एन चंद्रशेखरन टाटा संस के दोबारा चेयरमैन बने: 5 साल के लिए हुई फिर से नियुक्ति, 2017 में पहली बार बने थे चेयरमैन
मुंबई5 मिनट पहले
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नटराजन चंद्रशेखरन का जन्म तमिलनाडु में मोहानूर गांव में एक किसान परिवार में हुआ था
एन चंद्रशेखरन को टाटा संस का दोबारा चेयरमैन बनाया गया है। यह नियुक्ति 5 साल के लिए है। आज कंपनी की बोर्ड बैठक में इसे मंजूरी दी गई।
बोर्ड मीटिंग में लिया गया फैसला
टाटा ट्रस्ट के बोर्ड और इसके चेयरमैन रतन टाटा ने मीटिंग में यह फैसला किया। यह मीटिंग कंपनी के मुख्यालय बॉम्बे हाउस में हुई। टाटा संस के बोर्ड ने पिछले पांच साल का एन चंद्रशेखरन के कार्यकाल की समीक्षा की। रतन टाटा इस मीटिंग में स्पेशल इनवाइटी थे। उन्होंने चंद्रा के कार्यकाल में प्रोग्रेस और प्रदर्शन को संतोषजनक बताया।
चंद्रा के नाम से जाना जाता है
चंद्रशेखरन को चंद्रा के नाम से जाना जाता है। वे पहली बार 2017 में टाटा संस के चेयरमैन बने थे और इसी 20 फरवरी को उनके कार्यकाल का अंतिम दिन था। अब उनका कार्यकाल 2027 तक होगा। कंपनी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि बोर्ड के सदस्यों ने एन चंद्रशेखरन को फिर से नियुक्ति के लिए हरी झंडी दी।
2017 में संकट के समय संभाला था बागडोर
एन चंद्रशेखरन को 2017 में तब चेयरमैन बनाया गया, जब सायरस मिस्त्री को जबरन हटा दिया गया था। तब चंद्रा TCS में थे। लीडरशिप के संकट से गुजर रहे ग्रुप को चंद्रा 5 सालों में बेहतरीन प्रदर्शन कर आगे ले गए हैँ। उनको इस ग्रुप में 34 सालों का लंबा अनुभव है। 1988 में IIM कोलकाता से MBA करने के बाद वे ग्रुप में जुड़े थे।
टाटा स्टील से की शुरुआत
पहली बार वे टाटा स्टील में काम किए। वे इस समूह का चेयरमैन बनने वाले पहले नॉन फैमिली सदस्य थे। 53 साल के चंद्रा 1987 में TCS में गए और 2009 में वे इसके CEO बने। TCS देश की सबसे बड़ी कंपनी है।
सबसे बड़ा ग्रुप है
टाटा ग्रुप, देश का सबसे बड़ा बिजनेस ग्रुप है। इसमें 29 लिस्टेड कंपनियां हैं। यह नमक से लेकर सॉफ्टवेयर तक के सेक्टर में कार्यरत है। इसकी कुल लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप 25 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा है। इसमें IT कंपनी टाटा कंसल्टेंसी (TCS) 14 लाख करोड़ रुपए के साथ सबसे बड़ी है।
काफी महत्वपूर्ण पद है चेयरमैन
टाटा संस के चेयरमैन का पद काफी महत्वपूर्ण है। वह इसलिए क्योंकि वह टाटा ग्रुप की सभी कंपनियों का भी प्रमुख होता है। नटराजन चंद्रशेखरन का जन्म तमिलनाडु में मोहानूर गांव में एक किसान परिवार में हुआ था। वे छह बच्चों में से एक थे। चंद्रशेखरन के पिता एक वकील थे, लेकिन उनके दादा की मौत के बाद उनके पिता को परिवार का खेत देखना पड़ा, जिसमें केला, चावल और गन्ना उगाया जाता था।
तीन किलोमीटर पैदल पढ़ने जाते थे
जब चंद्रशेखरन बच्चे थे, तो वे और उनके भाई रोजाना तीन किलोमीटर पैदल चलकर अपने तमिल मीडियम के सरकारी स्कूल में पढ़ने जाते थे। अपनी सीनियर सेकेंडरी की परीक्षा के लिए, उन्होंने अंग्रेजी मीडियम के स्कूल में दाखिला ले लिया। 10वीं कक्षा को पास करने के बाद, वे आगे पढ़ाई के लिए Trichy चले गए।
कोयंबटूर से पढ़े हैं चंद्रा
चंद्रशेखरन ने कोयम्बटूर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से अप्लायड साइंसेज में BSc डिग्री ली है। उसके बाद वे घर वापस आ गए और वहां छह महीने रूककर उन्होंने देखा कि वे खेती को पेशे के तौर पर लेकर खुश रहेंगे या नहीं। चार या पांच महीने बीत जाने के बाद, उन्हें इस बात का अहसास हुआ कि वे कृषि क्षेत्र के लिए सही नहीं है और उन्होंने सीए बनने का विचार किया।
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