कितना पैसा जरूरी: पैसा चिंता का सबब है, जानिए जिंदगी में पैसे और खुशी का संतुलन कैसे आ सकता है
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11 घंटे पहलेलेखक: जैक राइन्स, लेखक-ब्लॉगर
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मई 2021 में दुनिया के 10 सबसे अमीर पुरुषों के कुल 13 तलाक हो चुके थे। जेफ बेजोस (लेफ्ट), एलन मस्क (मिडिल), बिल गेट्स (राइट)
पैसा खुशी नहीं खरीद सकता, लेकिन पैसा नहीं होने से परेशानियां जरूर हो सकती हैं। जब जरूरत से ज्यादा पैसे हो जाए तो आप अपनी आजादी भी खो बैठते हैं। अगर पैसा आपकी चिंता का सबब बन रहा है तो आपको जिंदगी को रीस्ट्रक्चर करना होगा। दुनिया के अल्ट्रारिच लोगों के साथ भी ऐसा ही है। अरबों डॉलर के बावजूद क्या वाकई एलन मस्क सुखी हैं? मई 2021 में दुनिया के 10 सबसे अमीर पुरुषों के कुल 13 तलाक हो चुके थे। इनमें शामिल वॉरेन बफे, बिल गेट्स, जेफ बेजोस अपनी अरबों डॉलर की नेटवर्थ के कारण विवाह-संबंधों में नाकाम रहे? ऐसा जरूरी नहीं, लेकिन जिन चीजों ने उन्हें इतना सफल बनाया है, उन्होंने उनके जीवन के दूसरे आयामों को भी दुखमय तो किया ही है।
मैं कभी भी वैसा व्यक्ति नहीं बनना चाहूंगा, जो अपने जीवन में हर सप्ताह संघर्ष कर रहा है, लेकिन यकीनन मैं मस्क भी नहीं बनना चाहूंगा। क्या आप मस्क की जगह पर होना चाहेंगे? उनकी नेटवर्थ 20.56 लाख करोड़ रुपए है। इतने पैसों में आप जहां चाहे रह सकते हैं। लेकिन अगर आप सच में ही मस्क की जगह पर होना चाहते हैं तो एक मिनट रुकें और टेस्ला CEO के साथ 2018 में न्यूयॉर्क टाइम्स के इस इंटरव्यू के अंश को पढ़ें।
मस्क ने 17 साल में कभी छुट्टी नहीं ली, हफ्ते में 120 घंटे काम करते हैं….वहीं वॉरेन बफे पत्नी से 27 साल दूर रहे
अरबों डॉलर के बावजूद क्या वाकई एलन मस्क सुखी हैं?
- रुंधे गले से मस्क ने कहा कि वे सप्ताह में 120 घंटे काम कर रहे हैं। 2001 से लगातार 17 सालों तक लंबी छुट्टी नहीं ली और तब भी मलेरिया होने पर छुट्टी पर गए थे। हाल के वर्षों में भी एकाध बार छुट्टियों पर गए।
- मस्क जब 47 साल के हुए तो उन्होंने जन्मदिन के पूरे 24 घंटे काम करते हुए बिताए। कोई दोस्त साथ नहीं था। दो दिन बाद भाई की शादी थी, जिसमें उन्हें बेस्ट मैन की भूमिका में होना था। मस्क फैक्ट्री से सीधे वहां पहुंचे, जब सेरेमनी शुरू होने में महज दो घंटे शेष थे। कार्यक्रम खत्म कर वे फिर टेस्ला में थे।
- मस्क अपवाद नहीं हैं। अल्ट्रा-रिच लोगों के लिए यही नॉर्म है। एलीस श्रोडर ने अपनी किताब ‘द स्नोबॉल : वाॅरेन बफे एंड द बिजनेस ऑफ लाइफ’ में दुनिया के सबसे प्रसिद्ध इन्वेस्टर के घरेलू जीवन की एक झलक दी है : ‘बच्चों के बड़े होने के बाद सूज़ी ने सैन फ्रैंसिस्को जाकर रहने का निर्णय लिया। वे और वॉरेन 27 साल तक अलग रहे, वे केवल फोन पर बात कर पाते थे। वॉरेन इसे अपने जीवन की सबसे बड़ी भूल मानते हैं, जिससे वे टूट गए थे। वे घर में लक्ष्यहीन घूमते रहते थे, और अपने खाने-पहनने का भी ठीक से इंतजाम नहीं कर पाते थे।’
