लोन से जुड़े मामलों में सावधानी बरतें: लोन सेटलमेंट करने से बचें, नहीं तो सिबिल स्कोर हो जाएगा खराब
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मुंबई13 घंटे पहलेलेखक: अजीत सिंह
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- ज्यादातर लोन सेटलमेंट क्रेडिट कार्ड के मामले में होता है
- क्रेडिट कार्ड का ब्याज ज्यादा होता है और कम समय के लिए होता है
लोन लेना किसी के लिए बहुत मुश्किल होता है तो किसी के लिए बहुत आसान होता है। यह इसलिए क्योंकि यह आपकी कमाई और उसकी बचत पर निर्भर होता है। बैंक या लोन देने वाली कंपनी सबसे पहले आपकी कमाई देखती है और फिर बचत और उसके बाद सिबिल स्कोर का नंबर आता है।
क्रेडिट कार्ड के मामलों में ज्यादा सेटलमेंट होता है
दरअसल ज्यादातर लोन सेटलमेंट क्रेडिट कार्ड के मामले में होता है। क्रेडिट कार्ड का लोन महंगे ब्याज वाला और कम समय के लिए होता है। ज्यादातर मामलों में ग्राहक क्रेडिट कार्ड का लोन नहीं भरते हैं। वे सेटलमेंट कर लेते हैं। लेकिन सेटलमेंट करने पर बैंक आपका स्कोर खराब कर देता है।
सेटलमेंट हुआ तो क्या होगा
बैंक अपना पैसा निकालने के लिए एक बार सेटलमेंट तो कर लेता है, लेकिन वह आपकी इस हरकत को सिबिल के पास भेज देता है। यानी आपने पैसा भरा भी और आपका स्कोर भी खराब हो गया। इसलिए सेटलमेंट की बजाय आप चाहें तो बैंक के साथ ब्याज और चार्ज को माफ कराकर समय से पहले बंद कर सकते हैं।
पैसा न मिलने की स्थिति में सेटलमेंट होता है
बैंक तभी सेटलमेंट करता है जब उसे लगता है कि पैसा मिलने वाला नहीं है। ऐसे में वह ग्राहक से सेटलमेंट तो करता है, पर जो उसका सही अमाउंट बाकी रहेगा, वह आपके अकाउंट में दिखता रहेगा। अगर आप 4 साल बाद सोचते हैं कि मैं लोन लूंगा और उस समय सिबिल में स्कोर खराब दिखा तो आपके लिए मुश्किल और बढ़ जाएगी। क्योंकि तब आप सिबिल से नाम निकालने जाएंगे तो बैंक आपको चार साल का ब्याज और चार्ज लगाकर भरने को कहेगा। ऐसे में आपके लिए यह मुश्किल वाला काम हो सकता है।
सिबिल स्कोर क्या होता है
दरअसल यह किसी को भी लोन देने के लिए एक पैमाने के तौर पर काम करता है। देश की जितनी भी बैंकें या एनबीएफसी हैं, सभी इसका पालन करती हैँ। यह आपके क्रेडिट स्कोर से जुड़ी बातों पर निर्भर होती है। इसके तहत अगर आप रेगुलर लोन का पेमेंट कर रहे हैं तो आपका स्कोर अच्छा होगा। अगर आपने रेगुलर नहीं किया तो आपका स्कोर खराब हो जाता है।
स्कोर के अच्छे और खराब होने से क्या फर्क पड़ेगा
अगर स्कोर अच्छा है तो आपको लोन आसानी से तो मिलेगा ही साथ ही ब्याज दरों में रियायत भी मिल जाएगी। देश में ऐसे कई बैंक हैं जो सीधे लोन को सिबिल स्कोर से जोड़ दिए हैं। यानी जैसा स्कोर वैसा लोन मिलेगा। अगर स्कोर खराब है तो लोन मिलने में दिक्कतें हो सकती हैं।
सिबिल स्कोर कैसे बनता है
यह आपके लोन पेमेंट के आधार पर बैंक तैयार करते हैं। इसके बाद बैंक इसे सिबिल को भेज देते हैं। रिजर्व बैंक के नियमों के मुताबिक बैंकों को ऐसा करना होता है।
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