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ब्रिटिश थिंक टैंक की रिपोर्ट: ब्रिटेन में इलेक्ट्रिक व्हीकल पर जोर, पेट्रोल-डीजल गाड़ियों से मिलने वाला टैक्स घट रहा

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  • Emphasis On Electric Vehicles In Britain, Tax On Petrol And Diesel Vehicles Is Decreasing; Tax Possible For Every Mile Or Minute The EV Moves

लंदन2 दिन पहले

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पर्यावरण की सुरक्षा के लिए दुनियाभर में सरकारें पेट्रोल-डीजल की गाड़ियों को छोड़कर इलेक्ट्रिक गाड़ियां अपनाने पर जोर दे रही हैं। ब्रिटेन में भी तेजी से लोग इलेक्ट्रिक कारों पर शिफ्ट हो रहे हैं। ब्रिटिश सरकार ने हाल ही में ट्रांसपोर्टेशन डिकॉर्बोनाइजेशन योजना का खाका पेश किया है। इसके तहत 2030 तक ब्रिटेन में पेट्रोल-डीजल से चलने वाली गाड़ियां बिकनी बंद हो जाएंगी।

2050 तक कार्बन उत्सर्जन शून्य करने का लक्ष्य रखा गया है। पर इस पूरे रोडमैप में इस बात का कहीं जिक्र नहीं हुआ कि जीवाश्म ईंधन से हटने पर राजस्व में होने वाले घाटे की भरपाई कैसे होगी। दरअसल ब्रिटेन मोटरिंग टैक्स के रूप में हर साल 3.02 लाख करोड़ रुपए की कमाई करता है।

इलेक्ट्रिक गाड़ियां अपनाने पर टैक्स से कमाई घट जाएगी। इसलिए अब सरकार कमाई के नए विकल्प तलाश रही है। ब्रिटेन के थिंक टैंक टोनी ब्लेयर इंस्टिट्यूट ऑफ ग्लोबल चेंज की रिपोर्ट में इसे लेकर चिंता जताई गई थी। रिपोर्ट में वाहन मालिकों से हर मील या हर मिनट रोड पर चलने के हिसाब से टैक्स वसूलने का प्रस्ताव दिया गया है।

ब्रिटेन का पीएमओ भी इस विकल्प पर गंभीरता से विचार कर रहा है। पीएम बोरिस जॉनसन के प्रवक्ता ने कहा कि जल्द ही इसकी रूपरेखा तैयार की जाएगी। उन्होंने कहा कि इस बदलाव के दौरान यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि मोटरिंग टैक्स से होने वाली कमाई इसके साथ तालमेल में हो।

रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि 2040 तक ही अगर कोई नया टैक्स नहीं लगाया गया तो ब्रिटेन की ट्रेजरी को 26.16 लाख करोड़ का नुकसान संभव है। इसमें बड़ा हिस्सा फ्यूल ड्यूटी और वाहन उत्पाद शुल्क से मिलने वाली राशि में गिरावट के कारण होगा। फुली इलेक्ट्रिक कारों को इन दोनों से ही छूट मिली हुई है।

रिपोर्ट में इस बात पर भी चिंता जताई गई है कि टैक्स सिस्टम में यह बदलाव उन गाड़ी मालिकों के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी कर देगा, जो पूरी तरह पेट्रोल-डीजल चलित गाड़ियों पर निर्भर हैं।

इलाकों, रोड और दिन के वक्त के हिसाब से भी शुल्क का प्रस्ताव
30 पेज की इस रिपोर्ट में थिंक टैंक ने मंत्रियों को जो विकल्प दिए गए हैं, उनमें ‘फ्लैट रेट पर माइल’ यानी ड्राइवरों से हर मील के लिए निश्चित राशि लेना और ‘जियोग्राफिक अथवा टोल बेस्ड चार्जिंग’ के तहत कुछ मार्गों पर भीड़-भाड़ के आधार पर अलग-अलग राशि रखी जाएगी। ‘टाइम बेस्ड रेट’ में हर मिनट के हिसाब से शुल्क लिया जाएगा।

इसके अलावा ‘डायनामिक रेट’ के तहत इस्तेमाल की जा रही रोड और दिन के वक्त के हिसाब से दरें अलग-अलग होंगी। फिलहाल हर साल एक वाहन मालिक औसत 1.11 लाख रुपए फ्यूल ड्यूटी और वाहन उत्पाद शुल्क देता है। इनमें करीब 75,465 रुपए टैक्स राशि है। वहीं इलेक्ट्रिक वाहन मालिक सिर्फ 32,198 रुपए देते हैं, इनमें 2012 रुपए टैक्स रहता है। यानी पेट्रोल-डीजल गाड़ियां चलाने वाले 245% ज्यादा टैक्स भरते हैं।

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