डेब्यू में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले विव्रांत की कहानी: पिता बनाना चाहते थे बॉक्सर, 15 साल की उम्र में पेरेंट्स खोए, बड़े भाई ने क्रिकेट छोड़ा
जम्मू9 मिनट पहले
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विव्रांत शर्मा…जम्मू की गलियों में क्रिकेट खेलकर निकला 23 साल का लड़का। आज इस नाम के चर्चे चारों ओर हैं। कारण, रविवार को मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में IPL के खेले गए लीग मैच में विव्रांत शर्मा ने SRH के लिए डेब्यू किया।
उन्होंने डेब्यू पारी में IPL के इतिहास में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले भारतीय बने। विव्रांत ने 47 गेंदों पर 69 रन की पारी खेली, इस दौरान उन्होंने 9 चौके और 2 छक्के लगाए। विव्रांत को मिनी ऑक्शन में 2.60 करोड़ में SRH ने अपने साथ जोड़ा था। इससे पहले वह नेट बॉलर के तौर पर टीम के साथ जुड़े थे।
विव्रांत के पापा सुशील शर्मा उन्हें और उनके बड़े भाई को विक्रांत शर्मा को बॉक्सर बनना चाहते थे। सुशील शर्मा जम्मू कश्मीर के लिए स्टेट स्तर पर बॉक्सिंग में प्रतिनिधित्व कर चुके थे। साल 2015 में किडनी फेल की वजह से उनका देहांत हो गया। उस समय विव्रांत केवल 14 साल के थे।
उनके बड़े भाई विक्रांत और बड़ी बहन ने ही उनको संभाला। उनकी मां भी 5 साल की उम्र में ही चल बसी थीं। बड़े भाई विक्रांत ने विव्रांत के क्रिकेट करियर के लिए अपनी क्रिकेट करियर को दांव पर लगा दिया। उन्होंने क्रिकेट को छोड़ कर पापा के जाने के बाद परिवार को संभाला और विव्रांत को क्रिकेटर बनाने पर पूरा फोकस कर दिया।
विक्रांत ने छोटे भाई विव्रांत के IPL में शानदार डेब्यू के बाद दैनिक भास्कर से बातचीत की और कहा कि आज विव्रांत ने उनका सपना पूरा कर दिया है। दो महीने के लंबे इंतजार के बाद आखिरकार भाई को मौका मिल गया। प्रस्तुत है विक्रांत से बातचीत के अंश
सवाल- विव्रांत की डेब्यू पारी को आप किस तरह से देखते है? आपको उम्मीद थी कि इस सीजन में डेब्यू कर सकते हैं?
जवाब- विव्रांत की इस पारी से खुश हूं। उसने मिले मौका का फायदा उठाया और अपना बेस्ट दिया। हालांकि SRH के प्ले ऑफ में नहीं पहुंचने की वजह से दुख है। IPL के इस सीजन के शुरू होने से पहले उम्मीद थी कि उन्हें कुछ मैचों के बाद मौका मिलेगा। पर टीम में जगह नहीं बन पाई। लेकिन भरोसा था कि एक-दो मैच में जरूर मौका मिलेगा।
सवाल- विव्रांत को IPL सीजन के आखिरी में मौका मिला है, ऐसे में मौका नहीं मिलने पर विव्रांत से आपकी इस बीच क्या बातचीत हुई?
जवाब-विव्रांत मौका नहीं मिलने से थोड़ा निराश जरूर थे। पर मैं हमेशा उन्हें यही कहा कि भरोसा रखो और धैर्य रखो। मौका जरूर आपको मिलेगा।
सवाल- आप और विव्रांत क्रिकेट की शुरुआत कैसे की? जबकि आपके पापा बॉक्सर थे?
जवाब- मेरे पापा का केमिकल का बिजनेस था। हम दो भाई और एक बहन हैं। मैं आजाद क्रिकेट स्टेडियम कोचिंग सेंटर में कोच रणधीर सिंह (राजन सर) के पास क्रिकेट की ट्रेनिंग लेने के लिए जाता था। विव्रांत मेरे से 10 साल छोटा है। 6 साल की उम्र से मेरे साथ वह भी राजन सर के पास जाने लगा। मैं भी क्लब स्तर पर क्रिकेट खेल चुका हूं। मैं भी लेफ्ट आर्म स्पिनर था। मुझे देखकर ही उसने गेंदबाजी शुरू की। हम दोनों को राजन सर ने क्रिकेट की बारीकियां बताईं। वहीं मेरे पापा स्टेट स्तर पर बॉक्सिंग में मेडल जीत चुके थे। वे हमें बॉक्सर ही बनाना चाहते थे। वे मुझे बॉक्सिंग रिंग पर भी लेकर गए थे। पर मेरा मन नहीं लगा। मेरी रुचि को देखते हुए पापा मेरे क्रिकेट खेलने पर राजी हो गए।
विव्रांत शर्मा ने 6 साल की उम्र में क्रिकेट की शुरुआत की।
सवाल- आपने विव्रांत को क्रिकेटर बनाने के लिए अपनी करियर दांव पर लगाई। अब विव्रांत के बेहतर प्रदर्शन के बाद क्या आपको लगता है कि डिसीजन सही था?
