गई है।

प्राकृतिक खेती को जन आंदोलन बनाने के लिए आगे आएं राज्य सरकारें
आखिर में PM मोदी ने कहा, ‘मैं आज देश के हर राज्य से, हर राज्य सरकार से, ये आग्रह करुंगा कि वो प्राकृतिक खेती को जनआंदोलन बनाने के लिए आगे आएं। इस अमृत महोत्सव में हर पंचायत का कम से कम एक गांव ज़रूर प्राकृतिक खेती से जुड़े, ये प्रयास हम कर सकते हैं।’

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