आपके पास पैसा नहीं है तो आप आमदनी के गुलाम हैं… जरूरत से ज्यादा है तो आप नेटवर्थ के गुलाम बन जाते हैं
पैसों से स्वतंत्रता खरीदी जा सकती है जैसे बौद्धिक स्वतंत्रता या आप पेशेवर जीवन में जो करना चाहते हैं उसे चुनने की स्वतंत्रता। पर पैसा चिंता का सबब तो नहीं बन रहा है? आपको कितने पैसों की जरूरत होगी, जिसके बाद आप कह सकें कि अब आपको उसकी फिक्र नहीं है? एक लाख डॉलर? दस लाख? पचास लाख? एक अरब? सबके पास अलग-अलग उत्तर होंगे।
गरीब होने की मुश्किलें
अपने एक लेख ‘समय धन नहीं है’ में मैंने पैसों की निरंतर घटने वाली मार्जिनल यूटिलिटी के बारे में बात की थी। जब हमारी सम्पदा में थोड़ी बढ़ोतरी होती है तो हमें बहुत खुशी मिलती है, लेकिन अगर हम पहले ही अमीर हैं और हमारी सम्पदा में भारी बढ़ोतरी होती है तो इससे नेटवर्थ में मामूली-सा ही अंतर पड़ता है।
कल्पना करें कि आप अमेरिका के अटलांटा में रहते हैं और हर घंटे 12 डॉलर कमाते हैं। अगर सप्ताह में 40 घंटे काम करते हैं तो सालाना आय होगी 25 हजार डॉलर। लेकिन शहर के अच्छे इलाके में 3 बेडरूम के अपार्टमेंट के किराए में आधी आमदनी खर्च हो जाएगी। शेष 13 हजार डॉलर सालाना में तभी सर्वाइव कर सकते हैं, जब घर में ही खाना खाएं, यात्राएं न करें और वीकएंड पर बाहर जाने से बचें। बशर्ते किसी दिन कोई हादसा न हो जाए। जैसे कि कार का खराब हो जाना, या कोई मेडिकल इमरजेंसी? आपकी आमदनी इतनी थी ही नहीं कि आप कोई बचत कर पाते। तब इस स्थिति का सामना करने के लिए भाग्य आपके साथ नहीं है, आप शायद कर्ज में डूब सकते हैं।
गरीबी आपको बर्फ की पतली परत पर निरंतर चलते रहने को मजबूर कर देती है, जिसमें आप एक पे-चेक से दूसरे पे-चेक के बीच जैसे-तैसे जीवन बिताते हैं। लेकिन आप जितना चलते हैं, बर्फ उतनी ही पिघलती है और आखिरकार आप नीचे गिर जाते हैं। गरीबी के कारण लोग ऐसी नौकरियों में फंसे रहते हैं, जो उन्हें कहीं नहीं ले जातीं, क्योंकि वे उन्हें छोड़कर किसी नए काम की तलाश करना अफोर्ड नहीं कर सकते। गरीबी मेडिकल इमरजेंसी को आर्थिक विपदा में बदल देती है। गरीबी के कारण आपको फाइनेंशियल फ्लैग्जिबिलिटी नहीं मिल पाती। लेकिन जैसे-जैसे आपकी आमदनी बढ़ती है, बाहरी परिस्थितियां आपके जीवन से पकड़ ढीली करने लगती हैं। अगर आपके पास 50 हजार डॉलर की बचत है तो आप सात महीने बेरोजगार रहकर भी सर्वाइव कर सकते हैं। अगर आपके पास इतनी बचत है तो आप नौकरी छोड़कर कुछ नया करके देखने की हिम्मत भी कर सकते हैं। आपके पास बचत हो तो आपके ऑप्शंस होते हैं। लेकिन क्या हो अगर आप पेंडुलम को दूसरी दिशा में बहुत दूर तक ले जाएं?
