खेल के 11वें मिनट में गोल करने वाली वो लड़की: लखनऊ की गलियों में मां ने सब्जी बेचकर बड़ा किया, बेटी ने हॉकी वर्ल्ड कप में दिखाया कमाल
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5 मिनट पहले
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महिला हॉकी जूनियर विश्व कप दक्षिण अफ्रीका में खेला जा रहा है। यहां शुक्रवार को दक्षिण कोरिया के खिलाफ खेले गए क्वार्टर फाइनल मुकाबले में लखनऊ की मुमताज खान ने इंडियन टीम की तरफ से खेलते हुए पहला गोल दागा और टीम को सेमीफाइनल में पहुंचने का रास्ता साफ किया। पॉचेफस्ट्रम में खेले गए क्वार्टर फाइनल मैच के 11वें मिनट में मुमताज खान ने दक्षिण कोरियाई गोलकीपर को चकमा देते हुए गोल कर टीम को शानदार शुरुआत दिलाई। मुमताज को शानदार प्रदर्शन करने के लिए प्लेयर ऑफ द मैच के खिताब से नवाजा गया। बता दें कि भारत ने जूनियर हॉकी वर्ल्ड कप में अब तक चार में से चार मैच जीते हैं जिनमें मुमताज का योगदान सबसे ज्यादा रहा।
स्कूल के दिनों में हॉकी खेलने पर मां ने बहुत डांटा। कई बार पिटाई भी हुई, लेकिन जब बेहतर प्रदर्शन करने लगी तो खेलने की मंजूरी दे दी
मां लगाती हैं सब्जी का ठेला
मुमताज की मां कैसर जहां लखनऊ की तोपखाना बाजार की तंग गलियों में सब्जी का ठेला लगाती हैं। शुक्रवार को भी सब्जी बेच रहीं कैसर जहां विश्व कप में अपनी बेटी के इस कमाल को नहीं देख सकीं। हालांकि, मां को बेटी को खेलते हुए देख पाने का मलाल नहीं है। कैसर जहां कहती हैं कि भविष्य में ऐसे कई और मौके आएंगे जब वह अपनी बेटी को गोल करते हुए देखेंगी।
मां बोली- मुझे उम्मीद है कि मैं भविष्य में बेटी को खेलते हुए जरूर देखूंगी
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए हुए कैसर जहां ने कहा, “वो मेरे लिए एक व्यस्त समय था। मैं अपनी बेटी को गोल करते हुए देखना पसंद करती। लेकिन मुझे रोजी-रोटी भी कमानी है। मुझे उम्मीद है कि भविष्य में ऐसे कई मौके आएंगे जब मैं अपनी बेटी को गोल करते हुए देखूंगी।”
दूसरी तरफ देखा जाए तो मां का भरोसा गलत नहीं है। क्योंकि जूनियर स्तर से आगे का सफर मुश्किल होता है। लेकिन मुमताज के अंदर जो गति, क्षमता और प्रतिभा है उसे देखकर लगता है कि वह सीनियर लेवल पर टीम का प्रतिनिधित्व करेंगी।
फॉरवर्ड पोजिशन पर खेलने वाली मुमताज वर्ष 2016 में रांची और वर्ष 2017 में रोहतक में नेशनल सब जूनियर महिला हॉकी में दमखम दिखा चुकी हैं
एथलीट के बजाय बन गई हॉकी खिलाड़ी
2013 में मुमताज आगरा में एक प्रतियोगिता के लिए अपनी स्कूल एथलेटिक्स टीम के साथ गई थी, जहां मुमताज ने शीर्ष स्थान हासिल किया, जिसके बाद एक स्थानीय कोच ने मुमताज को सुझाव दिया कि वह हॉकी खेलना शुरू करें। मुमताज के बचपन के कोच नीलम सिद्दीकी ने कहा, “मुमताज के पास वह स्पीड और एनर्जी थी जो हमें लगा कि हॉकी में काम आएगी। हमें लगा कि अगर वह हॉकी के गेम को अच्छी तरह समझ लेती है, तो वह एक बहुत अच्छी खिलाड़ी बन सकती है।”
मुमताज 13 साल की थी और तब तक वह केवल कुछ ही बार अपनी स्कूल टीम के लिए खेली थी। उस दौरान मुमताज ने सीनियर प्लेयर्स को जबरदस्त टक्कर दी थी।
ओलंपिक में खेलने का है सपना
बेहद गरीब परिवार में जन्मी मुमताज के माता-पिता सब्जी का ठेला लगाते हैं। लखनऊ की रहने वाली मुमताज की बचपन से ही हॉकी में रुचि थी। 2011 में उनकी प्रतिभा को हॉकी कोच नीलम सिद्दीकी ने पहचाना।
2014 में लखनऊ हॉस्टल में प्रवेश मिला और सिद्दीकी से प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया। वर्ष 2015 में छत्तीसगढ़ और 2016 में रांची में नेशनल जूनियर महिला हॉकी में उत्तर प्रदेश की ओर से खेल चुकी हैं।
इतना ही नहीं दिसंबर 2016 में थाइलैंड में हुए अंडर-18 महिला हॉकी एशिया कप में मुमताज भारतीय टीम की ओर से खेल चुकी हैं। इसके बाद 2017 में ऑस्ट्रेलिया, 2018 में नीदरलैंड और बेल्जियम में जूनियर हॉकी में हिस्सा लेने का गौरव मिला। मुमताज का सपना है कि वह ओलंपिक में इंडियन हॉकी टीम का हिस्सा बने।
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