अनिल अंबानी के अच्छे दिन: अंबानी की कंपनियों के शेयर 1 महीने में जबरदस्त बढ़े, 1 साल के ऊपरी स्तर पर पहुंचे
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- Anil Ambani Reliance Group Shares Price Latest Update | Reached Highest Level In One Year
मुंबई2 घंटे पहलेलेखक: अजीत सिंह
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- शुक्रवार को अनिल अंबानी की कंपनियों के शेयरों में अपर सर्किट लगा
- अपर सर्किट मतलब एक दिन में शेयरों के भाव में उससे ज्यादा बढ़त नहीं हो सकती है
भारी-भरकम कर्ज के तले दबे और दिवालिया कंपनियों के मालिक अनिल अंबानी का दिन लगता है वापस आ रहा है। उनकी कंपनियों के शेयरों में जिस तरह से उछाल आ रहा है, उससे तो ऐसा ही कुछ साबित हो रहा है। हालांकि अभी भी उनकी नेटवर्थ जीरो है। पर उनकी लिस्टेड 6 कंपनियों के शेयरों ने शुक्रवार को 1 साल के ऊपरी भाव को टच किया।
6 लिस्टेड कंपनियां हैं
अनिल धीरूभाई अंबानी समूह की कुल 6 कंपनियां शेयर बाजार में लिस्टेड हैं। शुक्रवार को इन सभी कंपनियों में 5% के करीब बढ़त देखी गई और साथ ही अपर सर्किट भी शेयरों में लगा। रिलायंस इंफ्रा का शेयर 1 महीने पहले 49 रुपए था यह अब 88.95 रुपए हो गया है। यानी करीबन 70% की बढ़त दिखी है। इसका मार्केट कैप 2,185 करोड़ रुपए रहा है। रिलायंस कैपिटल का शेयर 1 महीने में 10.85 से बढ़कर 20.53 रुपए पर आ गया है। 95% की बढ़त। मार्केट कैप 518 करोड़ रुपए रहा है।
रिलायंस नेवल का शेयर 4.81 रुपए पर पहुंचा
रिलायंस नेवल का शेयर 2.80 से बढ़ कर 4.81 रुपए पर आ गया है। मार्केट कैप 354 करोड़ रुपए रहा है। रिलायंस पावर का शेर 6.45 से बढ़ कर 12.74 रुपए पर पहुंच गया है। मार्केट कैप 3,573 करोड़ रुपए रहा है। रिलायंस कम्युनिकेशन का शेयर 1.70 से 100% बढ़ कर 3.64 रुपए हो गया है। मार्केट कैप 1,006 करोड़ रुपए रहा है। रिलायंस होम फाइनेंस का शेयर 2.49 से 4.49 रुपए पर आ गया है। मार्केट कैप 217 करोड़ रुपए रहा है।
शेयरों के अचानक बढ़ने का कारण क्या है
रिलायंस इंफ्रा के बोर्ड ने 550 करोड़ रुपए प्रमोटर अनिल अंबानी से जुटाने के लिए मंजूरी दी है। इसके बाद कंपनी में अनिल की हिस्सेदारी 23% हो जाएगी। इसी तरह रिलायंस पावर बोर्ड की 13 जून को पैसा जुटाने के लिए मीटिंग होनी है। तीसरी घटना देश के सबसे बड़े बैंक SBI ने रिलायंस कम्युनिकेशन और रिलायंस इंफ्राटेल पर से फ्राड टैग को हटाने की मांग की है। इसके लिए NCLAT मुंबई में अप्लीकेशन फाइल किया है।
रिलायंस पावर ने साल 2008 में 11,563 करोड़ का आईपीओ लाया थ। उस समय इसका भाव 232.80 रुपए था जो अब 12.74 रुपए पर है। यानी 90% का घाटा 13 सालों में। यह उस समय का सबसे बड़ा IPO था
सुप्रीम कोर्ट ने मालिकों को दिया है झटका
इसके अलावा हाल ही में सुप्रीमकोर्ट ने दिवालिया कंपनियों के मालिकों और उनके गारंटर बनने पर जबरदस्त झटका दिया है। कोर्ट ने ऐसे प्रमोटर्स और गारंटर्स के खिलाफ इन्सॉल्वेंसी प्रोसीडिंग शुरू करने वाले लेंडर्स के खिलाफ याचिकाएं खारिज कर दी। मतलब इन लोगों के मामलों को फिर से खोला जा सकता है। ऐसे में अनिल अंबानी अपनी पर्सनल संपत्तियों को बेच कर पैसा चुका सकते हैं जिससे उनकी हिस्सेदारी कंपनियों में बढ़ जाएगी।