अमीर होने की मुश्किलें
जीवन का निर्धारण अवसरों की कीमत पर होता है। पेशेवर जीवन में शीर्ष पर पहुंचने की कीमत है पारिवारिक जीवन में अस्त-व्यस्तता। ऐसा जरूरी नहीं है कि पैसा रिलेशनशिप्स को नुकसान पहुंचाता है, लेकिन सफलता पाने के लिए जैसे समर्पित प्रयासों की जरूरत पड़ती है, उसका असर जीवन के दूसरे आयामों पर पड़ता ही है, जिनमें परिवार शामिल है। पर अल्ट्रा-रिच को केवल अवसरों की कीमत से ही कष्ट नहीं होता है, इसका कारण उनके जीवन के हर आयाम का मैग्नीफिकेशन है।
इसे इस उदाहरण से समझें। अगर मैं कहूं कि ताईवान एक देश है तो मुझे इसके लिए माफी नहीं मांगनी पड़ेगी। किसी को इससे फर्क नहीं पड़ेगा। इसके बावजूद जब अभिनेता जॉन सेना ने कहा कि ताईवान ‘फास्ट एंड फ्यूरियस 9’ देखने वाला पहला देश है तो चीन ने उन्हें एक माफीनामा वाला दयनीय वीडियो बनाने के लिए मजबूर कर दिया था। जब ह्यूस्टन रॉकेट्स के डेरिल मोर ने हांगकांग के सपोर्ट में ट्वीट किया तो उन्हें लगभग अपनी नौकरी से हाथ गंवाना पड़ा। एक सीमा के बाद सफल होने के लिए आपको अपने बोलने की आजादी की कुर्बानी देनी पड़ती है। पैसा आपकी इंटरपर्सनल रिलेशनशिप्स को भी प्रभावित करता है।
अगर आप अमीर हैं तो आपके नए दोस्त चार महीने बाद ही आपको इंवेस्टमेंट आइडियाज देने लगते हैं। आपकी सम्पत्ति और प्रसिद्धि बढ़ते ही आपकी प्राइवेट लाइफ पब्लिक बन जाती है। आपके फैन्स आपके ईमेल इनबॉक्स पर धावा बोल देते हैं। एक सीमा के बाद आपकी लगातार बढ़ती सम्पत्ति आपके लिए एक बोझ बन जाती है। अल्ट्रा-रिच लोगों को भी गरीब लोगों की तरह यह लगने लगता है कि उनके निर्णय उन परिस्थितियों के अधीन हैं, जिन पर उनका कोई नियंत्रण नहीं है।
‘पैसों की फिक्र किसे’ का अर्थ होता है, जो हम चाहते हैं वही कर पाना- कल नहीं, बल्कि आज और अभी …
फरवरी 2021 में मेरी लिक्विड नेटवर्थ 4 लाख 10 हजार डॉलर को छू गई थी। इसके बावजूद मैं उस तरह से ‘पैसों की फिक्र किसे है’ नहीं कह पा रहा था, जैसे एक साल पहले कहता था। क्यों? क्योंकि अब मैं पैसों का गुलाम बन गया था। मैं पैसों की फिक्र कर रहा था। पैसा मेरी फिक्र नहीं कर रहा था। ‘पैसों की फिक्र किसे’ का अर्थ होता है, जो हम चाहते हैं वही कर पाना- कल नहीं, बल्कि आज और अभी। इसका मतलब है मैं जहां चाहूं, वहां की यात्रा कर सकता हूं। मुझे कुछ खरीदने से पहले अपना बैंक अकाउंट नहीं देखना पड़े। इस तरह का पैसा हमें निर्बाध स्वतंत्रता देता है और हमें कहीं बांधकर नहीं रखता। वास्तव में, जब हमें पैसों के बारे में बिलकुल भी सोचना नहीं पड़े, तभी जाकर हम सही मायनों में यह कह सकते हैं कि अब हमें उनकी फिक्र नहीं। मिनिमम वेज वर्कर यह नहीं कर सकता, न ही वह अरबपति यह कर सकता है, जो अपने पिछले साल की रिटर्न्स को पीछे छोड़ जाना चाहता है।
-साभार : YOUNG MONEY
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