Quick News Bit

नीरज-चोपड़ा की मां बोलीं-बेटे को 7 महीने से नहीं देखा: सामने होता तो माथा चूम लेती, बहू देसी या विदेशी आए-बस बेटा खुश रहे

0
  • Hindi News
  • Women
  • Had She Been In Front, She Would Have Kissed Her Forehead, Daughter in law, Desi Or Foreigner Just Son Should Be Happy.

नई दिल्ली2 मिनट पहलेलेखक: दीप्ति मिश्रा

  • कॉपी लिंक

वक्त शाम 5 बजे…. जगह हरियाणा के पानीपत जिले का खांद्रा गांव, जहां सात समंदर पार इतिहास रचने वाले एथलीट नीरज चोपड़ा का बचपन बीता। गांव में घुसते ही एक चौपाल पर लोगों का मजमा लगा नजर आया, जिस पर बड़े-बुजुर्गों के हुक्के की गुड़गुड़ाहट के बीच वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भारत को सिल्वर दिलाने वाले पहले भारतीय नीरज चोपड़ा की सराहना हो रही थी। परिवार बेटे की उपलब्धि से गदगद है।

वुमन भास्कर जब खांद्रा गांव पहुंचा तो चैपाल पर नीरज चोपड़ा के बाबा धर्मेद्र सिंह और पिता सतीश सिंह की खुशी उनके चेहरे की मुस्कुराहट से साफ झलक रही थी। बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है। चाचा भीम सिंह वहां बैठे सभी लोगों को अपने लाडले बेटे के किस्से सुना रहे हैं। गांव और घर के कुछ बालक आने-जाने वालों की खातिर-खुशामद और मुंह मीठा कराने में लगे हैं। मैंने भी कुछ देर चौपाल पर ही बैठकर नीरज के बचपन के बारे में जानने की उत्सुकता जताई।

ग्रेनेडा के एंडरसन पीटर्स ने गोल्ड जीता। चेक रिपब्लिक के जैकब ने कांस्य हासिल किया।

ग्रेनेडा के एंडरसन पीटर्स ने गोल्ड जीता। चेक रिपब्लिक के जैकब ने कांस्य हासिल किया।

13 साल की उम्र 80 किलो से ज्यादा था नीरज का वजन

पास में ही पगड़ी बांधे बैठे बाबा धर्मेंद्र ने हरियाणवी लहजे में बताना शुरू किया- ’घर का सबसे बड़ा बच्चा है नीरज। सबका बहुत लाडला रहा है। खासकर अपनी दादी-दादा का। दादी उसे अपनी गोद में बिठाकर लाड़-प्यार से कटोरा भर-भर के दूध पिलातीं। चूरमा और मलीदा खिलातीं। इस कारण 13 साल की उम्र में नीरज का वजन 80 किलोग्राम से ज्यादा हो गया। उसका मोटापा देखकर घर वाले फिक्रमंद होने लगे। तब उसे पानीपत की एक जिम में भेजा गया, जहां वह वजन कम करने के लिए खूब पसीना बहाता।

जेवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा के पिता सतीश सिंह और मां सरोज सिंह।

जेवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा के पिता सतीश सिंह और मां सरोज सिंह।

नीरज का पहला प्रयास देख हैरान हो गए कोच सर

धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि उन्हीं दिनों की बात है- एक दिन नीरज जिम से निकलकर पास के ही एक स्टेडियम में पहुंच गया। वहां कुछ बच्चे भाला फेंकने की प्रैक्टिस कर रहे थे। नीरज ने उन बच्चों से बात करके एक बार भला फेंकने की इच्छा जताई तो उन्होंने इसे भाला पकड़ा दिया। पहली बार में ही नीरज का इतनी दूर जा गिरा, जहां तक कई महीनों से प्रैक्टिस कर रहे बच्चे नहीं पहुंचा पाए थे।’

