गोल्डन गर्ल के संघर्ष की कहानी इन 20 तस्वीरों में: 11 साल की उम्र में एक्सीडेंट, उधार राइफल से पहला मेडल जीत बनाया रिकॉर्ड; कमजोरी को ताकत बना बढ़ाया देश का गौरव
- Hindi News
- Local
- Rajasthan
- Jaipur
- Avni Became The Pride Of The Country By Turning Weakness Into Strength, Accident At The Age Of 11; Record Made The First Medal Win With A Borrowed Rifle
जयपुर4 मिनट पहलेलेखक: स्मित पालीवाल
- कॉपी लिंक
टोक्यो पैरा ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने के बाद गोल्डन गर्ल के नाम से मशहूर हो चुकी जयपुर की अवनि लेखरा अब किसी पहचान की मोहताज नहीं है। साल 2012 में महाशिवरात्रि के दिन 11 साल की अवनि का एक्सीडेंट हो गया। जिसके बाद अवनी कभी भी अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो सकी। महज 14 साल की उम्र से अपने करियर की शुरुआत करने वाली अवनि का जीवन काफी मुश्किलों से गुजरा है। लेकिन उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी और इसी का नतीजा है, कि आज दुनियाभर में अवनि के नाम का डंका बज रहा है।
गोल्डन गर्ल के नाम से दुनियाभर में पहचान बना चुकी अवनि लेखरा का जन्म 8 नवंबर 2001 को जयपुर में प्रवीण लेखरा के घर हुआ।
अवनि को बचपन से ही पढ़ाई के साथ डांस काफी शौक है। अपने स्कूल के शुरुआती दिनों में अवनी ने कई बार स्टेज परफॉर्मेंस भी दी थी।
साल 2012 में महाशिवरात्रि के दिन 11 साल की अवनि का एक्सीडेंट हो गया। जिसके बाद अवनी कभी भी अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो सकी।
अवनि ने इसके बाद भी हिम्मत नहीं हारी और पढ़ाई को अपना लक्ष्य बना लिया। इस बीच कई बार अवनी ने व्हीलचेयर के सहारे भी डांस परफॉर्मेंस दी।
साल 2015 में गर्मियों की छुट्टी के दौरान अवनि ने पहली बार जयपुर के जगतपुरा शूटिंग रेंज में राइफल संभाली थी। इसके बाद कभी अवनी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और शूटिंग प्रैक्टिस शुरू कर दी।
अगस्त 2015 में अवनि ने राइफल उधार लेकर स्टेट लेवल चैंपियनशिप में हिस्सा लिया। यह पहला मौका था, जब अपनी नई शूटिंग में गोल्ड मेडल हासिल किया था।
राज्य स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने के बाद अवनि को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। इस बीच प्रदेशभर में अवनी की लोकप्रियता भी बढ़ने लगी। जिसके बाद उन्हें तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भी सम्मानित किया।
अवनि का भाई अर्णव भी आर्चरी खिलाड़ी है। जबकि पिता प्रवीण राजस्थान प्रशासनिक सेवा में अधिकारी है।
अवनि वर्ल्ड राइफल चैंपियनशिप में भी रजत पदक जीत चुकी है।
अवनि देशभर के पैराखिलाड़ियों के साथ कई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुकी है।
अवनि जयपुर में अपने परिजनों से दूर रहकर जगतपुरा में पिछले लंबे समय से शूटिंग प्रैक्टिस कर रही हैं।
शूटिंग में इतिहास रचने वाली अवनि लेखरा पढ़ाई में भी काफी होशियार है। अवनि के भाई ने बताया कि फिलहाल वह आरजेएस की तैयारी कर रही हैं, ताकि वह जज बन न्याय कर सके।
कोरोना संक्रमण के बाद लागू लॉकडाउन की वजह से अवनि प्रैक्टिस के लिए शूटिंग रेंज नहीं जा पा रही थी। इसलिए उन्होंने घर पर ही टारगेट लगा प्रैक्टिस शुरू कर दी।
अवनि के परिजनों ने बताया कि पिछले 5 सालों में अवनी ने इतने पदक जीत लिए हैं, कि अब उन्हें गिन पाना भी मुश्किल है।
अपने चंचल स्वभाव की वजह से अवनि अपने परिवार में सबकी चहेती है।
शूटिंग और पढ़ाई के साथ अवनि सोशल मीडिया पर भी काफी लोकप्रिय हैं। हजारों की संख्या में प्रशंसक अवनी को सोशल मीडिया पर फॉलो करते हैं।
राजस्थान सरकार ने अवनि को गोल्ड मेडल जीतने पर तीन करोड रुपए नगद और वन विभाग में सहायक वन संरक्षक के रूप में नियुक्ति दी है।
ओलंपिक में जाने से पहले खिलाड़ियों के साथ गोल्डन गर्ल अवनि लेखरा।
पैरा ओलंपिक में अवनि 50 मीटर शूटिंग प्रतिस्पर्धा में भी भारत का प्रतिनिधित्व करेगी।
अवनि लेखरा ने 10 मीटर एयर राइफल प्रतिस्पर्धा में गोल्ड मेडल हासिल किया है। ऐसा करने वाली अवनी देश की पहली महिला खिलाड़ी बन गई है।
For all the latest Sports News Click Here
For the latest news and updates, follow us on Google News.