Quick News Bit

जरूरत की खबर: अपने बच्चे को IPL में खेलते देखना है तो वेंकटेश अय्यर की मां और एक्सपर्ट कोच से जानिए कैसे करें शुरुआत

0

2 घंटे पहलेलेखक: हिमांशु पारीक

हमारे देश में क्रिकेट को एक सफल करियर के तौर पर देखा जाता है। इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) ने क्रिकेट खिलाड़ियों को ऐसा मंच दिया है जिसमें पैसे के साथ शोहरत भी है। अगर आपका बच्चा भी IPL और फिर इंडियन टीम में क्रिकेट खेलना चाहता है, पर आपको नहीं पता कि कैसे होगी इसकी शुरुआत, तो हम आपको बताएंगे कि कैसे आप अपने बेटे या बेटी का करियर इस फील्ड में बना सकते हैं।

शुरुआत करते हैं एक सफल प्लेयर के बैकग्रांउड से

पेरेंट्स वेंकटेश अय्यर को IAS बनाना चाहते थे, पर कभी उन पर दबाव नहीं डाला।

पेरेंट्स वेंकटेश अय्यर को IAS बनाना चाहते थे, पर कभी उन पर दबाव नहीं डाला।

पेरेंट्स साथ दें, बच्चे पर दबाव न बनाएं
वेंकटेश अय्यर ने सितंबर 2021 में पहली बार IPL खेला और नवंबर 2021 में वे इंडिया टीम में पहुंच गए। वेंकटेश की तरह ही हर साल राहुल तेवतिया, हार्दिक पंड्या, चेतन साकरिया जैसे प्लेयर रातोंरात गुमनामी से निकलकर शोहरत की बुलंदियों पर पहुंच जाते हैं।

पर ये कैसे होता है, इसकी शुरुआत कैसे होती है? पेरेंटिग एंगल से इसे समझने के लिए हमने बात की वेंकटेश अय्यर की मां उषा अय्यर से।

सवाल- आपने वेंकटेश को क्रिकेटर बनाने के बारे में कब सोचा?

उषा अय्यर-: हमने कभी उसे एक क्रिकेटर बनाने के बारे में नहीं सोचा था। उसे क्रिकेट खेलने का शौक बहुत था। वह पढ़ाई में भी काफी अच्छा था, इसलिए हम उसे IAS बनाना चाहते थे। एक बार इंडिया और ऑस्ट्रेलिया के मैच में इंडिया हार गई। वेंकटेश इससे इतना दुखी हुआ कि उसे बुखार तक आ गया। यहीं से हमें उसका इंट्रेस्ट समझ आ गया और हमने उसे एकेडमी भेजने का फैसला किया।

वेंकटेश के हर फैसले में पापा राजशेखरन और मां उषा साथ खड़े रहे।

वेंकटेश के हर फैसले में पापा राजशेखरन और मां उषा साथ खड़े रहे।

सवाल: वेंकटेश की पढ़ाई और खेल को एक साथ कैसे मैनेज किया?
उषा अय्यर: यह शुरुआत में थोड़ा मुश्किल था। हम उसे एक मेहनती इंसान बनाना चाहते थे। जब वेंकटेश ने क्रिकेट खेलना शुरू किया तो उसे सुबह 5.30 बजे उठना पड़ता था। दिनभर की पढ़ाई और प्रैक्टिस करने के बाद वह रात को 10-11 बजे तक ही सोने जा पाता था। उसने कभी शिकायत नहीं की और हमने उस पर किसी एक चीज को चुनने का दबाव नहीं बनाया। उसने दोनों चीजों को बराबर समय दिया और यही कारण है कि आज वह एक क्रिकेटर होने के साथ-साथ MBA भी है।

सवाल: कभी ऐसा लगा कि वेंकटेश क्रिकेट में आगे नहीं बढ़ पाया तो क्या होगा?
उषा अय्यर: हमें उसके खेल पर हमेशा भरोसा था, पर फिर भी कभी ऐसी कोई चिंता नहीं हुई। वह खेल में जितना अच्छा है, पढ़ाई में उससे भी ज्यादा अच्छा था। हमें पता था कि अगर वह ज्यादा खेल नहीं पाया तो अच्छी पढ़ाई करके नौकरी तो पा ही लेगा। नौकरी तो उसकी लग भी गई थी, पर उसने खेलने का फैसला किया। खेलने का मतलब ये नहीं कि आप पढ़ाई छोड़ दें। इसे अपने खेल जितनी ही तवज्जो दें और हमेशा एक बैकअप प्लान के रूप में रखें।

