Quick News Bit

भाविनाबेन पटेल का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू: टेबल टेनिस मेडलिस्ट बोलीं- टोक्यो के सिल्वर मेडल ने मुझे सम्मान दिलाया; अब सिंगल्स में चीनी खिलाड़ी से हार का बदला डबल्स में लेना है

0
  • Hindi News
  • Sports
  • Paddler Bhavina Patel Interview Tokyo Paralympics Wins Historic Silver At Tokyo Paralympics Table Tennis;said To Avenge The Defeat Of The Chinese Player In Singles In Doubles

टोक्यो8 मिनट पहलेलेखक: राजकिशोर

  • कॉपी लिंक

टोक्यो पैरालिंपिक में भाविनाबेन पटेल ने सिल्वर मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है। उन्होंने टेबल टेनिस के विमेंस सिंगल्स में क्लास-4 कैटेगरी में भारत को मेडल दिलाया है। फाइनल में भाविना का मुकाबला वर्ल्ड नंबर-1 चीनी खिलाड़ी झोउ यिंग से था। यिंग ने भाविना को 11-7, 11-5 और 11-6 से हरा कर गोल्ड जीता। भाविना को सिल्वर मिला। वे टेबल टेनिस में मेडल जीतने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी भी हैं।

गुजरात के वाडनगर की रहने वाली भाविनाबेन पटेल से उनकी आगे की योजना और करियर को लेकर भास्कर ने बातचीत की। उन्होंने कहा कि महिला सिंगल्स में हार का बदला डबल्स में चीनी टीम से लेंगी। डबल्स में उनकी पार्टनर गुजरात की सोनलबेन पटेल है। भारत का पहला मुकाबला मंगलवार को चीनी टीम से ही है। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश…

आपका अगला टारगेट क्या है?
मेरा लक्ष्य टेबल टेनिस में गोल्ड मेडल जीतना है और विमेंस सिंगल्स के फाइनल में हार का बदला डबल्स में चीनी टीम से लेना है। मैं डबल्स में सोनलबेन पटेल के साथ मिलकर देश के लिए गोल्ड मेडल जीतना चाहती हूं। टेबल टेनिस में हमेशा से चीनी खिलाड़ियों का दबदबा रहा है। सेमीफाइनल में चीन की झांग मियाओ को हराकर ही मैं फाइनल में पहुंची थी। मैं चाहती हूं कि मंगलवार को डबल्स के पहले मुकाबले में चीनी टीम को हरा कर अभियान की शुरुआत करूं।

वहीं अगले साल होने वाले कॉमनवेल्थ गेम्स और एशियन गेम्स में देश के लिए मेडल जीतना चाहती हूं।

अब तक करियर की चुनौतियों के बारे में बताएं?
मैं जब एक साल की थी, तो मुझे पोलियो हो गया था। मैं चौथी क्लास में थी, तो पापा ने मेरा ऑपरेशन भी करवाया, पर घर की आर्थिक स्थिति बेहतर नहीं होने की वजह से मेरा उस तरह से इलाज नहीं हो पाया। मेरे पापा गांव में ही छोटी सी दुकान चलाते हैं। मैं तीन भाई-बहनों में सबसे छोटी हूं। मेरे दोनों भाई-बहन शारीरिक रूप से स्वस्थ हैं। 12वीं तक की पढ़ाई मैंने गांव में ही की। उसके बाद मैं अपने पैरों पर खड़ा होने और जीवन में कुछ करने के लिए अहमदाबाद चली आई।

अहमदाबाद आने के बाद आपको किस तरह की परेशानी का सामना करना पड़ा?
मैं किसी पर बोझ नहीं बनना चाहती थी, मैं चाहती थी कि मैं कुछ करूं और किसी की मोहताज न रहूं और मुझे कोई दया के भाव से न देखे। इसलिए मैं 2005 में अहमदाबाद में अपने रिलेटिव के पास आ गई। यहां पर मैंने गुजरात यूनिवर्सिटी से संस्कृत में ग्रेजुएशन करने के साथ ही ब्लाइंड पीपुल्स एसोसिएशन के कंप्यूटर क्लास में जॉइन किया, ताकि मैं इसे सीखकर जॉब पा सकूं।

यहां पर मुझे सबसे बड़ी समस्या ट्रांसपोर्टेशन की थी। मैं जहां रहती थी, वहां से कंप्यूटर सीखने के लिए करीब 25 किलोमीटर जाना पड़ता था। दो बस बदलने के साथ दो जगह ऑटो लेना पड़ता था। पर इन सब परेशानियों से मैं हार नहीं मानी। मेरे मन में बस एक ही बात थी, कि मुझे अपने ऊपर निर्भर रहना है। इसलिए ये सारी परेशानी भी मुझे कम लगी।

आप टेबल टेनिस से कब और कैसे जुड़ीं?
मैं जहां कंप्यूटर सीखने जाती थी, वहां की कुछ लड़कियां व्हीलचेयर टेबल टेनिस खेलती थीं, मैं भी उनके साथ टाइम पास के लिए खेलने लगी। 2007 में रोटरी क्लब की ओर से बैंगलुरु में व्हीलचेयर टेबल टेनिस चैंपियनशिप कराई गई थी, मैं भी गई थी, वहां मैंने ब्रॉन्ज मेडल जीता।

