चीन को एक और झटका: हुवावे के 5 जी नेटवर्क को कनाडा ने बैन किया, नेशनल सिक्योरिटी का दिया हवाला
ओटावा3 घंटे पहले
चीन की टेलीकॉम दिग्गज कंपनी हुवावे को कनाडा सरकार से तगड़ा झटका लगा है। कनाडाई सरकार ने हुवावे 5G नेटवर्क पर बैन लगाने का ऐलान किया है। इस बैन में चीन की ZTE कंपनी भी शामिल है। कनाडा ने बैन लगाने के पीछे नेशनल सिक्योरिटी का हवाला दिया है। इससे पहले अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड भी हुवावे पर बैन लगा चुके हैं।
कनाडा के साइंस एंड इनोवेशन मिनिस्टर ऑफ फ्रांस्वा-फिलिप शैम्पेन ने कहा कि हमने देश के टेलीकॉम इन्फ्रास्ट्रक्चर को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए यह फैसला लिया गया है। इसके तहत देश के टेलिकॉम इन्फ्रास्ट्रक्चर में हुवावे और ZTE के प्रोडक्ट्स और सर्विसेस को शामिल करने पर रोक लगाना शामिल है।
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पहले से इस्तेमाल हो रहे इक्विपमेंट्स भी हटाने होंगे
कनाडा के साइंस एंड इनोवेशन मिनिस्टर ऑफ फ्रांस्वा-फिलिप शैम्पेन। (फाइल फोटो)
शैम्पेन के मुताबिक, देश की सिक्योरिटी एजेंसियों की समीक्षा और सलाह के बाद यह फैसला लिया गया। इस फैसले के बाद कनाडा की कोई भी टेलीकॉम कंपनी हुवावे और ZTE के इक्विपमेंट्स और सर्विसेस को भी इस्तेमाल नहीं कर पाएगी। वहीं, जो भी देशी कंपनी इन इक्विपमेंट्स का इस्तेमाल कर रही हैं, उन्हें बैन किए गए कंपनी के इक्विपमेंट्स हटाने होंगे।
कई देशों ने कॉन्ट्रैक्ट देने से मना किया
स्वीडन सहित ब्रिटेन, कनाडा और ब्राजील बीते साल हुवावे को कॉन्ट्रैक्ट देने से इनकार कर चुके हैं। अमेरिका ही नहीं, यूरोप के कई देशों से भी चीन के रिश्ते महामारी के दौर में तनावपूर्ण हो चुके हैं। अब यह देश धीरे-धीरे चीन के खिलाफ कदम भी उठाने लगे हैं। यूरोप के बाकी देश भी इस ट्रेंड को फॉलो कर रहे हैं।
हुवावे पर गंभीर सवाल
अमेरिका और ब्रिटेन ने बीते साल की शुरुआत में ही हुवावे के ऑपरेशन्स और इक्युपमेंट्स पर सवालिया निशान लगाए थे। अमेरिकी दबाव के बाद कनाडा और ब्राजील ने ऐन वक्त पर हुवावे को कॉन्ट्रैक्ट देने से इनकार कर दिया था। अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने तो साफ कहा था कि हुवावे के जरिए चीन दूसरे देशों की जासूसी कर रहा है। इसके सबूत भी दिए गए थे।
डोनाल्ड ट्रम्प ने 2018 में ही एक आदेश जारी कर अमेरिकी टेलीकॉम सेक्टर में चीनी उपकरणों के इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी। जुलाई में ब्रिटेन ने भी यही किया था। ब्राजील और कनाडा ने हुवावे पर बैन के लिए अदालती आदेश का सहारा लिया था।
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