टाटा सन्स और साइरस मिस्त्री विवाद: साइरस को चेयरमैन पद से हटाए जाने का मामला, रिव्यू पिटिशन पर सुप्रीम कोर्ट करेगा विचार
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नई दिल्ली9 मिनट पहले
टाटा सन्स के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री की रिव्यू पिटिशन पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। चीफ जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम की बेंच इम मामले पर विचार करेगी। पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें टाटा ग्रुप के एक्जीक्यूटिव चेयरमैन पद से हटाए जाने के फैसले को सही ठहराया था। साइरस मिस्त्री ने इसी फैसले को लेकर पुनर्विचार की याचिका दायर की थी।
जब कोर्ट ने कहा- कानून टाटा सन्स के पक्ष में
साइरस मिस्त्री के शापूरजी पलोनजी समूह के जरिए दायर याचिका में 26 मार्च 2021 को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि कानून के सभी सवाल टाटा के पक्ष में हैं। मामले की सुनवाई पूर्व चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े की बेंच कर रही थी।
तब कोर्ट ने कहा था कि विफल हुए व्यापारिक फैसलों और किसी व्यक्ति को डायरेक्टर के पद से हटाए जाने को हम अल्पसंख्यक समुदाय के प्रति अत्याचार या पक्षपात नहीं मान सकते हैं। शेयरों को लेकर जो भी मतभेद है, उसे लेकर दोनों पार्टियां कानूनी रास्ता अपना सकती हैं।
4 साल के अंदर चेयरमैन पद से हटा दिए गए मिस्त्री
दिसंबर 2012 में रतन टाटा ने टाटा सन्स के चैयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया था। उसके बाद सायरस मिस्त्री को ये पद सौंपा गया, लेकिन चार साल के अंदर 24 अक्टूबर 2016 को टाटा सन्स ने उन्हें चेयरमैन पद से हटा दिया। उनकी जगह रतन टाटा को अंतरिम चेयरमैन बनाया गया था। टाटा सन्स का कहना था, मिस्त्री के कामकाज का तरीका टाटा सन्स के काम करने के तरीके से मेल नहीं खा रहा था।
इसी वजह से बोर्ड के सदस्यों का मिस्त्री पर से भरोसा उठ गया था। मिस्त्री को हटाने के बाद 12 जनवरी 2017 को एन चंद्रशेखरन टाटा सन्स के चेयरमैन बनाए गए। टाटा के 150 साल से भी ज्यादा के इतिहास में सायरस मिस्त्री छठे ग्रुप चेयरमैन थे।
करीब 5 साल से ट्रिब्यूनल और कोर्ट में चल रहा है मामला
सायरस मिस्त्री ने दिसंबर 2016 में कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) में खुद को चैयरमैन पद से हटाए जाने के खिलाफ याचिका दायर की थी। जुलाई 2018 में NCLT ने मिस्त्री की याचिका खारिज कर दी और टाटा सन्स के फैसले को सही बताया।
इसके खिलाफ मिस्त्री कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) गए। दिसंबर 2019 में NCLAT ने मिस्त्री को दोबारा टाटा सन्स का चेयरमैन बनाने का आदेश दिया। इसके खिलाफ टाटा सन्स ने जनवरी 2020 में सुप्रीम कोर्ट में अपील की।
टाटा सन्स और टाटा ग्रुप दोनों अलग
अक्सर लोग टाटा सन्स और टाटा ग्रुप को एक ही समझ लेते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है। दोनों अलग-अलग है। टाटा सन्स, टाटा ग्रुप की होल्डिंग कंपनी है। टाटा ग्रुप के बारे में कहा जाता है कि वो सुई से लेकर हवाई जहाज तक बनाता है।
टाटा ग्रुप में 100 से ज्यादा कंपनियां हैं। इन सभी का कंट्रोल टाटा सन्स के पास ही है। ग्रुप की सभी प्रमुख कंपनियों में टाटा सन्स की हिस्सेदारी 25 से लेकर 73% तक है। सबसे ज्यादा 73% हिस्सेदारी टाटा इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन में है।
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