भारत-पाकिस्तान मैच के बिना वर्ल्ड कप फेल: पूरे वर्ल्ड कप की एक तिहाई व्यूअरशिप इसी मैच से आती है
स्पोर्ट्स डेस्क6 मिनट पहले
पहले दो क्रिकेट मैचों का गणित देखिए
पहला मैच
जगह: मैनचेस्टर का ओल्ड ट्रैफर्ड स्टेडियम
तारीख: 16 जून 2019
कहानी: लीग मुकाबले में A टीम 5 विकेट पर 336 रन बनाती है। जवाब में B टीम 6 विकेट पर 212 रन बनाती है। मैच में बारिश का खलल और पहली टीम डकवर्थ-लुईस नियम के तहत 89 रन से जीत जाती है।
दूसरा मैच
जगह: लंदन का लॉर्ड्स स्टेडियम
तारीख: 14 जुलाई, 2019
कहानी: मुकाबला फाइनल का है। A टीम 8 विकेट पर 241 रन बनाती है। B टीम भी 241 रन ही बना पाती है। अब सुपर ओवर और उसमें भी दोनों का सेम स्कोर। नतीजा इससे तय होता है कि चौके किसने ज्यादा जमाए। और B टीम जीत जाती है।
सवाल: महज 28 दिन के दरमियान हुए इन दोनोंं मैचों में से किसमें अधिक मजा अया होगा? आप भी कहेंगे दूसरे मैच में। आखिरी बॉल तक पता नहीं चल रहा था कि कौन सी टीम जीतेगी। वहीं, पहला मुकाबला तो एकतरफा ही था। मजा क्या…
एक और सवाल: इन दोनों में से किस मुकाबले को टीवी पर ज्यादा देखा गया?
बेहद रोमांचक और आखिरी बॉल तक फाइट, जाहिर सी बात है दूसरे मुकाबले पर अधिक आंखों होंगी। लेकिन, यह गलत जवाब है।
सही जवाब- पहले मैच को दूसरे मैच की तुलना में करीब 20% ज्यादा लोगों ने देखा। ऐसा तब जब दूसरा मैच टूर्नामेंट का फाइनल था और पहला लीग मुकाबला।
दोनों मुकाबले 2019 वनडे वर्ल्ड कप के हैं। पहला मैच भारत-पाकिस्तान का था और दूसरा इंग्लैंड-न्यूजीलैंड के बीच फाइनल।
भारत-पाकिस्तान मुकाबले की अहमियत समझ आ गई होगी। इस बात को ICC भी जानती है। इसलिए कोशिश होती है कि हर टूर्नामेंट में भारत-पाकिस्तान का मैच जरूर हो। कुछ और फैक्टर भी हैं, बारी-बारी से समझते हैं…
वर्ल्ड कप में अब तक के भारत-पाक मैच
भारत-पाक मैच कम होने से ICC टूर्नामेंट में बनती है हाइप
ICC टूर्नामेंट में भारत-पाकिस्तान मैच 1992 से हो रहे हैं। तब से अब तक वनडे और टी-20 वर्ल्ड कप मिलाकर 13 बार दोनों टीमें आमने-सामने हो चुकी हैं। लेकिन, ICC ने अपने हर टूर्नामेंट में भारत-पाक मैच जरूर रखने की शुरुआत 2015 वनडे वर्ल्ड कप से की है। इसके पीछे दोनों देशों के खराब संबंध का बड़ा रोल रहा है।
2012 में भारत और पाकिस्तान के बीच आखिरी द्विपक्षीय सीरीज हुई। तब पाकिस्तानी टीम तीन वनडे की सीरीज खेलने भारत आई थी। इसके बाद से राजनीतिक संबंध खराब होने से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सीरीज का आयोजन बंद हो गया। अब ICC टूर्नामेंट में ही मैच संभव था।
ICC ने इसका फायदा उठाया। इस बात को ICC ऑन रिकॉर्ड स्वीकार भी करती है। 2015 वर्ल्ड कप से पहले जब भी ICC टूर्नामेंट में भारत-पाक मैच हुए इसमें संयोग का रोल बड़ा था। इससे 7 बार वनडे और टी-20 वर्ल्ड कप में दोनों की भिड़ंत हुई। इनमें से 6 बार नॉकआउट राउंड या सुपर-6 में हुई थी। सिर्फ एक बार, 2007 टी-20 वर्ल्ड कप में ग्रुप स्टेज में मुकाबला हुआ था।
तब भी टीमों की ग्रुपिंग रैंकिंग के आधार पर की गई थी और संयोगवश भारत-पाकिस्तान एक ग्रुप में आए थे। 2012 से दोनों के बीच द्विपक्षीय सीरीज बंद होने के बाद ICC ने तय किया कि अब हर टूर्नामेंट में भारत-पाकिस्तान का एक मैच जरूर कराएगा। ताकि हाइप का फायदा उठाया जा सके।