रिलायंस कैपिटल पर 20,380 करोड़ का कर्ज
अनिल की बड़ी कंपनियों में रिलायंस कैपिटल पर दिसंबर 2020 तक 20,380 करोड़ रुपए का कर्ज था जबकि रिलायंस होम फाइनेंस पर 13 हजार करोड़ रुपए का कर्ज था। अनिल अंबानी पर 2018 में कर्ज की बात करें तो कुल 6 कंपनियों पर 1.72 लाख करोड़ रुपए था जबकि इसी दौरान मुकेश अंबानी पर कर्ज 3.51 लाख करोड़ रुपए था। आज मुकेश अंबानी का नेट कर्ज जीरो हो गया है जबकि अनिल अभी भी कर्ज के बोझ तले से जूझ रहे हैं। अनिल के ऊपर फरवरी 2020 तक 30.5 करोड़ डॉलर का कर्ज था जबकि उनकी असेट्स केवल 8.2 करोड़ डॉलर थी।
कई कारण हैं जिनसे शेयरों में मूवमेंट दिखा है
के.आर. चौकसी के एमडी देवेन चौकसी कहते हैं कि ऐसे कई कारण हैं जिनसे अनिल अंबानी की कंपनियों के शेयरों में मूवमेंट दिखा है। पर निवेशकों को अभी भी इंतजार करना चाहिए। जब तक की रिकवरी या पूरी तरह से मामला सामने न आ जाए। हालांकि सुजलॉन जैसी कंपनियों के शेयरों में भी इसी तरह की तेजी दिखी है। सीएनआई के चेयरमैन किशोर ओस्तवाल कहते हैं कि अगर फंड जुटाने में अनिल की कंपनियां सफल होती हैं तो यह बहुत पॉजिटिव होगा। इससे इन कंपनियों का कर्ज चुकाने में मदद मिलेगी।
अनिल अंबानी 62 साल के हो गए
इसी महीने में अनिल अंबानी 62 साल के हो गए। साल 2008 में वे 42 अरब डॉलर के साथ विश्व के बिलिनेयर क्लब का हिस्सा थे। 2018 में मुकेश अंबानी का नेटवर्थ 43 अरब डॉलर था जो इस समय 82 अरब डॉलर है। 2019 सितंबर तक 12.40 अरब डॉलर का कर्ज अनिल अंबानी पर था। अनिल अंबानी ने उस समय यूके कोर्ट में कहा था कि उनकी नेटवर्थ जीरो है।
2007 में अनिल देश के तीसरे अमीर बिजनेसमैन बने
मुकेश को धीरे-धीरे वृद्धि कर रही रिफाइनरी और पेट्रोकेमिकल के बिजनेस का अधिकार मिल गया। जबकि अनिल को लंबी अवधि वाले फाइनेंशियल सर्विसेस पावर जनरेशन और टेलीकम्युनिकेशन का साम्राज्य मिला। यह भारत के कॉरपोरेट जगत का सबसे बड़ा बंटवारा था। फोर्ब्स इडिया की 2007 में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार अनिल का नेटवर्थ तीन गुना बढ़कर 45 बिलियन अरब डॉलर हो गया जिससे वे देश के तीसरे अमीर नागरिक बन गए। जबकि उसी समय उनके भाई मुकेश का नेटवर्थ 49 बिलियन डॉलर था। अपने हाथ में इतना पैसा आया देख अनिल ने फिल्म प्रोडक्शन में भी हाथ आजमाया, जिसमें उन्होंने स्टीवन स्पीलबबर्ग को सपोर्ट किया।
फिल्मी दुनिया से अनिल की दिक्कतें शुरू हुई
कभी-कभी अनिल अंबानी फिल्मों की स्क्रीन के लिए मुंबई के सभी संभ्रांत लोगों को अपने घर पर बुलाते थे। जबकि मुकेश इम सब मामलों से दूर का नाता रखते थे। यह सिलसिला यूं ही दस साल तक चलता रहा। पर बाद में अनिल के व्यवसाय में दिक्तकें आने लगी। पावर प्रोजेक्ट फेल होने लगे। उनको फिर से राष्ट्रीय स्तर पर मोबाइल नेटवर्क की स्थापना करनी पड़ी। जबकि इसी समय मुकेश अंबानी की कंपनी जो कि उस समय 40 बिलियन डॉलर कमा रही थी, उसने एक अवसर देखा। यही वह समय था जब मुकेश की नजर टेलीकम्युनिकेशन पर पड़ी और यहीं से जियो की शुरुआत हुई। आज यही जियो विश्व की सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी है।
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