सवाल: एक पेरेंट के नजरिए से बच्चे की क्रिकेट जर्नी में माता-पिता का कितना सहयोग रहता है?
उषा अय्यर: सिर्फ क्रिकेट ही नहीं, बच्चा जो कुछ कर रहा है, उसमें माता-पिता का रोल सबसे अहम है। माता-पिता के सहयोग के बिना बच्चा कुछ नहीं कर सकता। नौकरी होने के बावजूद मैं खुद या मेरी एब्सेंस में वेंकटेश के पापा उसे स्कूल से एकेडमी और एकेडमी से घर लाना-जाना करते थे, ताकि उसे हमेशा ये एहसास रहे कि हम उसके साथ हैं। हमने न तो कभी उसका स्कूल मिस होने दिया, न ही उसकी प्रैक्टिस। बच्चे को अनुशासित बनाना और हमेशा उसके साथ खड़े होना माता-पिता की जिम्मेदारी है।

पेरेंटिंग एंगल से तो आप समझ गए होंगे कि आपको क्या करना है। लेकिन बहुत-सी जरूरी बातें अब भी रह गई हैं, तो उन सबके जवाब तलाशते हैं।

सवाल: बच्चे का क्रिकेट में इंट्रेस्ट कैसे पहचानें?
जवाब:
बच्चे को क्रिकेट खेलने भेजने से पहले यह जरूर जान लें कि उसकी रूचि क्रिकेट खेलने में है भी या नहीं। क्रिकेट में रुचि पहचानने या विकसित करने के कई तरीके हो सकते हैं।

आमतौर पर चूंकि आप पेरेंट्स हैं तो बच्चों के साथ समय बिताने पर उनका इंट्रेस्ट वैसे ही नजर आ जाता है, पर इन 3 तरीकों से आप ऐसे भी पहचान सकते हैं-:

  • अगर आपका बच्चा क्रिकेट खेलने और देखने में काफी समय बिताता है।
  • उसके साथ घर में ही या आसपास क्रिकेट खेलें और उसका रिस्पॉन्स देखें। उसे क्रिकेट के बेसिक इक्विपमेंट्स जैसे बैट-बॉल आदि लाकर दें।
  • उसे स्टेडियम में मैच दिखाने ले जाएं या टीवी पर उसके साथ मैच देखें। समझने की कोशिश करें कि उसे ये खेल कितना उत्साहित करता है।

सवाल: किस उम्र में क्रिकेट सीखने के लिए भेजना चाहिए?
जवाब:
बच्चा क्रिकेट में इंट्रेस्टेड है तो 7-8 साल की उम्र उसे इस खेल से जोड़ने का सही समय है। बच्चों को बेसिक चीजें समझाने और सिखाने के लिए जैसे छोटी उम्र से ही स्कूल भेजना पड़ता है, वैसे ही क्रिकेट में हुनर निखारने के लिए भी जल्दी शुरुआत करनी पड़ती है।

क्रिकेट स्किल और प्रैक्टिस का खेल है। टैलेंट होने के बाद भी लगातार अच्छा परफॉर्म करते रहने के लिए आपके बच्चे को पर्याप्त प्रैक्टिस की जरूरत होगी। ऐसे में आप जितनी जल्दी उसकी प्रैक्टिस शुरू करेंगे, उसे अपनी गलतियां दूर करने का उतना ही समय मिलेगा और 19-20 साल का होने तक आपका बच्चा क्रिकेट में करियर बनाने के काबिल हो जाएगा।

इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि बड़े होने के बाद बच्चे क्रिकेट नहीं खेल सकते। कई ऐसे खिलाड़ी भी हुए हैं जिन्होंने 18 साल की उम्र के बाद क्रिकेट खेलना शुरू किया और वे आज इस खेल की बुलंदियों पर हैं।

सवाल: बच्चे के लिए सही क्रिकेट एकेडमी का चुनाव कैसे करें?
जवाब: अगर आप अपने बच्चे के लिए क्रिकेट को करियर के रूप में देख रहे हैं तो उसे एक प्रोफेशनल क्रिकेट एकेडमी में भेजना होगा। यहां से ही उसे पहले क्लब, डिस्ट्रिक्ट लेवल, स्टेट लेवल, फिर नेशनल लेवल, IPL और इंडियन टीम में खेलने के मौके मिलेंगे।

आजकल हर छोटे-बड़े शहर में क्रिकेट एकेडमी खुल गई हैं, पर अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए एक सही एकेडमी और कोच चुनना जरूरी है। दिल्ली कैपिटल्स के पूर्व असिस्टेंट कोच अजय रात्रा के अनुसार:

