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बदलाव की फेसबुक: खुद को रिब्रांड करने की तैयारी में फेसबुक, अपने नाम में भी कर सकती है बदलाव

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  • Facebook CEO Mark Zuckerberg Planning To Change Company Name| All You Need To Know

नई दिल्ली3 मिनट पहले

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आने वाले दिनों में फेस बुक अपना नाम चेंज कर सकता है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार फेसबुक मेटावर्स बनाने पर फोकस कर रहा है इसी के चलते कंपनी अगले अपने नए नाम की घोषणा कर सकती है। हालांकि कंपनी ने अभी इस बारे में कुछ भी कहने से इंकार कर दिया है।

कंपनी की ऐनुअन कनेक्ट कॉन्फ्रेंस में हो सकती है नए नाम की घोषणा
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कंपनी के CEO मार्क जुकरबर्ग कंपनी की ऐनुअन कनेक्ट कॉन्फ्रेंस में नए नाम की घोषणा कर सकते हैं। कंपनी ऐसा इसीलिए करना चाहती है क्यों कि फेसबुक सीईओ चाहते हैं कि कंपनी को अगले कुछ सालों में लोग मेटावर्स कंपनी के तौर पर जानें।

एक ही जगह मिलेंगी कई सुविधाएं
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस बदलाव के जरिए कंपनी अपने सारे ऐप जैसे इंस्टाग्राम, वॉट्सऐप और ओकुलस को एक जगह लाने की प्लानिंग कर रही है। मार्क जुकरबर्ग ने हाल में घोषणा की थी कि हम एक सोशल मीडिया कंपनी से आगे बढ़कर ‘मेटावर्स’ कंपनी बनेंगे और ‘एम्बॉइडेड इंटरनेट’ पर काम करेंगे। जिसमें रियलटी और वर्चुअल वर्ल्ड का मेल पहले से कहीं अधिक होगा। इससे मीटिंग, घूमना-फिरना, गेमिंग जैसे कई काम कर पाएंगे।

पहले भी कई कंपनियां कर चुकी हैं बदलाव
खुद का नाम बदलने या रिब्रांड करने वाली फेसबुक कोई पहली कंपनी नहीं है। इससे पहले 2015 में गूगल की पैरेंट कंपनी अल्फाबेट ने गूगल सिर्फ एक सर्च इंजन न रह जाए इसके लिए इसमें कई अहम बदलाव किए थे। इसके अलावा 2016 में स्नैपइंक का नाम बदलकर स्नैपचैट किया गया था।

मेटावर्स डेवलपमेंट के लिए फेसबुक देगी 10 हजार लोग हायर करेगी
कंपनी ने अपने मेटावर्स डेवलपमेंट के लिए यूरोपीय यूनियन (UN) के 10 हजार लोगों को नौकरी देने का ऐलान किया है। फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने बताया कि वो वर्चुअल रियलटी वर्ल्ड के एक्सपीरियंस डेवलपमेंट के लिए पांच साल में बड़े पैमाने पर भर्ती करेंगे। ये नौकरियां फ्रांस, जर्मनी, आयरलैंड, इटली, नीदरलैंड, पोलैंड और स्पेन सहित अन्य देशों के लिए होंगी।

मार्क जुकरबर्ग ने बीते महीने बताया था कि उनकी कंपनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से आगे बढ़कर ‘मेटावर्स’ कंपनी बनेगी। फेसबुक एक ऐसी ऑनलाइन दुनिया तैयार कर रही है, जहां लोग VR (वर्चुअल रियलटी) हेडसेट का उपयोग करके वर्चुअल एनवायरमेंट में गेम, वर्क और कम्युनिकेशन कर पाएंगे।

मेटावर्स क्या है?
इसे वर्चुअल रियलटी का नेक्स्ट लेवल कहा जा सकता है। जैसे अभी लोगों ने ऑडियो स्पीकर, टेलीविजन, वीडियो गेम के लिए वर्चुअल रियलिटी टेक्नोलॉजी को डेवलप कर लिया है। यानी आप ऐसी चीजों को देख पाते हैं जो आपके सामने हैं ही नहीं। फ्यूचर में इस टेक्नोलॉजी के एडवांस वर्जन से चीजों को छूने और स्मैल का अहसास कर पाएंगे। इसे ही मेटावर्स कहा जा रहा है। मेटावर्स शब्द का सबसे पहले इस्तेमाल साइंस फिक्शन लेखक नील स्टीफेन्सन ने 1992 में अपने नोबेल ‘स्नो क्रैश’ में किया था।

मेटावर्स से किसे लाभ मिलेगा?
कोई व्यक्ति एपल, फेसबुक, गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी बड़ी टेक कंपनियों के बारे में काफी ज्यादा अध्ययन करे, तो उसे महसूस होगा कि टेक्नोलॉजिकल एडवांटेज इंडिस्पेंसबल हैं। मेटावर्स इसी श्रेणी में आती है। हम इन टेक्नोलॉजी से हमारे समाज, राजनीति और संस्कृति पर होने वाले प्रभाव के बारे में सोचने से भी नहीं रह सकते।

मेटावर्स को तैयार होने में 15 साल का वक्त लगेगा
फेसबुक ने कहा है कि मेटावर्स ऐसी कंपनी नहीं है जिसे रातोंरात तैयार किया जाए। मेटावर्स के डेवलपमेंट के लिए कुछ नॉन प्रॉफिट ग्रुप्स ने 50 मिलियन डॉलर (लगभग 376 करोड़ रुपए) की फंडिंग की है। हालांकि, इसे तैयार होने में 10 से 15 साल का वक्त लग सकता है। हालांकि, कुछ आलोचकों का कहना है कि हाल ही के महीनों में हुए घोटालों से ध्यान हटाने के लिए कंपनी ने इसे डिजाइन किया है।

फेसबुक के पास AI और रियलटी लैब
फेसबुक का कॉर्क आयरलैंड में एक रियलिटी लैब है। उसने फ्रांस में एक AI (ऑग्मेंटेड रियलटी) रिसर्च लैब खोली है। 2019 में फेसबुक ने AI एथिकल रिसर्च सेंटर बनाने के लिए म्यूनिख की टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी के साथ भागीदारी की है। कंपनी अगले 5 साल में जिन लोगों को नौकरी देगी उनमें हाईली स्पेशलाइज्ड इंजीनियर्स शामिल होंगे।

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