जवाब- 2015 में पापा हम लोगों को छोड़कर चले गए। हमारी मां का देहांत 2005 में हो गया था। उस समय विव्रांत 4 साल का होगा। उसके बाद पापा ने ही हम तीनों भाई-बहनों को संभाला। मैं विव्रांत से 10 साल बड़ा हूं। मां के जाने के बाद विव्रांत की देखभाल मैं ही करता था। वह मेरे ज्यादा करीब आ गया था।
उसके बाद विव्रांत के करियर को संभालने की जिम्मेदारी मेरे ऊपर पूरी तरह से आ गई। पापा के देहांत के समय विव्रांत करीब 15 साल का था। वह जम्मू से स्टेट खेलने लगा था। मुझे लगा कि विव्रांत क्रिकेट में कुछ कर सकता है। वह बेहतर तैयारी कर सके, इसलिए मैं भी उसके साथ स्टेडियम फिर से जाने लगा।
मैंने धीरे-धीरे क्रिकेट को अलविदा कह दिया। हालांकि विव्रांत आजाद क्रिकेट स्टेडियम कोचिंग सेंटर में कोच रणधीर सिंह (राजन सर) के पास जाता रहा। मुझे लगता है कि मेरा डिसीजन बिल्कुल सही थी। मुझे भरोसा है कि वह टीम इंडिया में भी अपनी जगह बनाने में सफल होंगे।
अंडर-16 जम्मू क्रिकेट टीम में विव्रांत (नीचे में बायें में सबसे पहले बैठे हुए हैं) को मौका मिला।
सवाल- विव्रांत सनराइजर्स हैदराबाद के संपर्क में कैसे आए?
जवाब- विव्रांत सनराइजर्स हैदराबाद के साथ पिछले सीजन से नेटबॉलर के तौर पर जुड़ा है। वहां तक ले जाने का श्रेय जम्मू के खिलाड़ी और सनराइजर्स हैदराबाद से खेल रहे अब्दुल समद को जाता है। मैं और मेरा भाई विव्रांत मौलाना आजाद क्रिकेट स्टेडियम कोचिंग सेंटर में कोच रणधीर सिंह (राजन सर) के पास ट्रेनिंग लेने के लिए जाते हैं। अब्दुल समद और उमरान मलिक दोनों ही वहीं पर प्रैक्टिस करते हैं।
पिछले सीजन में जब सनराइजर्स हैदराबाद से लेफ्ट आर्म स्पिनर राशिद खान दूसरी फ्रेंचाइजी में चले गए तो उन्हें एक लेफ्ट आर्म स्पिनर की तलाश थी। विव्रांत लेफ्ट स्पिनर हैं। समद इनकी गेंदों पर बल्लेबाजी की प्रैक्टिस करते हैं। समद ने सनराइजर्स हैदराबाद के कोचिंग स्टाफ को विव्रांत के बारे में बताया और उनकी गेंदबाजी और बैटिंग का वीडियो बनाकर सनराइजर्स हैदराबाद के कोचिंग स्टाफ के पास भेजा। बाद में SRH की ओर से विव्रांत को हैदराबाद बुलाया गया। उसके बाद उनका सिलेक्शन नेटबॉलर के तौर पर हो गया।
सवाल-विव्रांत की गेंदबाजी और बल्लेबाजी में निखार आने का श्रेय आप किसको देना चाहते हैं?
जवाब- विव्रांत की गेंदबाजी और बल्लेबाजी को निखारने में जम्मू के ही रणजी खिलाड़ी मिथुन मिन्हास सहित ब्रायन लारा और मुथैया मुरलीधरन और बिशन सिंह बेदी को जाता है। जब विव्रांत सनराइसर्ज हैदराबाद के नेटबॉलर बने तो वहां के कोचिंग स्टाफ में शामिल ब्रायन लारा ने उनकी बल्लेबाजी पर काम किया। वहीं ऑफ स्पिनर मुथैया मुरलीधरन ने उनकी गेंदबाजी को निखारने में मदद की।
वहीं जब विव्रांत 14 साल के थे, तो उनका चयन नॉर्थ जोन के कैंप में हुआ था। उस समय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर बिशन सिंह बेदी ने उनकी गेंदबाजी को निखारने में काफी मदद की। उसके बाद उनकी गेंदबाजी में काफी सुधार हुआ।
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