गुजरात के मितुल व्यास ने वर्ल्ड वेटरन चैम्पियनशिप में गोल्ड: कैंसर से ठीक होने के 6 महीने में ही टेटे शुरू किया बोले- खुद हार न मानो तो कोई हरा नहीं सकता
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अहमदाबाद7 मिनट पहलेलेखक: अली असगर देवजानी
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मितुल व्यास
गुजरात के टेबल टेनिस खिलाड़ी मितुल व्यास मानसिक रूप से काफी दृढ़ हैं। उनकी हालिया उपलब्धि यह साबित भी करती है। उन्होंने ओमान में वर्ल्ड वेटरन टेबल टेनिस चैम्पियनशिप की सांत्वना श्रेणी में पहला स्थान हासिल किया और वर्ल्ड चैम्पियन बने। लेकिन कुछ साल पहले कोई नहीं कह सकता था कि मितुल ऐसा कुछ कारनामा कर सकेंगे।
6 साल पहले मितुल को कैंसर का पता चला था। डॉक्टर्स ने सर्जरी की सलाह दी। लंबी सर्जरी के बाद डॉक्टर ने मितुल की पत्नी से कह दिया था कि तुम्हारे पति सिर्फ 72 घंटे ही जीवित रहेंगे। उनक बायां हाथ भी ऊपर नहीं उठेगा। हालांकि, मितुल ने सर्जरी के दौरान ही ऐसे कुछ संकेत दिए कि वे वापसी करना चाहते हैं, और ऐसा हुआ भी। मितुल बताते हैं, ‘मेरे शरीर ने सकारात्मक रिएक्शन देना शुरू किया, जिससे डॉक्टर्स भी चौंक गए।
सर्जरी के 6 महीने के अंदर ही मैंने टेबल टेनिस खेलना शुरू कर दिया था। कैंसर और कीमोथैरेपी से मेरा वजन 40 किलो तक कम हो गया था। मैं मूवमेंट नहीं कर सकता था, इसलिए एक्सरसाइज के तौर पर सिर्फ टेबल टेनिस खेलता। इसके 3 साल बाद पहली बार टूर्नामेंट में हिस्सा लिया। वर्ल्ड चैम्पियन बनने के दौरान कई उपलब्धियां हासिल कीं।
विदेशी खिलाड़ियों को मात देकर सबसे तेज शॉट लगाने का रिकॉर्ड भी बनाया था। विदेशी खिलाड़ी 55 किमी से आगे नहीं गए और मेरा पहला शॉट 74 किमी का था। मेरा मानना है कि जब तक आप खुद हार नहीं मानते, तब तक आपको कोई हरा नहीं सकता। मैं हर दिन खुद से प्रतिस्पर्धा करता हूं। सुबह 5 बजे से 9.30 बजे तक खेल के लिए समय देता हूं। मैं एक ग्राफिक डिजाइनर हूं, तो उसके बाद अपने नियमित काम पर फोकस करता हूं।’
तीन साल में स्टेट और नेशनल लेवल पर 20 से ज्यादा मेडल जीत चुके, 22 कैंसर पीड़ितों की मदद भी की मितुल ने पिछले 3 साल में जिला और राज्य स्तर के साथ-साथ राष्ट्रीय स्तर पर कई मास्टर्स टूर्नामेंट में हिस्सा लिया और 20 से अधिक पदक जीते हैं। ओमान में मितुल ने अलग-अलग देशों के 8 खिलाड़ियों को हराकर खिताब अपने नाम किया। मितुल के भाई निलय ही उनके कोच हैं। मितुल ने खुद कैंसर से जंग जीतकर 22 कैंसर मरीजों की मदद भी की है। ये लोग आर्थिक रूप से सक्षम नहीं थे, इसलिए मितुल और उनके दोस्तों ने उनकी मदद की।
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