कोच ने पूछा लिया- तुम कौन? कहां प्रैक्टिस कर रहे हो? नीरज ने जवाब दिया- ‘जी मैं नीरज चोपड़ा। वजन कम करने के लिए खांद्रा गांव यहीं पास की जिम में आता हूं।’ इस पर कोच बोला- जिम छोड़ दो तुम और कल से स्टेडियम आओ। यहां वजन भी कम हो जाएगा। नीरज ने उसी दिन से जिम छोड़ दी और स्टेडियम जाकर प्रैक्टिस शुरू कर दी।

मैंने घर देखने और घर की महिलाओं से मिलने की इच्छा जताई। सफेद कुर्ता-पजामा पहने नीरज के पिता सतीश सिंह मुझे बैठक से करीब 400 मीटर दूर बने अपने घर लेकर गए। घर जाते वक्त मैंने पूछा- नीरज गांव कब से नहीं आए? इसके जवाब में पिता कहते हैं- करीब 7 महीने होने वाले हैं। ओलिंपिक मेडल जीतने के बाद दो दिन के लिए आया था। अभी उसके बैक टू बैक कुछ और टूर्नामेंट हैं, जो सिंतबर तक चलेंगे। उसके बाद उसे वक्त मिला तो वह घर आ सकता है। थोड़ी देर रुककर फिर बोले- पिछले करीब 10 से 12 साल में वह बमुश्किल एक महीने हमारे पास रहा होगा। अब तो उसे होली-दिवाली, रक्षाबंधन और जन्मदिन सब बाहर ही सेलिब्रेट करना पड़ता है।

अपने घर के बाहर खड़े वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीतने वाले नीरज चोपड़ा के पिता सतीश सिंह।

अपने घर के बाहर खड़े वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीतने वाले नीरज चोपड़ा के पिता सतीश सिंह।

आलीशान इमारत, जिसके बाहर खड़ी लग्जरी कार। घर के बाहर की ओर कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा था। उस घर में घुसते ही नीरज चोपड़ा की बहन गीता और चचेरी बहन संगीता मिलीं। कुछ कदम आगे बड़ी तो काले रंग का सूट पहने मां सरोज खड़ी थीं। हम लोग गेस्ट रूम की ओर बढ़ गए, जहां शुरू हुआ हमारी बातों का सिलसिला। हमारी बातचीत के बीच सतीश सिंह के फोन पर लगातार रिश्तेदार और जान-पहचान वालों के बधाई देने के लिए काॅल आ रहे थे।

सवालः बेटे की उपलब्धि से कितना खुश हैं?

मांः खुशी इतनी है, जिसे शब्दों में बयां नहीं कर सकती। जिस वक्त उसने प्रतियोगिता जीती, उस वक्त मैं खुशी से झूम उठी। लगा मेरे पास होता तो माथा चूम लेती। गले से लगा लेती। 7 महीने से आमने-सामने नहीं देखा है। उसकी बहुत याद आती है, लेकिन हम कभी उसे खुद से काॅल नहीं करते। वो हमेशा प्रैक्टिस के लिए दूसरे-दूसरे देशों में रहता है। वहां का टाइम और यहां का टाइम अलग होता है, इसलिए जब उसे टाइम मिलता है, तब वह खुद ही काॅल और वीडियो काॅल कर लेता है।

सवालः क्या आपके साथ वक्त बिताने के लिए कभी नीरज ने किचन में आपकी मदद की, या सिर्फ खेत में पापा की मदद करते हैं?

मांः जब यहां रहता था तो बाकी बच्चों की तरह खेत में काम करता था। घर का सामान लाने जैसे सभी काम में भी हाथ बंटाता था। अब यहां आता है तो उसके पास इतना वक्त नहीं होता है कि वह काम करे। काम करने वाले बहुत लोग हैं घर में। मैं खाना बनाती हूं, घर में सब साथ बैठकर खाते हैं। देर रात तक सब साथ बैठकर बातें करते हैं। हंसी-ठिठोली करते हैं। पिता सतीश मां की बात से सहमति जताते हुए कहते हैं- वह बाकी बच्चों की तरह ही है। सबसे मिलना, बात करना, आस-पड़ोस के हालचाल लेना और घर में सबके साथ खाना और बातें करना उसे पसंद है।

घर की एक दीवार पर सजीं गौरवान्वित करने वाली बेटे नीरज चोपड़ा की तस्वीरें।

घर की एक दीवार पर सजीं गौरवान्वित करने वाली बेटे नीरज चोपड़ा की तस्वीरें।

सवालः मां को बेटा का फौजी होना बड़ी बात लगती है या फिर देश के लिए मेडल जीतना, किससे ज्यादा खुशी मिलती है?

