NSE को-लोकेशन घोटाला: आनंद सुब्रमण्यम की जमानत याचिका खारिज, पिछले महीने हुई थी गिरफ्तारी
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NSE Co-Location Case19 मिनट पहले
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दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने गुरुवार को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के पूर्व ग्रुप ऑपरेटिंग ऑफिसर और मैनेजिंग डायरेक्टर चित्रा रामकृष्ण के पूर्व सलाहकार आनंद सुब्रमण्यम की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। CBI ने सुब्रमण्यम को NSE को-लोकेशन घोटाले में पिछले महीने चेन्नई से गिरफ्तार किया था।
इस पूरे मामले में आनंद पर आरोप है कि वह चित्रा रामकृष्ण को कंट्रोल कर रहा था। वहीं दूसरी ओर चित्रा रामकृष्ण पर आरोप है कि वे आनंद को स्टॉक एक्सचेंज की बेहद महत्वपूर्ण और गोपनीय जानकारियां देती थीं। चित्रा को भी पूछताछ के लिए अरेस्ट किया गया है।
बाबा के कहने पर हुई थी आनंद सुब्रमण्यम की नियुक्ति
मार्केट रेग्युलेटर सेबी ने चित्रा रामकृष्ण पर आरोप लगाए थे कि वे हिमालय के एक अज्ञात बाबा की कहने पर फैसले लेती थीं। इतना ही नहीं, बाबा की सलाह पर ही उन्होंने आनंद सुब्रमण्यम को एक्सचेंज में ग्रुप ऑपरेटिंग ऑफिसर और प्रबंध निदेशक का सलाहकार बनाया था।
2013 में चित्रा NSE की पहली महिला MD और CEO बनी थीं। 2016 में उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया था।
20 साल से चित्रा रामकृष्ण को सलाह दे रहे थे आनंद सुब्रमण्यम
आनंद सुब्रमण्यम की गिरफ्तारी के बाद पूछताछ में पता चला कि हिमालय से चित्रा रामकृष्ण को सलाह देने वाला योगी कोई और नहीं बल्कि खुद आनंद सुब्रमण्यम ही था। रिपोर्ट्स के मुताबिक चित्रा रामकृष्ण हिमालय में रहने वाले योगी (आनंद सुब्रमण्यम) को ‘शिरोमणि’ कहा करती थीं। आनंद सुब्रमण्यम पिछले 20 साल से चित्रा को व्यक्तिगत और पेशेवर मामलों में सलाह देते आ रहे थे।
2016 में आरोप लगने के बाद आनंद ने NSE छोड़ा
आनंद सुब्रमण्यम को पहली बार 2013 में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) में मुख्य स्ट्रैटजिक एडवाइजर के रूप में अपॉइंट किया गया था। इसके बाद MD चित्रा रामकृष्ण ने 2015 में NSE के ग्रुप ऑपरेटिंग ऑफिसर के रूप में उन्हें प्रमोट किया। 2016 में अनियमितताओं का आरोप लगने के बाद आनंद ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज छोड़ दिया।
आनंद सुब्रमण्यम को 1 अप्रैल 2013 को NSE का चीफ स्ट्रैटजिक ऑफिसर बनाया गया था।
को-लोकेशन फैसिलिटी का एक्सेस देने से स्कैम हुआ
NSE को-लोकेशन स्कैम में कुछ चुनिंदा ब्रोकर्स को गलत तरीके से फायदा पहुंचाया गया था। इसकी जांच में सामने आया था कि OPG सिक्योरिटीज नामक ब्रोकरेज फर्म को फायदा पहुंचाने के लिए उसे को-लोकेशन फैसिलिटीज का एक्सेस दिया गया था। इस फैसिलिटी में मौजूद ब्रोकर्स को बाकियों की तुलना में कुछ समय पहले ही सारा डेटा मिल जाता है।
करोड़ों रुपए का हेर-फेर किया गया
CBI का मानना है कि NSE में करोड़ों रुपए की हेर-फेर की गई। यह स्कैम उसी समय शुरू हुआ था, जब चित्रा नंबर दो की हैसियत से प्रमोट होकर नंबर वन बनने के बेहद करीब थीं। चित्रा के CEO बनने के बाद भी यह स्कैम चलता रहा था और तब आनंद उनके सबसे करीबी सहयोगी बन चुके थे। CBI इस मामले में उस अज्ञात योगी का कनेक्शन तलाश रही है, जिसके इशारे पर चित्रा NSE के सारे फैसले ले रही थीं।
NSE में आनंद को 9 गुना से भी ज्यादा का पैकेज मिला
सेबी के एक हालिया आदेश के बाद इस पूरे मामले की जानकारी खुलकर सामने आई। सेबी के आदेश के मुताबिक, 2013 में NSE की CEO और MD चित्रा रामकृष्ण ने आनंद सुब्रमण्यम को चीफ स्ट्रैटजी ऑफिसर (COO) के पद पर हायर किया।
आनंद सुब्रमण्यम NSE में आने से पहले 15 लाख रुपए की नौकरी कर रहे थे। NSE में उन्हें 9 गुना से भी ज्यादा बढ़ाकर 1.38 करोड़ रुपए का पैकेज दिया गया। इसके बाद उन्हें लगातार प्रमोशन मिला और वह कुछ ही समय में ग्रुप ऑपरेटिंग ऑफिसर (GOO) बन गए।
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