पूरे टूर्नामेंट में जितने दर्शक मिलते हैं, उसका एक-तिहाई भारत-पाक मैच में
किसी भी वर्ल्ड कप में ग्रुप स्टेज में भारत-पाकिस्तान मैच होने से टूर्नामेंट को नॉकआउट राउंड से पहले ही मोमेंटम मिल जाता है। इसे आंकड़े से समझते हैं। 2019 वनडे वर्ल्ड कप के सभी मैच को मिलाकर टीवी और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर कुल 70.6 करोड़ व्यूअर मिले। टूर्नामेंट में कुल 48 मैच हुए थे। यानी एक मैच में औसतन 1.47 करोड़ व्यूअर। इसी टूर्नामेंट में भारत-पाक मैच को 27 करोड़ व्यूअर मिले थे। यानी टूर्नामेंट के टोटल व्यूअर का करीब 35% एक मैच में। ऐसा नहीं है कि 2019 में इंडिया-पाकिस्तान मैच की व्यूअरशिप किसी वर्ल्ड कप में इन टीमों के बीच हुए मुकाबले की सबसे बड़ी व्यूअरशिप है। 2011 के सेमीफाइनल में हुए भारत-पाकिस्तान मुकाबले को 49.5 करोड़ लोगों ने देखा था। लेकिन, वह नॉकआउट मुकाबला था। ICC की कोशिश होती है कि लीग मुकाबलों में भी बड़े नंबर हासिल किए जाएं।
ब्रॉडकास्टर्स बनाते हैं ICC पर दबाव
ICC ने 2024 से 2027 तक के मीडिया राइट्स 3 बिलियन डॉलर, यानी करीब 24 हजार करोड़ रुपए में बेचे हैं। पिछली बार ये राइट्स 1.44 बिलियन डॉलर में बिके थे। इतनी बड़ी कीमत चुकाने के बाद ब्रॉडकास्टर्स उम्मीद करते हैं कि ICC इवेंट्स में भारत-पाक मैच नॉकआउट राउंड के भरोसे न रहे। इसलिए वे ग्रुप स्टेज में भी भारत-पाक को रखने पर जोर डालते हैं। ICC 2015 से ब्रॉडकास्टर्स की यह डिमांड पूरी करती आ रही है।
यह सवाल उठ सकता है कि ब्रॉडकास्टर्स को इससे क्या फायदा मिलता है। जवाब यह है कि ब्रॉडकास्टर्स हर मैच के एड स्लॉट्स की नीलामी करते हैं। यानी मैच के दौरान हर 10 सेकेंड के एड से कितने पैसे मिलेंगे यह नीलामी से तय होता है। भारत-पाकिस्तान मैच के एड स्लॉट अन्य मुकाबलों की तुलना में तीन से चार गुना ज्यादा रकम पर होती है। इसका मुकाबला सिर्फ उन सेमीफाइनल या फाइनल मैच कर पाते हैं जिसमें भारतीय टीम जरूर खेलती हो।
होस्ट सिटी को होता है क्रिकेट टूरिज्म का फायदा
भारत-पाकिस्तान मैच देखने दुनिया भर के भारतीय और पाकिस्तानी उस शहर को विजिट करते हैं जहां यह मुकाबला होने वाला हो। मेलबर्न का उदाहरण ही ले लीजिए। करीब 30 हजार भारतीय और पाकिस्तानी सिर्फ एक मैच के लिए मेलबर्न पहुंच गए हैं। इनमें भारतीयों की तादाद ज्यादा है। इस तरह का फायदा किसी भी वर्ल्ड कप में भारत-पाकिस्तान मैच होस्ट करने वाले शहर को होता है।
क्रिकेट का अल क्लासिको है भारत-पाक मैच
स्पेनिश फुटबॉल में रियाल मैड्रिड और बार्सिलोना के बीच होने वाला मैच अल क्लासिको के नाम से जाना जाता है। इस मैच की व्यूअरशिप स्पेनिश लीग के फाइनल के बराबर होती है। हर सीजन में कम से कम दो अल क्लासिको जरूर होते हैं। इसी तरह इंग्लिश फुटबॉल में लिवरपूल और मैनचेस्टर यूनाइटेड की राइवलरी मशहूर है। हर साल दो बार इन दोनों की भिड़ंत होती है।
अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल में ब्राजील V/S अर्जेंटीना, जर्मनी V/S नीदरलैंड और जापान V/S साउथ कोरिया में भी ऐसी राइवरली देखी जाती है। हालांकि, फीफा ग्रुप स्टेज में इनके मुकाबले रखने की कोशिश नहीं करता है। भारत-पाक क्रिकेट मैच भी ऐसा ही बन चुका है।
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