मांः बेटा सेना में सूबेदार है। वह सेना में देश की रक्षा कर रहा है। अभी खेल में मेहनत कर रहा है तो वहां भी देश के लिए मेडल जीत रहा है। देश का गौरव बढ़ा रहा है। दोनों ही जगह देशसेवा का काम कर रहा है, इसलिए मुझे उसके दोनों काम से खुशी है।

सवालः नीरज की कोई ऐसी आदत जो आपको पसंद न हो- जैसे देर तक सोना, खाना ठीक से न खाना या फिर स्कूल से शिकायत आना?

मांः नहीं। सभी बच्चे शरारती होते हैं, नीरज भी बचपन में शरारती रहा, लेकिन घर पर कभी उसकी शिकायत नहीं आई। पढ़ता था, तब जागना पड़ता था, लेकिन जब से खेल प्रैक्टिस शुरू कर दी, तब से उसे कभी जगाने की जरूरत नहीं पड़ी। वह खुद से उठ जाता। प्रैक्टिस के लिए स्टेडियम जाता और फिर टाइम से स्कूल जाता। वैसे भी वो सिर्फ मेरा बेटा नहीं है, घर में उसकी और भी मांएं हैं, पूरे परिवार का बेटा है, इसलिए उसकी किसी आदत को सुधारने में मुझे ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी।

मेडल जीतने के बाद नीरज ने तिंरगे के साथ पूरे स्टेडियम का चक्कर लगाया।

मेडल जीतने के बाद नीरज ने तिंरगे के साथ पूरे स्टेडियम का चक्कर लगाया।

सवालः नीरज को खाने में क्या पसंद है? बेटा जब घर लौटेगा तो आप क्या बनाएंगी?

मांः उसे खीर, हलवा और चूरमा बहुत पसंद है। जब वो घर आएगा, तब मैं उसके लिए चूरमा बनाउंगी। उसे चूरमा इतना पसंद है कि जब आता है, तब भी चूरमा खाता है और जाता है, तब भी चूरमा खाकर जाता है। वैसे सब खा लेता है, कतई नखरे नहीं करता। बस तला-भुना थोड़ा कम पसंद करता है।

सवाल: आपको कैसी बहू चाहिए?

मांः पहले थोड़ा मुस्कुराती हैं, फिर हरियाणवी में कहती हैं- देखो जी, परमात्मा कैसी जोड़ी बनाता है इनकी, इसमें तो टैम है अभी। बेटा चाहवे- अपने जैसी खिलाड़ी। बाकी चाहवे- पढ़ी-लिखी। अब देखो-पढ़ी-लिखी होवे या फिर खिलाड़ी। मैं सोच लेओ- तो हमार खातिर बनी थोड़े बैठी है, जो हमने सोच ली और मिल जावैगी। अगर बेटे को विदेशी लड़की पसंद आती है तो? जवाब में मां सरोज कहती हैं- देखो जी- बहू जैसी भी आबे, हम तो बस इतना चाहबे कि बेटा खुश रहे।

खबरें और भी हैं…

For all the latest Sports News Click Here 

 For the latest news and updates, follow us on Google News

Read original article here

Denial of responsibility! NewsBit.us is an automatic aggregator around the global media. All the content are available free on Internet. We have just arranged it in one platform for educational purpose only. In each content, the hyperlink to the primary source is specified. All trademarks belong to their rightful owners, all materials to their authors. If you are the owner of the content and do not want us to publish your materials on our website, please contact us by email – [email protected]. The content will be deleted within 24 hours.

Leave a comment