रेपो रेट बढ़ने से लोन महंगे: 20 साल वाले 10 लाख के होम लोन पर करीब 300 रु. EMI बढ़ेगी; रेपो रेट 0.50% बढ़ाकर 4.90% किया
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नई दिल्ली3 घंटे पहले
बढ़ती महंगाई से चिंतित भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने रेपो रेट में 0.50% इजाफा किया है। इससे रेपो रेट 4.40% से बढ़कर 4.90% हो गई है। यानी होम लोन से लेकर ऑटो और पर्सनल लोन सब कुछ महंगा होने वाला है और आपको ज्यादा EMI चुकानी होगी। ब्याज दरों पर फैसले के लिए 6 जून से मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की मीटिंग चल रही थी। RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में ब्याज दरों पर लिए फैसलों की जानकारी दी।
रेपो रेट और EMI का कनेक्शन
रेपो रेट वो दर होती है जिस पर RBI से बैंकों को कर्ज मिलता है, जबकि रिवर्स रेपो रेट उस दर को कहते है जिस दर पर बैंकों को RBI पैसा रखने पर ब्याज देती है। जब RBI रेपो रेट घटाता है, तो बैंक भी ज्यादातर समय ब्याज दरों को कम करते हैं। यानी ग्राहकों को दिए जाने वाले लोन की ब्याज दरें कम होती हैं, साथ ही EMI भी घटती है। इसी तरह जब रेपो रेट में बढ़ोतरी होती है, तो ब्याज दरों में बढ़ोतरी के कारण ग्राहक के लिए कर्ज महंगा हो जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कॉमर्शियल बैंक को केंद्रीय बैंक से उच्च कीमतों पर पैसा मिलता है, जो उन्हें दरों को बढ़ाने के लिए मजबूर करता है।
0.50% रेट बढ़ने से कितना फर्क पड़ेगा
मान लीजिए सुदर्शन नाम के एक व्यक्ति ने 6.5% के रेट पर 20 साल के लिए 10 लाख रुपए का हाउस लोन लिया है। उसकी लोन की EMI 7,456 रुपए है। 20 साल में उसे इस दर से 7,89,376 रुपए का ब्याज देना होगा। यानी, उसे 10 लाख के बदले कुल 17,89,376 रुपए चुकाने होंगे।
सुदर्शन के लोन लेने के एक महीने बाद RBI रेपो रेट में 0.50% का इजाफा कर देता है। इस कारण बैंक भी 0.50% ब्याज दर बढ़ा देते हैं। अब जब सुदर्शन का एक दोस्त उसी बैंक में लोन लेने के लिए पहुंचता है तो बैंक उसे 6.5% की जगह 7% रेट ऑफ इंटरेस्ट ऑफर करता है।
सुदर्शन का दोस्त भी 10 लाख रुपए का ही लोन 20 सालों के लिए लेता है, लेकिन उसकी EMI 7753 रुपए की बनती है। यानी सुदर्शन की EMI से 297 रुपए ज्यादा। इस वजह से सुदर्शन के दोस्त को 20 सालों में कुल 18,60,717 रुपए चुकाने होंगे। ये सुदर्शन की रकम से 71 हजार ज्यादा है।
लोन अमाउंट (रु. में) | अवधि | ब्याज दर (% में) | किस्त (EMI रु. में) | कुल ब्याज (रु. में) | कुल रकम जो चुकानी होगी (रु. में) |
10 लाख | 20 साल | 6.50 | 7,456 | 7.89 लाख | 17.89 लाख |
10 लाख | 20 साल | 7.00 | 7,753 | 8.60 लाख | 18.60 लाख |
20 लाख के लोन पर अब कितना ज्यादा ब्याज और किस्त देनी होगी
लोन अमाउंट (रु. में) | अवधि | ब्याज दर (% में) | किस्त (EMI रु. में) | कुल ब्याज (रु. में) | कुल रकम जो चुकानी होगी (रु. में) |
20 लाख | 20 साल | 6.50 | 14,911 | 15.78 लाख | 35.78 लाख |
20 लाख | 20 साल | 7.00 | 15,506 | 17.21 लाख | 37.21 लाख |
30 लाख के लोन पर अब कितना ज्यादा ब्याज और किस्त देनी होगी
लोन अमाउंट (रु. में) | अवधि | ब्याज दर (% में) | किस्त (EMI रु. में) | कुल ब्याज (रु. में) | कुल रकम जो चुकानी होगी (रु. में) |
30 लाख | 20 साल | 6.50 | 22,367 | 23.68 लाख | 53.68 लाख |
30 लाख | 20 साल | 7.00 | 23,259 | 25.82 लाख | 55.82 लाख |
नोट: यह कैलकुलेशन SBI होम लोन EMI कैलकुलेटर पर आधारित है।
अगर आपका लोन पहले से चल रहा है तक भी बढ़ेगी EMI
