खिलने लगी हाॅकी की नर्सरी…: भारत के 41 साल बाद मेडल जीतते ही दिखने लगा क्रेज, 10-12 दिन में ही 20-25 लड़कियाें ने थामी स्टिक
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भाेपाल3 घंटे पहलेलेखक: रामकृष्ण यदुवंशी/ कृष्ण कुमार पाण्डेय
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भारतीय पुरुष टीम के 41 साल बाद ओलिंपिक हाॅकी में मेडल जीतने से शहर में हाॅकी का क्रेज बढ़ने लगा है।
- शहर में तीन सेंटर चल रहे… यहां 100 लड़कियां अभ्यास कर रही हैं, एक हफ्ते में काेचेस के पास 100 से ज्यादा फोन हॉकी सीखने के लिए आए
भारतीय पुरुष टीम के 41 साल बाद ओलिंपिक हाॅकी में मेडल जीतने से शहर में हाॅकी का क्रेज बढ़ने लगा है। अब स्टिक लिए बच्चियां भी मैदान की ओर आती दिखने लगी हैं। पिछले 10-12 दिन में शहर के हाॅकी मैदानाें में करीब 20-25 लड़कियाें ने एंट्री ली है।
भाेपाल की पुरुष हाॅकी जग-जाहिर है। लेकिन महिला हाॅकी के बढ़ते क्रेज काे देश व शहर में हाॅकी के पुनर्जागरण के रूप में देखा जा रहा है। शहर के 3 सेंटराें पर करीब 100 लड़कियां अभ्यास कर रही हैं। ऐशबाग स्टेडियम में ही 15 नई लड़कियाें ने रजिस्ट्रेशन कराया। यहां पर पेरेंट्स स्वयं बच्चे-बच्चियाें काे लेकर मैदान पहुंच रहे हैं और काेचाें से हाॅकी सिखाने काे लेकर चर्चा करते दिख रहे हैं। 100 से अधिक लाेगाें के फाेन काेचाें के पास आ चुके हैं।
बेटे की जिद के आगे झुकना पड़ा..
भारत काे टाेक्याे में ब्राॅन्ज मेडल दिलाने वाले हाॅकी स्टार विवेक प्रसाद और नीलकांता के काेच हबीब हसन कहते हैं कि ओलिंपिक मेडल ने हाॅकी की नर्सरी काे जिंदा कर दिया है। वे कहते हैं कि उनके के 12 वर्षीय बेटा मुबाशशिर हसन भी हाॅकी खेलने की जिद करने लगा है। वाे कहता है कि मुझे भी हाॅकी सिखाओ। इसलिए मैने उसे ग्राउंड लाना शुरू कर दिया है। हालांकि मैंने साेचा था कि उसे हाॅकी नहीं खिलाउंगा लेकिन उसकी जिद के आगे मुझे झुकना पड़ा।
सेंटर- ऐशबाग स्टेडियम
- महिला खिलाड़ी: 40-45, फाेन आए: 70 से अधिक
- यहां तबरेज खान और फिराेज दाद हाॅकी सिखा रहे हैं। ओलिंपिक के बाद कई पैरेंट्स के फाेन आ रहे हैं, कई बच्चियों की उम्र तो 10 साल से भी कम है।
सेंटर- आरिफ नगर
- महिला खिलाड़ी: 35-40, फाेन आए: 20 से अधिक
- यहां शादाब खान महिला हाॅकी खिलाड़ियों काे प्रशिक्षण देते हैं। वे बताते हैं कि दस नए एडमिशन हुए हैं।
शासकीय कन्या स्कूल मैदान
- महिला खिलाड़ी: 20 , फाेन आए :10-12 से अधिक
- यहां सरवर अली ट्रेनिंग दे रहे हैं। रोजाना करीब 20-25 काॅल हॉकी सीखने के लिए आ रहे हैं।
सलाह यह भी…भोपाल में महिला हॉकी का एक सेंटर होना चाहिए
भोपाल में हॉकी की संभावनाएं बहुत हैं। अगर खेलना चाहें और मेहनत करें तो गर्ल्स ही नहीं, बॉयज भी अच्छे लेवल की हॉकी खेल सकते हैं। लेकिन इसके लिए रेगुलर प्रैक्टिस जरूरी है। मुझे लगता है कि भोपाल में गर्ल्स हॉकी का एक सेंटर होना ही चाहिए। उनमें भोपाल की लड़कियों को प्राथमिकता भी मिले।
खुशबू खान, भोपाल की पहली इंटरनेशनल महिला हॉकी खिलाड़ी
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