डायरेक्ट सेलिंग कंपनियों पर शिकंजा: एमवे जैसी कंपनियों की पिरामिड स्कीम पर सरकार ने रोक लगाई, नेटवर्किंग के जरिए नहीं बेच सकेंगे प्रोडक्ट
नई दिल्लीएक मिनट पहले
- कॉपी लिंक
केंद्र सरकार ने मंगलवार को एमवे, ओरिफ्लेम और टपरवेयर जैसी डायरेक्ट सेलिंग वाली कंपनियों की पिरामिड और मनी सर्कुलेशन स्कीम पर रोक लगा दी। डायरेक्ट सेलिंग का मतलब है सीधे ग्राहकों को सामान बेचना। वहीं पिरामिड स्कीम का मतलब नेटवर्क मार्केटिंग है।
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की ओर से मंगलवार को ‘द कंज्यूमर प्रोटेक्शन (डायरेक्ट सेलिंग) रूल्स 2021’ नोटिफाई किए गए हैं। कंपनियों को नए नियमों का 90 दिनों के भीतर अनुपालन करना होगा। पिरामिड स्कीम और डायरेक्ट सेलिंग एक जैसे ही लगते है, लेकिन फर्क प्रोडक्ट को लेकर आता है। डायरेक्ट सेलिंग में पैसे प्रोडक्ट खरीदने के देने होते है, और पिरामिड स्कीम में जॉइनिंग फीस के नाम पर पैसे मांगे जाते हैं।
ई-कॉमर्स सेलर भी नियमों के दायरे में
नोटिफाई किए गए नियमों में कहा गया है कि राज्य सरकारों को सीधी बिक्री से जुड़ी कंपनियों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए व्यवस्था बनानी होगी। नियमों के दायरे में डायरेक्ट सेलिंग कंपनियों के अलावा ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर सीधे ग्राहकों को सामान बेचने वाले सेलर भी आएंगे।
क्या है पिरामिड स्कीम?
पिरामिड स्कीम एक तरह का मल्टी लेयर्ड नेटवर्क होता है। इस स्कीम में एक व्यक्ति अन्य व्यक्तियों को जोड़ता है। नए व्यक्ति को जोड़ने पर उसे डायरेक्ट या इनडायरेक्ट रूप से कोई न कोई बेनिफिट मिलता है।
इस स्कीम में मनी-सर्कुलेशन यानी पैसे को घुमाया जाता है, जिसमें नए जुड़े लोगो का पैसा पुराने लोगो को मिलता है। पिरामिड के नीचे वाले लोगों को अक्सर इसमें लॉस उठाना पड़ता है।
पिरामिड स्कीम पर भारत समेत अधिकतर देशों में पाबंदी है। लेकिन, ये कंपनियां सीधे पैसों का सर्कुलेशन न कर अपने प्रोडक्ट के जरिए मनी सर्कुलेशन करती है। इस वजह से सरकार ने इस पर बैन लगाने का फैसला किया है।
For all the latest Business News Click Here
For the latest news and updates, follow us on Google News.