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गोदरेज इंडस्ट्रीज के MD नादिर गोदरेज का खास इंटरव्यू: अमेरिका में मंदी आई तो भी भारत पर ज्यादा असर नहीं, आने वाले दिनों में महंगाई कम होगी

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  • Even If There Is A Recession In America, There Will Not Be Much Effect On India, In The Coming Days, Inflation Will Be Less.

नई दिल्लीएक घंटा पहलेलेखक: भीम सिंह मीणा

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पूरी दुनिया महंगाई का सामना कर रही है, जिसके चलते मंदी की आशंका बनी हुई है। लेकिन गोदरेज इंडस्ट्रीज के प्रबंध निदेशक नादिर गोदरेज का कहना है कि ये चुनौतियां क्षणिक हैं। इनसे जल्द पार पा लिया जाएगा। पेश है उनसे बातचीत के अंश

अमेरिका में मंदी की आशंका जताई जा रही है। इसका भारत पर क्या असर होगा?
मुझे नहीं लगता है कि अमेरिका में लंबे समय तक की मंदी का कोई बड़ा खतरा है। मेटल और खाने की चीजों के दाम कम हो गए हैं। कच्चे तेल में भी गिरावट शुरू हो गई है। ऐसे में महंगाई घटेगी और मंदी की आशंका कमजोर होगी। वैसे अमेरिका में मंदी आती भी है तो भारतीय अर्थव्यवस्था और निर्यात पर ज्यादा असर नहीं होगा।

भारत में स्टैगफ्लेशन आने की कितनी आशंका है?
आगामी महीनों में देश में महंगाई तेजी से घटेगी। ऐसे में स्टैगफ्लेशन की आशंका कम है। चूंकि कमोडिटी के दाम अब नीचे आने लगे हैं, लिहाजा RBI को ब्याज दरें ज्यादा बढ़ाने की जरूरत भी नहीं रह जाएगी। फिर भी नीतिगत दरों में अब तक की तेज बढ़ोतरी और आगे हल्के इजाफा के कारण आर्थिक विकास में मामूली गिरावट आ सकती है।

रूस-यूक्रेन युद्ध का भारत पर क्या असर हुआ है?
कमोडिटी की ऊंची कीमतों से कुछ उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुए हैं, लेकिन कुछ को फायदा भी हुआ है। केमिकल इंडस्ट्री को सबसे ज्यादा लाभ हुआ है। एस्टेक लाइफ साइंसेज और गोदरेज इंडस्ट्रीज के ओलियोकेमिकल व स्पेशलिटी केमिकल बिजनेस, दोनों को फायदा हुआ है। एफएमसीजी बिजनेस थोड़ा प्रभावित हुआ है, लेकिन लागत में कटौती और बेहतर फोकस का मतलब निकट भविष्य में सुधार है। रियल एस्टेट पर ज्यादा असर नहीं हुआ है। फूड बिजनेस महंगाई से प्रभावित हुए हैं, लेकिन स्थिति में जल्द सुधार की संभावना है।

भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने का आइडिया कितना व्यवहारिक है?
हमें मैन्युफैक्चरिंग और सर्विसेज, दोनों को प्रोत्साहित करने की जरूरत है। यदि हमें विकसित देश बनना है तो रिसर्च और क्वालिटी एजुकेशन पर फोकस करना होगा। मेरे मित्र नौशाद फोर्ब्स ने अपनी किताब ‘द स्ट्रगल एंड द प्रॉमिस’ में लिखा है कि तेज आर्थिक विकास के लिए न सिर्फ सरकारी स्तर पर, बल्कि उद्योग जगत के साथ-साथ विश्वविद्यालयों को भी आरएंडडी पर ध्यान केंद्रित करना होगा।

चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन कैसा रह सकता है?
महंगाई पर लगाम कसने के लिए ब्याज दरें बढ़ाई जा रही हैं। इससे ग्रोथ प्रभावित हो सकती है। लेकिन महंगाई की चुनौती कम हो रही है और इस बीच चीन में लॉकडाउन भारतीय इंडस्ट्री को नए मौके दे रहा है। आर्थिक प्रगति के मामले में पूरी दुनिया भारत की तरफ उम्मीद से देख रही है। हम इस उम्मीद पर खरे उतर सकते हैं। ऊर्जा के पारंपरिक स्रोतों की ऊंची कीमतों के चलते स्वदेशी ग्रीन एनर्जी, सोलर पावर और पवन ऊर्जा के विकास को रफ्तार मिलनी चाहिए।

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