उसके बाद मैंने प्रोफेशनल ट्रेनिंग करना शुरू कर दी। वहीं 2011 में बैंकॉक ओपन में पहला इंटरनेशनल टूर्नामेंट में भाग लिया। मैं सिल्वर मेडल जीती। उसके बाद मैंने पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा।

क्या आपको भरोसा था कि टोक्यो में मेडल जीत पाएंगी?
मैंने अपना पहला इंटरनेशनल टूर्नामेंट 2011 में जीता था। रियो में मैं क्वालिफाई इवेंट में भाग नहीं ले पाई। मैं 2016 रियो में ही देश का प्रतिनिधित्व करना चाहती थी। मेरा यह ख्वाब पूरा नहीं हो सका, ऐसे में मैं 2016 के बाद से ही तैयारी में जुट गई।

स्पोर्ट्स अथोरिटी ऑफ इंडिया और पैरालिंपिक कमेटी का पूरा सहयोग मिला। हमें हर तरह की सुविधा मिली। ऐसे में मुझे अपने आप पर भरोसा था, कि मैं मेडल जीतने में सफल रहूंगी।

तीन साल पहले आपकी शादी हुई और आपके पति का सहयोग कितना मिला
2017 में मेरी शादी हुई। मेरे पति निकुंज पटेल एक बिजनेसमैन हैं। उन्होंने मेरा पूरा साथ दिया। मेरी सोच का सम्मान किया। 2019 से वे मेरे साथ हर प्रतियोगिता में जाते हैं। ताकि मुझे किसी तरह की कोई परेशानी का सामना न करना पड़े। वह मानसिक रूप से भी मेरा मनोबल बढ़ाते रहते हैं। टोक्यो में भी मेरे साथ हैं।

आपके सिल्वर मेडल जीतने के बाद पैरा एथलीटों के सम्मान में क्या बदलाव आएगा?
मेरे इस सिल्वर मेडल ने गुजरात में मुझे ही नहीं, अन्य पैरा एथलीटों को भी सम्मान दिलाया। गुजरात में अब पैरा एथलीटों को सामान्य खिलाड़ियों की तरह सम्मानित करने की घोषणा गुजरात सरकार की ओर से की गई है। मुझे मेडल जीतने के बाद गुजरात सरकार ने तीन करोड़ रुपए देने की घोषणा की है। मैं गुजरात के सीएम की आभारी हूं।

2018 में जब मैं और सोनलबेन एशियन गेम्स में मेडल जीतकर आईं, तो सामान्य खिलाड़ियों की तरह वह सम्मान हमें नहीं मिला, तब पॉलिसी में पैरा एथलीट को शामिल नहीं किया गया था। अब मुझे खुशी है कि पॉलिसी में सामान्य एथलीटों की तरह पैरा एथलीटों को भी शामिल कर लिया गया है।

पैरा एथलीटों को आगे लाने के लिए क्या करने की जरूरत है?
मेरा मानना है कि सरकार के साथ आम लोगों को भी दिव्यांगों के प्रति सोच बदलने की जरूरत है। दिव्यांगों का सम्मान करना होगा। उन्हें दया भाव से देखने की जरूरत नहीं है। केवल सरकार की ओर से उठाए गए कदम से वे मुख्यधारा में नहीं आ सकते हैं। बल्कि लोगों को भी अपनी सोच बदलने की जरूरत हैं। मैं अपने मायके से बस में अपने पति के साथ आ रही थी, बस में दिव्यांग सीट पर कोई बैठा था, पर मुझे देखकर नहीं उठा। मेरे पति ने अनुरोध भी किया और कहा कि यह रिजर्व सीट है।

उसके बाद भी मेरे लिए सीट नहीं छोड़ी। वहीं बस में कोई भी व्यक्ति ये नहीं कह रहा था कि मेरी सीट पर आकर बैठ जाओ। मैं चाहती हूं कि दिव्यांग लोगों के लिए ग्राउंड या अन्य सरकारी दफ्तरों में जाने के लिए रैंप अवश्य बनें, ताकि वे भी आसानी से अधिकारियों से मिल सकें और उन्हें किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े। स्टेडियम को डिजाइन करते समय यह ध्यान देना होगा कि पैरा एथलीट को किसी तरह ग्राउंड में जाने के लिए परेशानी का सामना न करना पड़े।

खबरें और भी हैं…

For all the latest Sports News Click Here 

 For the latest news and updates, follow us on Google News

Read original article here

Denial of responsibility! NewsBit.us is an automatic aggregator around the global media. All the content are available free on Internet. We have just arranged it in one platform for educational purpose only. In each content, the hyperlink to the primary source is specified. All trademarks belong to their rightful owners, all materials to their authors. If you are the owner of the content and do not want us to publish your materials on our website, please contact us by email – [email protected]. The content will be deleted within 24 hours.

Leave a comment