धरने का 11वां दिन, रेसलर्स ने लौटाई पुलिस सुरक्षा: बजरंग पुनिया ने सभी स्टूडेंट्स और स्टूडेंट यूनियनों से मांगा साथ, DU में आज निकालेंगे मार्च
पानीपत11 मिनट पहले
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भारतीय कुश्ती संघ (WFI) के अध्यक्ष बृजभूषण की गिरफ्तारी की मांग को लेकर पहलवानों का आज रविवार को 11वां दिन है। आज के दिन का धरना छात्रों के साथ रहेगा। बजरंग पुनिया ने सोशल मीडिया के माध्यम से छात्रों का साथ मांगा है।
उन्होंने ट्वीट कर लिखा है कि स्टूडेंट्स फॉर रेसलर्स। इसी के साथ उन्होंने 3 मार्च बुधवार को दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) के नॉर्थ कैंपस आर्ट फैकलेटी गेट नंबर 4 पर दोपहर 12 बजे सभी छात्रों को आने का आह्वान किया। यहां से पहलवान और छात्र मार्च निकालेंगे। जिसके गेस्ट मुख्य तौर पर बरजंग पुनिया खुद होंगे। इधर, सुप्रीम कोर्ट के आदेशों पर दिल्ली पुलिस ने शिकायतकर्ता सभी सातों महिला पहलवानों को पुलिस सुरक्षा दी थी। मगर, धरने पर बैठे खिलाड़ियों ने अपनी सुरक्षा फिलहाल लेने से मना कर दी है। खिलाड़ियों ने कहा है कि अगर वे जंतर-मंतर पर भी सुरक्षित नहीं है, तो वे कही भी सुरक्षित नहीं हैं। वे यहां शांति पूर्वक अपना धरना दे रहे हैं। यहां रोजाना उनके समर्थन में लोग आ रहे हैं और जा रहे हैं। मगर, उन्हें किसी से भी कोई दिक्कत नहीं है।
बृजभूषण बोलें- मैं एक पॉलिसी लेकर आया, इन्हें दिक्कत हो गई
बृजभूषण शरण सिंह ने मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा, ”जिन अध्यक्ष के घर आप आते थे, शादी में बुलाते थे, परिवार में आते थे। घुल-मिलकर रहते थे, जैसे एक परिवार हों। तब आपने कोई गोपनीय शिकायत नहीं की। आपको तब सारी दिक्कत हो जाती है, जब मैं एक पॉलिसी लेकर आता हूं।
ओलिंपिक में कौन जाएगा, कौन नहीं जाएगा, ये नियम बनाता हूं, तब आपको तकलीफ होती है। कुश्ती में सामान्य परिवार के बच्चे आते हैं। कहीं न कहीं उनके माता-पिता अपनी जरूरतों में कटौती करके बादाम-घी का इंतजाम करते हैं।
वे उम्मीद रखते हैं कि बेटा नेशनल, इंटरनेशनल खेलेगा। मैं आपको बताना चाहता हूं कि जिस मोदी जी की आज ये निंदा कर रहे हैं, जिस योगी जी की आज ये निंदा कर रहे हैं, दुनिया का कोई देश खिलाड़ियों को इतनी सहूलियत या पैसा नहीं देता, जितना हमारा देश देता है। कई देश तरसते हैं कि काश, हमें भारत से मौका मिलता।
‘राजनीति से प्रेरित है आंदोलन’
उन्होंने कहा, ”शुरू में लगता था कि आंदोलन मुझ तक सीमित है और मुझे ही हटाना चाहते हैं। अब लगता है कि यह आंदोलन शुरू से राजनीति से प्रेरित है। हरियाणा, राजस्थान, लोकसभा का चुनाव आ रहा है। विभाजन कैसे हो, यह सोची-समझी रणनीति है।
अब इनकी पिक्चर खुलकर सामने आ गई है। इनके मंच पर वे सारे तत्व हैं, जो मोदी विरोध और भाजपा विरोध में बहुत दिनों से सक्रिय हैं। अगर ये खिलाड़ियों का धरना होता तो सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद यह धरना उठ गया होता। ये इस्तीफे पर नहीं अड़े हैं।
मेरा कार्यकाल पूरा हो गया है। जब तक नया चुनाव नहीं होता, मैं अध्यक्ष हूं। बाद में इनकी मांग आई कि सांसद पद से इस्तीफा चाहिए, जो भी पद हों, उसका इस्तीफा चाहिए। जिला अध्यक्ष, राज्यों के अध्यक्ष का भी इस्तीफा चाहिए। यानी न खाता, न बही, जो ये कहें वही सही?”
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