  • ऐसी एकेडमी का चुनाव करें जो आपके घर के एकदम पास हो। अगर बच्चे को एकेडमी जाने के लिए ज्यादा ट्रैवल करना पड़ेगा तो टाइम और एनर्जी दोनों बर्बाद होंगे। घर के पास कोई अच्छी एकेडमी नहीं है तो रिलोकेट होने के बारे में भी सोच सकते हैं।
  • अपने बच्चे के लिए ऐसा कोच चुनें जो बिना किसी पक्षपात के आपके बच्चे को ट्रेनिंग दे सके। अगर आपके कोच राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेल चुके हों तो और भी बेहतर है, पर इसे एक जरूरत न समझे। सचिन तेंदुलकर के कोच रमाकांत आचरेकर कभी किसी बड़े स्तर पर क्रिकेट नहीं खेले थे।
  • हमेशा ऐसी क्रिकेट एकेडमी चुनें जिसमें बैटिंग और बॉलिंग प्रैक्टिस के लिए सीमेंट और टॅर्फ पिच वाले नेट्स जरूर हों। एकेडमी में अच्छा फील्डिंग एरिया भी होना चाहिए, ताकि बच्चे का ऑल-राउंड स्किल डेवलपमेंट हो सके।
  • एकेडमी चुनते समय टाइमिंग का भी ध्यान रखें। ज्यादातर जगहों पर सुबह-शाम दो-दो घंटे प्रैक्टिस होती है। अपने बच्चे के लिए ऐसी टाइमिंग वाली एकेडमी चुनें, जिसमें उसका स्कूल भी मिस न हो और वह प्रैक्टिस पर भी रोज जा सके। क्रिकेट में टैलेंट के साथ-साथ रेगुलर प्रैक्टिस भी जरूरी है।
  • हमेशा ऐसी एकेडमी चुनें जिसके लगातार बाकी क्लबों के साथ मैच होते हों। भले ही आपका बच्चा नेट्स में अच्छा कर रहा हो पर मैच प्रैक्टिस बेहद जरूरी है। आखिरकार उसे तैयार तो मैच खेलने के लिए ही होना है।

बच्चों की अच्छी ट्रेनिंग के लिए पूर्व खिलाड़ियों जैसे वीरेंद्र सहवाग, हरभजन सिंह, सुरेश रैना, एमएस धोनी आदि की एकेडमी में प्रैक्टिस करना भी अच्छा विकल्प हो सकता है।

सवाल: एकेडमी में जाकर क्रिकेट खेलने में कितना खर्च होगा?
जवाब: अक्सर सुनने में आता है कि क्रिकेट एक महंगा खेल है, पर ये तथ्य पूरी तरह सही नहीं है। जैसे बच्चों को स्कूल भेजने के लिए फीस और किताबों के खर्च की जरूरत होती है, वैसा ही क्रिकेट में भी होता है।

एक क्रिकेट एकेडमी जॉइन करने के लिए बच्चे को प्रॉपर क्रिकेट किट चाहिए होगी। आमतौर पर ये किट बाजार में 3000 रुपए से मिलनी शुरू जाती है और इनकी कीमत 15000 रुपए तक हो सकती है। इसमें क्रिकेट खेलने के लिए जरूरी सभी चीजें जैसे बैट, बॉल, ग्लव्स, पैड, हेलमेट और बाकी चीजें आ जाती हैं।

क्रिकेट सीख रहे आपके बच्चे के लिए दूसरा मुख्य खर्च एकेडमी की फीस का होगा जो कि एकेडमी में मिलने वाली सुविधाओं और एकेडमी की लोकेशन पर निर्भर करता है। बड़े शहरों में कई एकेडमी 5 हजार रुपए से 15 हजार रुपए प्रति महीना फीस लेती हैं पर उनमें सुविधाएं भी उसी स्तर की होती हैं। कई छोटी और बेसिक सुविधाओं वाली एकेडमी 1000-2000 रुपए महीने में भी ट्रेनिंग देती हैं। जहीर खान, एमएस धोनी, भुवनेश्वर कुमार आदि ऐसी ही छोटी-छोटी एकेडमियों से निकले हैं।

कई राज्य एवं डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट एसोसिएशन ट्रायल्स के आधार पर चुने गए खिलाड़ियों को स्कॉलरशिप व अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध करवाते हैं। इनकी जानकारी समय-समय पर अखबारों में प्रकाशित होती रहती है। इनके मिलने पर आपके बच्चे का क्रिकेटर बनने का सफर और भी आसान हो सकता है।

