डायरेक्ट सेलिंग की आड़ में MLM फ्रॉड: ED ने एमवे इंडिया की 757 करोड़ रुपए की संपत्ति अटैच की, कमाई के लालच में मेंबर बन रहे थे लोग
नई दिल्ली6 घंटे पहले
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प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने डायरेक्ट सेलिंग कंज्यूमर गुड्स कंपनी एमवे इंडिया एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड की 757 करोड़ रुपए से ज्यादा की संपत्ति को एंटी मनी लॉन्ड्रिंग लॉ के तहत अटैच किया है। सोमवार को ED ने इसकी जानकारी दी।
ये कंपनी डायरेक्ट सेलिंग की आड़ में MLM पिरामिड स्कीम चला रही थी। एमवे के अलावा टपरवेयर, ओरिफ्लेम जैसी कंपनियां भी है जो भारत में इसी तरह से MLM पिरामिड फ्रॉड चला रही थी। डायरेक्ट सेलिंग का मतलब है सीधे ग्राहकों को सामान बेचना।
एमवे की अस्थायी रूप से अटैच संपत्तियों में तमिलनाडु के डिंडीगुल जिले में लैंड और फैक्ट्री बिल्डिंग, प्लांट और मशीनरी, वाहन, बैंक खाते और फिक्सड डिपॉजिट शामिल हैं। किसी प्रॉपर्टी को अटैच करने का मतलब है कि इसे ट्रांसफर, कनवर्ट या मूव नहीं किया जा सकता है।
एमवे की अटैच कुल 757.77 करोड़ रुपए की संपत्ति में से अचल और चल संपत्ति 411.83 करोड़ की है। बाकी एमवे से जुड़े 36 अकाउंट में रखा 345.94 करोड़ का बैंक बैलेंस है।
एमवे के ज्यादातर प्रोडक्ट काफी महंगे
प्रवर्तन निदेशालय ने कंपनी पर मल्टी-लेवल मार्केटिंग स्कैम चलाने का आरोप लगाया है, जहां कंपनी के ज्यादातर प्रोडक्ट की कीमतें ओपन मार्केट में उपलब्ध रेपुटेड मैन्युफैकचर्स के पॉपुलर प्रोडक्ट की तुलना में काफी ज्यादा थीं।
ED की ओर से की गई मनी लॉन्ड्रिंग जांच में पता चला कि एमवे डायरेक्ट सेलिंग मल्टी-लेवल मार्केटिंग नेटवर्क की आड़ में पिरामिड फ्रॉड चला रहा था। हालांकि, एमवे इंडिया ने अभी तक आरोपों का जवाब नहीं दिया है।
एमवे के प्रोडक्ट की कीमत बाजार में मौजूद इसी तरह के दूसरे प्रोडक्ट की तुलना में काफी ज्यादा है।
कमाई के लालच में मेंबर बन रहे थे लोग
ED ने कहा कि ‘वास्तविक तथ्यों को जाने बिना, आम भोली भाली जनता कंपनी के मेंबर बनने के लिए बहुत महंगी कीमतों पर प्रोडक्ट खरीदकर अपनी मेहनत की कमाई खो रहे थे। नए मेंबर प्रोडक्ट को इस्तेमाल करने के लिए नहीं खरीद रहे थे, बल्कि अपलाइन मेंबर के दिखाए अमीर बनने के लालच में ऐसा करते थे।
वास्तविकता यह है कि अपलाइन मेंबर को मिलने वाला कमीशन प्रोडक्ट की कीमतों की बढ़ोतरी में बहुत बड़ा योगदान देता है।’ पिरामिड स्कीम और डायरेक्ट सेलिंग एक जैसे ही लगते हैं, लेकिन फर्क प्रोडक्ट को लेकर आता है। डायरेक्ट सेलिंग में पैसे प्रोडक्ट खरीदने के देने होते है, और पिरामिड स्कीम में जॉइनिंग फीस के नाम पर पैसे मांगे जाते हैं।
कंपनी का पूरा फोकस प्रोडक्ट बेचने पर नहीं
एजेंसी ने कहा, ‘कंपनी का पूरा फोकस यह प्रचार करने पर है कि कैसे मेंबर बनकर अमीर बन सकते हैं। प्रोडक्ट पर कोई ध्यान नहीं है। प्रोडक्ट का इस्तेमाल MLM पिरामिड फ्रॉड को चलाने के लिए किया जाता है।’ सरकार ने दिसंबर में डायरेक्ट सेलिंग कंपनियों पर पिरामिड स्कीमों को प्रमोट करने पर रोक लगा दी थी।
कंज्यूमर प्रोटेक्शन (डायरेक्ट सेलिंग) रूल्स, 2021 का उद्देश्य कंज्यूमर के अधिकारों की रक्षा करना है। नोटिफाई किए गए नियमों में कहा गया था कि राज्य सरकारों को सीधी बिक्री से जुड़ी कंपनियों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए व्यवस्था बनानी होगी।
क्या है पिरामिड स्कीम?
पिरामिड स्कीम एक तरह का मल्टी लेयर्ड नेटवर्क होता है। इस स्कीम में एक व्यक्ति अन्य व्यक्तियों को जोड़ता है। नए व्यक्ति को जोड़ने पर उसे डायरेक्ट या इनडायरेक्ट रूप से कोई न कोई बेनिफिट मिलता है। इस स्कीम में मनी-सर्कुलेशन यानी पैसे को घुमाया जाता है, जिसमें नए जुड़े लोगो का पैसा पुराने लोगो को मिलता है।
पिरामिड के नीचे वाले लोगों को अक्सर इसमें लॉस उठाना पड़ता है। पिरामिड स्कीम पर भारत समेत अधिकतर देशों में पाबंदी है। लेकिन, ये कंपनियां सीधे पैसों का सर्कुलेशन न कर अपने प्रोडक्ट के जरिए मनी सर्कुलेशन करती है। इस वजह से सरकार ने इस पर बैन लगाने का फैसला किया है।
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