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इंपोर्टेड रसीले फलों का खूब मजा ले रहे मिलेनियल: कोविड की दूसरी लहर में विदेशी फलों की मांग बढ़ी; सेब, ब्लूबेरी और कीवी के इंपोर्ट में 20% का उछाल

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  • Demand For Exotic Fruits Increased Amid The Second Wave Of Covid, 20% Jump In Imports Of Apples, Blueberries, And Kiwis

18 घंटे पहले

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  • पिछले साल 1,800 टन फ्रेश, फ्रोजेन और सूखी ब्लूबेरी का इंपोर्ट हुआ था, इस साल आयात में 20-30% तक का इजाफा होने का अनुमान
  • हर साल देश में दो लाख टन सेबों का आयात होता है, जिनकी औसत लागत देश में 120-150 रुपए प्रति किलो तक पड़ती है

कोविड की दूसरी लहर के बीच शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले रसीले फलों की मांग में खासा इजाफा हुआ है। इसको देखते हुए अच्छी क्वॉलिटी के विदेशी फलों की डिमांड काफी बढ़ी है। अमेरिका से मंगाए जाने वाले सेब और ब्लूबेरी के अलावा चिली की कीवी की भारी मांग है। ब्लूबेरी 2,200-2,500 रुपए प्रति 1.50 किलो की दर से मिल रही है। चिली की कीवी का भाव 700-800 रुपए प्रति 10 किलो चल रहा है।

फलों के कारोबार से जुड़े दिग्गजों के मुताबिक, कोविड की दूसरी लहर के बीच अप्रैल से इन फलों के आयात में 20-30% सालाना की बढ़ोतरी हुई है। वॉशिंगटन एपल कमीशन के इंडिया रेप्रेजेंटेटिव सुमित सरन के मुताबिक, ‘ग्राहकों की सोच में खासा बदलाव आया है। लोग तंदुरुस्ती के लिए फायदेमंद माने जाने वाले फलों पर ज्यादा खर्च करने को तैयार हैं।’

अप्रैल में सेबों की भारतीय किस्मों का सीजन खत्म हो जाता है। इसके बाद वॉशिंगटन एपल का आयात बढ़ना शुरू होता है। इस सेब की कीमत में बढ़ोतरी का दौर जुलाई तक चलता है। जहां तक वॉशिंगटन एपल की कीमत की बात है, तो दिल्ली की आजादपुर मंडी में इसकी कीमत 4,200 से 4,400 रुपए प्रति 20 किलो है।

हर साल दो लाख टन सेबों का आयात होता है, जिनकी औसत लागत देश में 120-150 रुपए प्रति किलो तक पड़ती है। जहां तक वॉशिंगटन वेराइटी के इंपोर्ट की बात है तो यह मार्च 2021 में खत्म वित्त वर्ष में घटकर 3,81,614 कार्टन तक रह गया था। एक साल पहले 10.70 कार्टन का इंपोर्ट हुआ था, वह भी तब जबकि रसीले फलों पर आयात शुल्क 50% से बढ़ाकर 75% कर दिया था।

गौरतलब है कि सरकार ने रसीले फलों का आयात शुल्क बढ़ाने की जवाबी कार्रवाई तब की थी, जब तत्कालीन ट्रंप सरकार ने अल्युमीनियम और स्टील की इंपोर्ट डयूटी बढ़ा दी थी। आयात शुल्क अब भी ऊपरी लेवल पर है लेकिन अमेरिका से वॉशिंगटन वेराइटी के सेबों के आयात में फिर बढ़ोतरी हुई है।

वॉशिंगटन एपल कमीशन के सरन कहते हैं कि कोविड की दूसरी लहर के बीच अच्छी क्वॉलिटी के फलों में खासतौर पर मिलेनियल्स नई पीढ़ी के युवाओं की दिलचस्पी बढ़ी है। कमीशन इंटरनेशनल मार्केट सेब की वॉशिंगटन वेराइटी को बढ़ावा देने का काम करता है। इंडिया में अमेरिका से ब्लूबेरी भी बड़े पैमाने पर मंगाई जा रही है।

पिछले साल अमेरिका से 1,800 टन फ्रेश, फ्रोजेन और सूखी ब्लूबेरी का इंपोर्ट किया गया था। इस साल इनके आयात में 20-30% तक का इजाफा होने का अनुमान है। यह बात US हाईबुश ब्लूबेरी काउंसिल के प्रतिनिधि राज कपूर ने बताई है। डेयरी, बेकिंग और कनफेक्शनरी इंडस्ट्री में इस्तेमाल के लिए सूखी और फ्रोजेन ब्लूबेरी मंगाई जाती है। इसमें फैट और सोडियम काफी कम होता है और विटामिन सी और मैगनीज से भरपूर होता है।

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