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पवनहंस को मिला खरीदार: सरकारी हेलिकॉप्टर ऑपरेटर की 51% हिस्सेदारी खरीदेगा स्टार9, लंबे समय से घाटे में कंपनी

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नई दिल्लीएक घंटा पहले

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केंद्र सरकार ने पवन हंस लिमिटेड (PHL) में अपनी पूरी 51% हिस्सेदारी की बिक्री और मैनेजमेंट कंट्रोल के ट्रांसफर के लिए स्टार 9 मोबिलिटी प्राइवेट लिमिटेड की बोली को शुक्रवार को मंजूरी दी है। कैबिनेट कमेटी ऑफ इकोनॉमिक अफेयर्स (CCEA) ने अक्टूबर, 2016 में PHL के स्ट्रैटजिक डिसइन्वेस्टमेंट को मंजूरी दी थी। इस डिसइन्वेसटमेंट की पहले भी तीन बार कोशिश हो चुकी है।

पवनहंस भारत सरकार और ONGC का एक जॉइंट वेंचर है जो हेलिकॉप्टर और एयरो मोबिलिटी सर्विस देता है। भारत सरकार के पास कंपनी में 51% शेयर हैं और ONGC के पास 49% शेयर। ONGC भी भारत सरकार के स्ट्रैटजिक डिसइन्वेस्टमेंट ट्रांजैक्शन में सक्सेसफुल बिडर को अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचेगी। इसका प्राइस और टर्म्स एंड कंडीशन भी वही करेगी।

चौथी बार में मिली सफलता

  • फर्स्ट राउंड में, प्रिलिमनरी इन्फॉर्मेशन मेमोरेंडम (PIM) 13 अक्टूबर 2017 को जारी किया गया था जिसमें एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (ईओआई) मांगे गए थे। इसमें आए चार ईओआई में से केवल एक एलिजिबल पाया गया और ट्राजैक्शन कैंसिल कर दिया गया।
  • सेकेंड राउंड में, 14 अप्रैल, 2018 को EOI की मांग करते हुए PIM जारी किया गया था और दो बिडर्स को एलिजिबल पाया गया। उन्हें रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (RFP) जारी किया गया। इस बार भी अधूरी बोली के कारण ट्रांजैक्शन पूरा नहीं हो पाया।
  • थर्ड राउंड में, 11 जुलाई 2019 को EOI की मांग करते हुए PIM जारी किया गया। इस बार भी आए चार ईओआई में से केवल एक को ही एलिजिबल पाया गया प्रोसेस को को कैंसिल कर दिया गया।
  • 8 दिसंबर 2020 को चौथी बार EOI मांगे गए। इस बार 7 EOI मिसे और चार इंटरेस्टेड बिडर्स को एलिजिबल बिडर्स के रूप में चुना गया। इसके बाद क्वालिफाइड बिडर्स को फाइनेंशिलयल बिड जमा करने के लिए आमंत्रित किया गया। इसमें तीन फाइनेंशियल बिड प्राप्त हुईं।

स्टार9 मोबिलिटी की 211.14 करोड़ की बिड
PHL की 51% हिस्सेदारी की बिक्री के लिए रिजर्व प्राइस 199.92 करोड़ रुपए तय किया गया था। मेसर्स स्टार9 मोबिलिटी प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स महाराजा एविएशन प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स अल्मास ग्लोबल अपॉर्चुनिटी फंड SPC ने 211.14 करोड़ रुपए की बिड लगाई थी। अन्य दो बिड 181.05 करोड़ रुपए और 153.15 करोड़ रुपए की थीं। विचार-विमर्श के बाद, सरकार ने स्टार9 मोबिलिटी की फाइनेंशिलयल बिड को स्वीकार किया।

अब आगे की प्रोसेस क्या होगा?
अगली स्टेप में अब लेटर ऑफ अवार्ड जारी किया जाएगा, शेयर पर्चेज एग्रीमेंट पर साइन होंगे और ट्रांजैक्शन क्लोज होगा। PHL को पिछले तीन सालों (FY-19, FY-20 और FY-21) से घाटा हो रहा है। कंपनी के पास 42 हेलिकॉप्टरों का बेड़ा है, जिनमें से 41 खुद कंपनी ने खरीदे हैं। इन हेलिकॉप्टरों की एवरेज एज 20 साल से ज्यादा है।

1985 में बनी थी कंपनी
पवन हंस देश का एकमात्र सरकारी हेलिकॉप्टर सर्विस प्रोवाइडर है। इस कंपनी की स्थापना अक्टूबर 1985 में हुई थी। 6 अक्टूबर 1986 को पवन हंस ने ओएनजीसी के लिए पहला कमर्शियल ऑपरेशन शुरू किया था। ONGC के लिए ऑपरेशन शुरू होने से कंपनी की विदेशी हेलिकॉप्टर पर निर्भरता खत्म हुई। इसके अलावा कंपनी नॉर्थ ईस्ट राज्यों के सरकारी कामों में भी हेलिकॉप्टर सर्विस देती है। पवनहंस दुर्घटना के कारण भी बदनाम रहा है।

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