RBI का नया नियम जनवरी से: अब हर बार पेमेंट के लिए डालना होगा कार्ड का 16 डिजिट नंबर, पेमेंट कंपनियां डिटेल सेव नहीं कर सकतीं
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मुंबई5 मिनट पहले
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- पेमेंट गेटवे कंपनियां नियमों में छूट चाहती हैं
- रिजर्व बैंक किसी तरह की छूट देने के मूड में नहीं
जनवरी 2022 से आपको पेमेंट के लिए हर बार कार्ड के 16 डिजिट वाले नंबर्स को डालना जरूरी होगा। पेमेंट गेटवे कंपनियां आपके कार्ड की डिटेल सेव नहीं कर सकती हैं। भारतीय रिजर्व बैंक इसके लिए पूरी तरह से कमर कस चुका है।
पेमेंट गेटवे कंपनियां नियमों से छूट चाहती हैं
दरअसल पेमेंट गेटवे कंपनियां चाहती हैं कि रिजर्व बैंक इस तरह के नियमों से उन्हें छूट दे दे। लेकिन रिजर्व बैंक किसी भी हालात में इस तरह की कोई भी छूट देने के विरोध में है। इस नियम के मुताबिक, जनवरी 2022 से एक ही क्लिक पर पेमेंट ऑपरेटर्स को चेकआउट सेवाएं देने, उनकी कार्ड डिटेल्स की स्टोरिंग करने पर रोक लग सकती है।
डेबिट और क्रेडिट दोनों कार्ड पर लागू होगा नियम
डेबिट और क्रेडिट दोनों कार्डधारकों को 2022 से ऑनलाइन पेमेंट करने के लिए हर बार अपने कार्ड के 16 अंकों के नंबर को दर्ज करने की जरूरत हो सकती है। फिलहाल ऐसा नियम है कि आपने एक बार पेमेंट कर दिया तो दूसरी बार आपको केवल कार्ड वेरीफिकेशन वैल्यू (CVV) और वन टाइम पासवर्ड (OTP) ही देना होता है। इसके बाद आपका पेमेंट हो जाता है।
ग्राहकों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है ड्राफ्ट
जानकारों के मुताबिक, RBI की नई नीतियों का ड्राफ्ट ग्राहक सुरक्षा को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। हालांकि मौजूदा सिस्टम ठीक-ठाक लगता है, पर इससे कई बार नियमों का उल्लंघन होता है। साथ ही साइबर खतरे भी बने रहते हैं। क्योंकि ग्राहक के कार्ड की जानकारी उनके सिस्टम पर रहती है जो सीधे RBI की निगरानी में नहीं है।
PCI ने दिया है विकल्प का प्रस्ताव
ग्राहकों की परेशानी को कम करने के लिए पेमेंट्स काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) ने टोकन के माध्यम से एन्क्रिप्शन के विकल्पों का प्रस्ताव दिया है। इसके तहत जैसे फाइल पर सिक्योर रेफेरेंस नंबर हो। उनका यह सुझाव इसलिए है क्योंकि लाइसेंस वाले एग्रीगेटर चार्जबैक करने के लिए अलग सर्वर पर कार्ड का डेटा स्टोर करते हैं। इसलिए यदि ग्राहक सहमत होते हैं तो इन सर्वर्स का उपयोग एक क्लिक पर चेकआउट की मंजूरी देने के लिए किया जा सकता है।
पेमेंट के ढेर सारे विकल्प हैं
बतातें चलें कि इस समय देश में कई तरीके से पेमेंट करने के तरीके हैं। साथ ही डिजिटल लेन-देन भी तेजी से बढ़ा है। ऐसे में ग्राहक एक बार जब कार्ड का उपयोग करता है तो उसका नाम, 16 डिजिट का नंबर सेव हो जाता है। अगली बार उसे केवल CVV और OTP ही देना होता है। ऐसे में इसमें बहुत ज्यादा खतरा रहता है। यही कारण है कि अब हर बार कार्ड की पूरी डिटेल देनी होगी।
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