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गेहूं पर बैन के ऐलान के बाद डेटा जारी: भारत ने अप्रैल में 3670 करोड़ रुपए का गेहूं विदेश भेजा, रूस-युक्रेन युद्ध के बीच भी जारी रहा निर्यात

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  • Weeks After Announcing Ban, India Exported Wheat Worth USD 473 Million In April

नई दिल्लीएक घंटा पहले

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हफ्ते भर पहले केन्द्र सरकार गेहूं के एक्सपोर्ट पर बैन लगाया था, इसकी पीछ की वजह गेहूं की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाना था। बुधवार को एलान सरकार ने एलान किया कि भारत ने इस साल गेहूं का मार्च में 177 मिलियन डॉलर (करीब 1374 करोड़ रुपए) और अप्रैल में 473 मिलियन डॉलर (करीब 3670 करोड़ रुपए) का एक्सपोर्ट किया।

सरकारी डेटा से पता चलता है कि भारत में गेहूं का प्रोडक्शन 2022-23 में 105 मिलियन मीट्रिक टन के करीब होने का अनुमान है। इससे 130 करोड़ आबादी को सरकार की स्कीम जैसे नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट (NFSA), प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMJKAY) और दूसरी स्कीम के जरिए 80 करोड़ गरीबों और पड़ोसी देशों के लिए 30 मिलियन मीट्रिक टन की जरूरत पड़ती है।

गेहूं के एक्सपोर्ट करने के मामले में 2020 में भारत की रैंक 19वीं रही
सरकार के मुताबिक 42.7 मिलियन मीट्रिक टन गेहूं फाइनेंशियल ईयर 2021-22 में NFSA और PMGKAY में बांटा गया। गेहूं के एक्सपोर्ट करने के मामले में 2020 में भारत की रैंक 19वीं, 2019 में 35वीं, 2018 में 36वीं, 2017 में 36वीं, 2016 में 37वीं रही। जिससे भारत का शेयर 0.47% रहा। जबकि 7 देशों (रूस, अमेरिका, कनाडा, फ्रांस, यूक्रेन, अस्ट्रेलिया, अर्जेटिना) के पिछले 5 साल में सबसे ज्यादा शेयर रहे।

गेहूं की खरीदारी में 53% की गिरावट आई
24 फरवरी से शुरू हुए विवाद के बावजूद, भारत ने मार्च में 177 मिलियन डॉलर और अप्रैल में 473 मिलियन डॉलर का गेहूं एक्सपोर्ट किया। जबकि तेज गर्मी की वजह से गेहूं का प्रोडक्शन उत्तरी भारत बुरी तरह प्रभावित हुआ। सोर्स का कहना है कि पिछले साल के मुकाबले 2022-23 में सरकार गेहूं की खरीदारी में 53% की गिरावट आई है। इसके पीछे की वजह अढ़त वाले ठेकेदारों का एक्सपोर्ट के लिए गेहूं का खरीदना रहा।

मिस्र, तुर्की, कजाकिस्तान जैसे देशों में बैन जारी
​​​​​​​गेहूं पर बैन के मोर्चे पर मिस्र, तुर्की, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, कुवैत, कोसोवो, यूक्रेन, बेलारूस जैसे कम से कम 8 देश हैं, जिन्होंने अभी भी गेहूं पर एक्सपोर्ट बैन जारी रखा है। मिस्र और तुर्की भी भारत से बड़ी मात्रा में गेहूं का इंपोर्ट कर रहे हैं और उन्हें बैन करने के बाद ओपन एक्सपोर्ट के लिए पूछने का कोई अधिकार नहीं है। सरकार ने बताया कि पिछले कुछ महीनों में अर्जेंटीना और हंगरी जैसे कुछ अन्य देशों ने गेहूं के एक्सपोर्ट पर बैन लगा दिया था, लेकिन अब हटा लिया है। रूस ने एक्सपोर्ट ड्यूटी हटा दी, लेकिन वेस्टर्न देशों में ट्रेड बैन की वजह से, वह एक्सपोर्ट नहीं कर पा रहा है।

पाम ऑयल पर भी लग चुका है बैन
इसके अलावा, कई दूसरे फूड प्रोडक्ट्स को एक्सपोर्ट के लिए बैन कर दिया गया है। इनमें इंडोनेशिया (पाम ऑयल), अर्जेंटीना, कजाकिस्तान, कैमरून, कुवैत आदि के सब्जी तेल का बैन शामिल है।इंडोनेशिया के पाम तेल एक्सपोर्ट पर बैन लगाने का फैसला देश के सभी सब्जी तेल एक्सपोर्ट के लगभग एक तिहाई (पाम तेल में लगभग 60%) है। ग्लोबल सब्जी तेल शिपमेंट का उन देशों (जैसे बांग्लादेश, पाकिस्तान, भारत) पर बड़ा असर पड़ा, जो अपनी डोमेस्टिक जरूरत को पूरा करने के लिए इंडोनेशिया पर बहुत ज्यादा निर्भर थे।

इस रबी मार्केट सीजन में 180 लाख मीट्रिक टन खरीदी हुई
रबी मार्केट सीजन (RMS) 2022-23 में गेहूं की खरीद पिछले साल के RMS 2021-22 (यानी 45%) में 400 लाख मीट्रिक टन (LMT) की तुलना में 180 लाख मीट्रिक टन हुई है। इसकी वजह खुले बाजार में किसान को MSP से बेहतर कीमत मिली। इससे स्पष्ट है कि 16 मई, 2022 और 17 मई, 2022 को खरीद क्रमश: 31,349 मीट्रिक टन और 27,876 मीट्रिक टन रही है, जबकि पिछले साल इसी दिन (यानी समान दिनों में) क्रमशः 3,80,200 मीट्रिक टन और 1,46,782 मीट्रिक टन की खरीद हुई थी। जो कि केवल 8.2% और 19% है।

इसके अलावा, आरएमएस 2022-23 में 180 एलएमटी की खरीद केंद्र सरकार द्वारा गेहूं के सिकुड़े अनाज (6 प्रतिशत से 18 प्रतिशत) के उचित औसत गुणवत्ता (एफएक्यू) मानदंडों में छूट के कारण भी हुई है। इससे किसान को सरकार को एमएसपी पर उपज बेचने में सुविधा हुई है, जो कम कीमत पर खुले बाजार में बेच रही थी, सरकार का कहना है कि इस तरह ये किसानों की वित्तीय सुरक्षा की रक्षा करती है।

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