ठेले पर कुल्फी बेचता है नेशनल चैम्पियन: रीवा का दिव्यांग एथलीट प्रैक्टिस के लिए नंगे पैर दौड़ा; जानिए संघर्ष
- Hindi News
- Local
- Mp
- Rewa
- Success Story Of Divyang Athletics Sachin Sahu Rewa Madhya Pradesh, Madhya Pradesh Hindi News, Madhya Pradesh Sports News, Rewa News
रीवा28 मिनट पहलेलेखक: सुरेश मिश्रा
MP में दिव्यांग नेशनल चैंपियन आइसक्रीम बेचने को मजबूर है। चार साल की कठिन मेहनत के बाद उसने ओडिशा के भुवनेश्वर में कलिंगा स्टेडियम में एथलेटिक्स की 20वीं नेशनल चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल जीता है। दिव्यांग खिलाड़ी सचिन साहू (21) रीवा के रहने वाले हैं। सचिन का बायां पैर छोटा है। उन्होंने 400 मीटर की रेस 1.17 सेकंड में पूरी की।
प्रतियोगिता 28 मार्च से 31 मार्च के बीच आयोजित की गई थी। उसकी सफलता की राह यूं ही आसान नहीं थी। उसके पास प्रैक्टिस करने के लिए जूते नहीं थे। नंगे पैर कंकड़-पत्थर भरे मैदान में उसने दौड़ की प्रैक्टिस की। पढ़िए उसके संघर्ष की कहानी…
मेरे परिवार की माली हालत अच्छी नहीं है। मुझे प्रैक्टिस करने के लिए जूते तक नहीं मिले। दिव्यांगता और आर्थिक परिस्थितियों से मैंने कभी हार नहीं मानी। रीवा के उबड़-खाबड़ मैदान में ही जिंदगी की रेस लगा दी। चार साल के संघर्ष के बाद मैंने ये मुकाम हासिल किया। जब भी प्रतियोगिता में जाता हूं, तब किराया भाड़े की दिक्कत आती है। इसलिए किराया जमा करने के लिए दोपहर और रात में कुल्फी का ठेला लगाता हूं। पिता राम नरेश साहू और बड़े भाई कुल्फी का ठेला लगाकर गुजर बसर करते हैं। मैं भी उनका हाथ बंटाता हूं। 10वीं तक ही पढ़ाई की है।
क्रिकेटर बनने की थी चाहत
2015 से 2019 तक मैं क्रिकेट खेलता रहा, लेकिन दिव्यांग होने के कारण क्रिकेट में कुछ खास सफलता हासिल नहीं कर सका। फिर सोशल मीडिया के माध्यम से ग्वालियर के एथलेटिक्स कोच बीके धवन से संपर्क किया। उन्होंने एथलेटिक्स में किस्मत आजमाने की सलाह दी। एथलेटिक्स की डगर बड़ी कठिन रही। सबसे पहले ग्वालियर में ट्रायल हुआ। वहां से स्टेट टीम में सिलेक्शन होने पर टीटी नगर भोपाल स्टेडियम पहुंचा। कई दौर के प्रशिक्षण के बाद 2020 में नेशनल क्वालिफाई किया, लेकिन कोविड के कारण प्रतियोगिता रुक गई। यही प्रतियोगिता 2021 में हुई, लेकिन 100 मीटर की रेस में चौथी रैंक आई।
रीवा के रहने वाले सचिन साहू ने ओडिशा के भुवनेश्वर के कलिंगा स्टेडियम में एथलेटिक्स की 20वीं नेशनल चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल जीता है।
असफलता पर हताश हुआ, पर हार नहीं मानी
2021 में हुई स्पर्धा में चौथी रैंक आने के बाद मैं हताश तो हुआ पर मैंने हार नहीं मानी। रीवा आकर सुबह 4 बजे से 7 बजे तक रेलवे स्टेशन के समीप ग्राउंड में रेस शुरू की। कुछ दिन बाद रेलवे ने ग्राउंड में गिट्टी का ढेर रख दिया। इसके बाद भी कंकड़-पत्थर भरे मैदान में गिरता रहा, लेकिन प्रैक्टिस बंद नहीं की। हम मूलत: उमरिया जिले के आसोढ के समीप पटना गांव में रहते हैं। परिवार में माता-पिता के साथ चार बहनें और दो भाई हैं। दो बहनों और बड़े भाई की शादी हो चुकी है। परिवार की माली हालत देखकर रिश्तेदार राजू साहू ने अपना मकान दिया।
For all the latest Sports News Click Here
For the latest news and updates, follow us on Google News.