सवाल: पढ़ाई और खेल का बैलेंस कैसे बनाएं?
जवाब:
दिल्ली स्थित सोनेट क्लब की विमेंस क्रिकेट कोच ख्याति गुलानी बताती हैं कि किसी भी खेल को पढ़ाई के साथ आसानी से मैनेज किया जा सकता है। वे मानती हैं कि पढ़ाई के साथ-साथ खेलने से बच्चों का आईक्यू लेवल बेहतर होता है। कई विदेशी टीमों के खिलाड़ी तो डॉक्टर, इंजीनियर भी होते हैं।

ख्याति के अनुसार पढ़ाई और क्रिकेट एक साथ बैलेंस करने के लिए टाइम मैनेजमेंट जरूरी है। अगर आपने खेल और पढ़ाई दोनों के टाइम को बांट लिया तो फिर कोई दिक्कत नहीं आती। दोनों चीजें एक साथ करने से बच्चा किसी एक चीज से बोर भी नहीं होता।

अंत में तोड़ते हैं कुछ भ्रांतियां

“खेलने में कॉम्पिटिशन इतना ज्यादा है, खिलाकर क्या फायदा?”

  • बिल्कुल खेल में कॉम्पिटिशन है पर वह तो पढ़ाई में भी होता है। कॉम्पिटिशन ही तो बच्चों को जिंदगी में आगे आने वाली चुनौतियों के लिए तैयार करता है।
  • आजकल खेल सिर्फ इंडिया टीम में खेलने को लेकर सीमित नहीं रह गया है।
  • खिलाड़ियों को हर साल IPL, स्टेट टीमों और अलग-अलग लीग्स में खेलने के मौके मिलते हैं।
  • रेलवे सहित कई सरकारी और गैर सरकारी संस्थान क्रिकेट खिलाड़ियों को नौकरी में भी प्रिफरेंस देते हैं। खिलाड़ी बतौर फिजिकल टीचर या कोच के रूप में भी अपना करियर बना सकते हैं। क्रिकेट या किसी भी अन्य खेल में पढ़ाई की तरह ही अपार संभावनाएं है।

“ये अमीरों का खेल है, इसमें मिडिल क्लास सफल नहीं होते।”

क्रिकेट सिर्फ अमीरों का खेल है, ये भ्रम से ज्यादा कुछ भी नहीं। अधिकतर खेलों की तरह क्रिकेट में भी आर्थिक मजबूती से ज्यादा आपका टैलेंट और आपकी मेहनत मायने रखते हैं। एमएस धोनी, उमेश यादव, मुनाफ पटेल, रवींद्र जडेजा जैसे खिलाड़ी कमजोर आर्थिक बैकग्राउन्ड से हैं, पर अपनी मेहनत के दम पर दुनिया में छा गए।

“खेल सिर्फ लड़कों के लिए है, लड़कियां तो पढ़ाई में ही आगे जाती हैं।”
खेल सिर्फ लड़कों के लिए है या फिर लड़कियों को सिर्फ हल्के खेल ही खेलने चाहिए, जैसी भ्रांतियां भी पूरी तरह गलत हैं। क्रिकेट में जितना आगे लड़के जा सकते हैं, उतना ही आगे लड़कियां भी जा सकती हैं।

महिला क्रिकेट की लोकप्रियता देखते हुए BCCI महिला IPL शुरू करने पर विचार कर रही है।

विमेंस क्रिकेट कोच ख्याति गुलानी के अनुसार महिलाओं के लिए भी क्रिकेट में राज्य, राष्ट्रीय, व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और नौकरी में बराबर के मौके हैं। चूंकि, अभी भारत में महिलाओं का क्रिकेट खेलने की ओर रुझान पुरुषों की तुलना में कम है, इसलिए सफलता की संभावनाएं भी ज्यादा हैं। महिला क्रिकेट को बढ़ावा देने के लिए अधिकतर एकेडमी मुफ्त में ट्रेनिंग और उपकरण भी उपलब्ध करवाती हैं।

खबरें और भी हैं…

For all the latest Sports News Click Here 

 For the latest news and updates, follow us on Google News

Read original article here

Denial of responsibility! NewsBit.us is an automatic aggregator around the global media. All the content are available free on Internet. We have just arranged it in one platform for educational purpose only. In each content, the hyperlink to the primary source is specified. All trademarks belong to their rightful owners, all materials to their authors. If you are the owner of the content and do not want us to publish your materials on our website, please contact us by email – [email protected]. The content will be deleted within 24 hours.

Leave a comment