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भारत के क्रिस गेल महिपाल लोमरोड की कहानी: दादा ने 2 साल की उम्र में बैट पकड़ा दिया था, क्रिकेट एकेडमी में भेजने के लिए दादी गांव छोड़कर जयपुर में रहीं

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नागौर3 घंटे पहलेलेखक: मनीष व्यास

राजस्‍थान के नागौर जिले में पले-बढ़े भारत के क्रिस गेल के रूप में फेमस महिपाल लोमरोड का IPL फेज-2 में जलवा जारी है। महिपाल को पहला बैट दो साल की उम्र में पुलिस SI रहे दादा उम्मेद सिंह लोमरोड ने लाकर दिया था। दादा के बाद दादी सिंणगारी देवी के संघर्ष की बदौलत महिपाल आज IPL का सबसे तेज चमकता सितारा बन गए हैं।

बचपन में क्रिकेट बेट के साथ महिपाल लामरोड़। उन्हें सबसे पहला बैट उनके दादा ने लाकर दिया था।

बचपन में क्रिकेट बेट के साथ महिपाल लामरोड़। उन्हें सबसे पहला बैट उनके दादा ने लाकर दिया था।

सोमवार को सनराइजर्स हैदराबाद के साथ हुए मैच में उनकी टीम राजस्थान रॉयल्स 9 गेंद बाकी रहते 7 विकेट से हार गई, लेकिन मैच में भी महिपाल का बल्ला बोला। उन्होंने नॉट आउट रहते हुए एक छक्के और एक चौके की सहायता से 28 बॉल पर 29 रन बनाए। इसके बाद बॉलिंग में भी उन्होंने 3 ओवर में 22 रन देकर सनराइजर्स हैदराबाद के ओपनर बल्लेबाज रिद्धिमान साहा का कीमती विकेट झटका।

महिपाल ने इस बार हुए 3 मैचों में 45.50 के जबर्दस्त एवरेज और 131.88 के स्ट्राइक रेट से कुल 91 रन बना चुके हैं। इनमें पंजाब के खिलाफ उनकी 17 गेंदों पर 252.94 के स्ट्राइक रेट से खेली गई 43 रन की पारी भी शामिल है। इस बार वे अब तक कुल 6 छक्के और 3 चौके जमा चुके हैं।

16 नवंबर, 1999 को नागौर जिले की मूंडवा तहसील के ढाढरिया खुर्द गांव में जन्मे महिपाल भारत की तरफ से अंडर-19 का वर्ल्ड कप भी खेल चुके हैं। 2016 में बांग्लादेश में हुए फाइनल मैच में इंडिया रनरअप रहा था। इस वर्ल्ड कप के बाद T-20 की दुनिया में कदम रखने वाले महिपाल का इस बार यह 5वां IPL है।

अपनी दादी सिणगारी देवी के साथ महिपाल। महिपाल का जन्म 16 नवंबर, 1999 को नागौर जिले की मूंडवा तहसील के ढाढरिया खुर्द गांव में हुआ था।

अपनी दादी सिणगारी देवी के साथ महिपाल। महिपाल का जन्म 16 नवंबर, 1999 को नागौर जिले की मूंडवा तहसील के ढाढरिया खुर्द गांव में हुआ था।

ये था टर्निंग पॉइंट
क्रिकेटर महिपाल के पिता कृष्णकुमार ने बताया कि महिपाल ने 7-8 साल की उम्र में क्रिकेट खेलना शुरू किया था। नागौर में उनका मकान स्टेडियम के पास है। वहां एक क्रिकेट एकेडमी चलती थी। महिपाल के शौक को देखते हुए पिता ने उन्हें एकेडमी में भेजना शुरू कर दिया। एकेडमी में 3-4 महीने में ही वहां के कोच मुकेश प्रजापत और कमल पुरोहित ने महिपाल की प्रतिभा को पहचान लिया। दोनों कोच ने महिपाल के पिता को सलाह दी कि वे बेटे को जयपुर या दिल्ली शिफ्ट करें, ताकि खेल में और सुधार हो सके।

पूरा परिवार नागौर में रहता था। ऐसे में महिपाल को छोटी उम्र में अकेले जयपुर भेजना संभव नहीं हो रहा था। उस समय महिपाल की दादी सिणगारी देवी ने कहा, ‘मैं जाऊंगी महिपाल के साथ। मैं बनाऊंगी इसे क्रिकेटर।’ दादी की जिद, महिपाल की ललक और दादा की इच्छाशक्ति से दोनों दादी-पोते 2012 में जयपुर शिफ्ट हो गए। वहां सुराणा एकेडमी में उन्हें एडमिशन दिलाया गया। यहां दादी ने पोते को खेल के लिए लगातार मोटिवेट किया।

