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तेल कंपनियों को बड़ा नुकसान: 137 दिन तक पेट्रोल-डीजल के दाम नहीं बढ़े, इसलिए तेल कंपनियों को 19 हजार करोड़ का घाटा

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  • IOC, BPCL, HPCL Lost 1900 Crore | Fuel Price Freeze | Moody’s Rating Agency

नई दिल्ली2 घंटे पहले

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भारत के टॉप फ्यूल रिटेलर्स IOC, BPCL और HPCL को नवंबर से मार्च के बीच करीब 2.25 अरब डॉलर (19 हजार करोड़ रुपए) के रेवेन्यू का नुकसान हुआ है। इसकी वजह कच्चे तेल की कीमतों के बढ़ोतरी के बाद भी पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बदलाव नहीं करना है। मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस की रिपोर्ट में ये बात कही गई है। नवंबर में कच्चे तेल की कीमत करीब 80 डॉलर प्रति बैरल थी जो अब बढ़कर 110 डॉलर के पार पहुंच गई है।

ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने 4 नवंबर, 2021 से 21 मार्च, 2022 के बीच पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया था। मूडीज ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि कच्चे तेल की कीमत बढ़ने से कंपनियों को करीब 1900 रुपए प्रति बैरल का नुकसान हो रहा है। हालांकि, इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन, भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन ने 22 और 23 मार्च को पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 80 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी की है।

धीरे-धीरे बढ़ेंगे दाम
रेटिंग एजेंसी का अनुमान है कि IOC को लगभग 1-1.1 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है, जबकि BPCL और HPCL को लगभग 550-650 मिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है। रेटिंग एजेंसी ने कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि सरकार रिफाइनर को नुकसान से बचाने के लिए कीमतें बढ़ाने की अनुमति देगी। लगातार दो दिन 80-80 पैसे बढ़ने पर मूडीज ने कहा कि इससे संकेत मिलता है कि पेट्रोल-डीजल के दाम एक बार में न बढ़ाकर धीरे-धीरे बढ़ाए जाएंगे।

चुनाव के दौरान कीमतें नहीं बढ़ी
पिछले 137 दिनों से तेल की कीमतें स्थिर थीं। चुनाव से पहले कीमतें कम करना, चुनाव के दौरान कीमतों का स्थिर रहना और चुनाव के नतीजे आने के बाद कीमतें बढ़ना आम बात है। यह ट्रेंड पिछले 5 साल से बना हुआ है।

कैसे तय होती हैं पेट्रोल-डीजल की कीमतें?
जून 2010 तक सरकार पेट्रोल की कीमत निर्धारित करती थी और हर 15 दिन में इसे बदला जाता था। 26 जून 2010 के बाद सरकार ने पेट्रोल की कीमतों का निर्धारण ऑयल कंपनियों के ऊपर छोड़ दिया। इसी तरह अक्टूबर 2014 तक डीजल की कीमत भी सरकार निर्धारित करती थी, लेकिन 19 अक्टूबर 2014 से सरकार ने ये काम भी ऑयल कंपनियों को सौंप दिया।

अभी ऑयल कंपनियां अंतरराष्ट्रीय मार्केट में कच्चे तेल की कीमत, एक्सचेंज रेट, टैक्स, पेट्रोल-डीजल के ट्रांसपोर्टेशन का खर्च और बाकी कई चीजों को ध्यान में रखते हुए रोजाना पेट्रोल-डीजल की कीमत निर्धारित करती हैं। भारत अपनी तेल जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात पर 85 फीसदी निर्भर है। आम तौर पर कच्चा तेल 1 डॉलर प्रति बैरल महंगा होने पर देश में पेट्रोल-डीजल के दाम औसतन 55-60 पैसे प्रति लीटर बढ़ जाते हैं।

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