होम लोन की ब्याज दरें 2 तरह से होती हैं पहली फ्लोटर और दूसरी फ्लेक्सिबल। फ्लोटर में आपके लोन कि ब्याज दर शुरू से आखिर तक एक जैसी रहती है इस पर रेपो रेट में बदलाव का कोई फर्क नहीं पड़ता। वहीं फ्लेक्सिबल ब्याज दर का लेने पर रेपो रेट में बदलाव होने पर आपके लोन कि ब्याज दर पर भी फर्क पड़ेगा। ऐसे में अगर आपने पहले से फ्लेक्सिबल ब्याज दर पर लोन ले रखा है तो आपके लोन की EMI भी बढ़ जाएगी।
मान लीजिए आपने फ्लेक्सिबल ब्याज दर पर 6.50% के हिसाब से 20 साल के लिए 10 लाख का लोन लिया था। इसके हिसाब से पहले आपकी EMI 7,456 रुपए थी। जो 7% ब्याज दर होने के बाद 7,753 रुपए हो जाएगी। इसके अलावा 6.50% के हिसाब से पहले आपको कुल 17.89 लाख रुपए चुकाने थे। ये अमाउंट भी बढ़ जाएगा। हालांकि ये कितना बढ़ेगा ये आपके अब तक चुकाए गए लोन और अवधि पर निर्भर करेगा।
पिछली मीटिंग में 0.4% बढ़ाई थी दर
ब्लूमबर्ग के सर्वे में शामिल 41 में से 17 अर्थशास्त्रियों ने रेपो रेट 0.50% बढ़ाकर 4.9% करने का अनुमान जताया था। कुछ अर्थशास्त्री मानते हैं कि RBI रेपो रेट को धीरे-धीरे प्री-कोविड लेवल 5.15% से ऊपर ले जाएगा। मॉनेटरी पॉलिसी की मीटिंग हर दो महीने में होती है, लेकिन बीते दिनों RBI ने 2 और 3 मई को इमरजेंसी मीटिंग बुलाकर रेपो रेट को 4% से बढ़ाकर 4.40% कर दिया था। 22 मई 2020 के बाद रेपो रेट में ये बदलाव हुआ था। इस वित्त वर्ष की पहली मीटिंग 6-8 अप्रैल को हुई थी।
RBI पर दरें बढ़ाने का दबाव
पिछली मीटिंग के बाद से देश-दुनिया में 4 बड़े बदलाव हो चुके हैं:
1. चीन में लॉकडाउन खुलने से दुनियाभर में कच्चे तेल, स्टील जैसी कमोडिटी की मांग बढ़ी।
2. अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेंचमार्क क्रूड ब्रेंट 120 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर निकला।
3. बॉन्ड यील्ड 2019 के बाद पहली बार 7.5% तक पहुंची, 8% तक जाने की आशंका।
4. ब्रिटेन और यूरो जोन में महंगाई दर 40 साल के रिकॉर्ड लेवल 8% से भी ऊपर निकल गई, ऐसे में वैश्विक महंगाई बढ़ने का डर।
महंगाई बढ़ने से RBI चिंतित
RBI की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की इमरजेंसी मीटिंग ऐसे समय में हुई है जब रूस-यूक्रेन जंग के कारण कच्चे तेल से लेकर मेटल प्राइस में भारी उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है। ऐसे में पूरी दुनिया में महंगाई बड़ी समस्या बनी हुई है। मई में जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) आधारित रिटेल महंगाई दर अप्रैल में बढ़कर 7.79% हो गई थी। ये महंगाई का 8 साल का पीक था।
पहले से ही था दरें बढ़ने का अनुमान
RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने बीते दिनों एक चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा था, ‘RBI कम से कम अगली कुछ बैठकों में दरें बढ़ाना चाहेगा। मैंने खुद अपने मिनट्स में कहा है कि मई में ऑफ-साइकिल मीटिंग के कारणों में से एक यह था कि हम जून में ज्यादा स्ट्रॉन्ग एक्शन नहीं चाहते थे।’ उन्होंने ये कहा था, ‘रेपो रेट्स में कुछ बढ़ोतरी होगी, लेकिन कितनी होगी अभी मैं ये नहीं बता पाऊंगा…’
UPI से लिंक हो सकेंगे क्रेडिट कार्ड
आने वाले दिनों में क्रेडिट कार्ड को भी UPI से लिंक किया जा सकेगा। इससे ट्रांजैक्शन करना ज्यादा आसान हो जाएगा। RBI ने बुधवार को इसका ऐलान किया। इसकी शुरुआत रुपे (Rupay) क्रेडिट कार्ड से होगी। अभी यूपीआई यूजर्स को केवल डेबिट कार्ड और सेविंग/करंट अकाउंट ऐड कर ट्रांजैक्शन की सुविधा मिलती है। क्रेडिट कार्ड को UPI से जोड़ने के लिए NPCI को इससे जुड़े निर्देश जारी किए जाएंगे।
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