महिपाल ने अंडर-19 वर्ल्डकप भी खेला। IPL में वे 2016 में शामिल हुए। यह उनका 5वां IPL हैं।

महिपाल ने अंडर-19 वर्ल्डकप भी खेला। IPL में वे 2016 में शामिल हुए। यह उनका 5वां IPL हैं।

बदल गई जिंदगी, जब पहला मौका मिला
दादा के फैसले और दादी के समर्पण से महिपाल की जिंदगी उस समय बदल गई जब नागौर जिले की तरफ से खेलने का मौका मिला। शानदार प्रदर्शन के बूते महिपाल का राजस्थान से अंडर-14 की टीम में चयन हो गया। यह मैच मुंबई में हुआ था। वहां महिपाल ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 250 रन की नाबाद पारी खेली। फिर अंडर-16, रणजी और भारत की अंडर-19 की क्रिकेट टीम में शानदार पारियां खेलते हुए उन्होंने सबका ध्यान अपनी और खींच लिया।

2016 में शुरू हुआ IPL का सफर
साल 2016 में महिपाल का IPL सफर शुरू हुआ। पहली बार दिल्ली डेयरडेविल्स के लिए वे बेस प्राइस 10 लाख में खरीदे गए। पहला IPL दिल्ली डेयरडेविल्स से खेलने के बाद अगले साल राजस्थान रॉयल्स में उनको बेस प्राइस 20 लाख में खरीदा गया। तब से लगातार चौथी बार राजस्थान रॉयल्स से IPL खेल रहे हैं। चारों ही बार उन्हें बेस प्राइस 20-20 लाख रुपए में खरीदकर टीम में शामिल किया गया। महिपाल राजस्‍थान क्रिकेट टीम के कप्‍तान भी बन चुके हैं। वे एडम गिलक्रिस्ट को अपना आदर्श मानते हैं, वहीं गेंदबाजी में रवींद्र जडेजा उनके आइडल हैं।

पूर्व भारतीय कप्तान राहुल द्रविड़ और ऋषभ पंत के साथ महिपाल लामरोड़। महिपाल बताते हैं कि उन्हें द्रविड़ से काफी कुछ सीखने को मिला। द्रविड़ की विनम्रता महिपाल को सकारात्मक सीख देती है।

पूर्व भारतीय कप्तान राहुल द्रविड़ और ऋषभ पंत के साथ महिपाल लामरोड़। महिपाल बताते हैं कि उन्हें द्रविड़ से काफी कुछ सीखने को मिला। द्रविड़ की विनम्रता महिपाल को सकारात्मक सीख देती है।

ऐसे मिला जूनियर क्रिस गेल का नाम
महिपाल ने एक इंटरव्यू में बताया था कि एक बार वे 2011 में मुंबई में मैच खेलने गए थे। तब वहां पूर्व क्रिकेटर चंद्रकांत पंडित भी पहुंचे थे। पंडित ने उन्हें जूनियर गेल और भारत का क्रिस गेल कहकर बुलाया था। तब से दोस्त उन्हें जूनियर गेल ही कहने लगे।

अपने माता-पिता, दोनों बहनों और दादी के साथ महिपाल।

अपने माता-पिता, दोनों बहनों और दादी के साथ महिपाल।

इसी साल पूरा किया ग्रेजुएशन
महिपाल ने सातवीं तक की पढ़ाई नागौर में ग्रामोत्थान विद्यापीठ से की। इसके बाद 8वीं से 12वीं की पढ़ाई जयपुर में रवीन्द्र भारती स्कूल से की। प्राइवेट बीए नागौर के मिर्धा कॉलेज से पूरा किया। पिता कृष्ण कुमार बताते हैं कि उन्होंने सोचा था कि रणजी तक भी खेल लेगा तो उनके लिए बहुत है, लेकिन महिपाल ने इतना आगे बढ़कर परिवार, गांव और राजस्थान का नाम ऊंचा किया है। यह उनके लिए गर्व की बात है।

महिपाल के पिता कृष्ण कुमार लोमरोड RSBCL जयपुर में सुपरवाइजर के पद पर तैनात हैं। उनकी दो बहनें हैं। इनमें बड़ी बहन प्रीति शादीशुदा है और छोटी बहन स्नेहा अभी ग्रेजुएशन कर रही है। मां राजूदेवी गृहिणी हैं। परिवार के अन्य लोग खेती-बाड़ी ही करते हैं।

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