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IPL के बाद 80% टेस्ट के नतीजे निकले: वनडे में 17 बार 400+ स्कोर बने; 5 साल में 1400+ T20I खेले गए

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स्पोर्ट्स डेस्क7 मिनट पहले

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इंडियन प्रीमियर लीग का 16वां सीजन कल से शुरू हो रहा है। गुजरात टाइटंस और चेन्नई सुपरकिंग्स के बीच अहमदाबाद में सीजन का पहला मैच होगा। करीब 15 साल पहले 18 अप्रैल 2008 को KKR और RCB के बीच टूर्नामेंट इतिहास का पहला मैच खेला गया था।

तब से लेकर अब तक क्रिकेट में कई बदलाव आए। IPL और इंटरनेशनल क्रिकेट ने कई एडवांस्ड रूल और बैटर्स ने अटैकिंग अप्रोच को अपना लिया। इन सालों में वनडे मैचों की संख्या घटी तो टी-20 मैच लगातार बढ़ते चले गए। सबसे लंबे और चैलेंजिंग फॉर्मेट टेस्ट क्रिकेट के 80% मैचों के नतीजे आए। यहां तक कि दुनियाभर के देशों में IPL के अलावा भी 10 फ्रेंचाइजी लीग शुरू हो गईं।

IPL स्पेशल स्टोरीज की इस सीरीज में आज हम इन 15 सालों में क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में आए बदलावों पर नजर डालेंगे। साथ ही जानेंगे कि फटाफट क्रिकेट की इस लीग ने भारतीय क्रिकेट को क्या कुछ खास गिफ्ट दिए…

टी-20 के 5 साल बाद आया IPL
2003 में इंग्लैंड के ‘ट्वेंटी-20 कप’ में पहली बार टी-20 मैच खेला गया, जो आगे चलकर ”’नेटवेस्ट टी-20 ब्लास्ट’ बना। 17 फरवरी 2005 को ऑस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड के बीच पहला टी-20 इंटनरेशनल हुआ। 2 साल बाद साउथ अफ्रीका में इस फॉर्मेट का वर्ल्ड कप खेला गया और अगले ही साल भारत में इस फॉर्मेट की फ्रेंचाइजी लीग (IPL) भी शुरू हो गई।

IPL के आने से पहले वनडे और टेस्ट क्रिकेट ही बहुत ज्यादा होता था। लेकिन IPL के बाद दुनियाभर में टी-20 क्रिकेट आकर्षक हुआ। इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल और दुनियाभर के बाकी क्रिकेट बोर्ड ने भी इस पर ध्यान दिया और इसी हिसाब से अपनी टीमों के मैच और शेड्यूल भी तय किए। नतीजे ये सामने आए कि टेस्ट मैचों की संख्या में तो कुछ खास बदलाव नहीं हुआ। लेकिन वनडे मैच कम हो गए और टी-20 में टीमों के साथ मैचों की संख्या भी बहुत हद तक बढ़ गई।

वनडे घटे, टी-20 तेजी से बढ़े
आंकड़ों पर नजर डालें तो 2003 से 2007 तक 221 टेस्ट, 733 वनडे और 50 टी-20 मैच खेले गए। 2008 से 2012 के 5 सालों में 212 टेस्ट, 654 वनडे और 248 टी-20 हुए। उसके बाद के 5 सालों में 222 टेस्ट, 631 वनडे और 338 टी-20 इंटरनेशनल खेले गए। इस दौरान टी-20 की टीमें भी बढ़ गईं।

लेकिन पिछले 5 सालों में टी-20 क्रिकेट के मैच बढ़कर 1401 हो गए, इस दौरान 2 टी-20 वर्ल्ड कप भी हो गए। वहीं वनडे मैच घटकर 609 रह गए। जबकि टेस्ट पर कुछ खास असर नहीं हुआ और इस दौरान सबसे लंबे फॉर्मेट के 210 मैच खेले गए।

80% टेस्ट के नतीजे निकले
15 मार्च 1877 को मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच पहला टेस्ट मैच खेला गया। तब के ज्यादातर टेस्ट ड्रॉ ही होते थे। पहले टेस्ट मैच के 96 साल बाद 1971 में वनडे क्रिकेट आया, जिसने टेस्ट की रफ्तार बढ़ाई। लेकिन टी-20 क्रिकेट आने के बाद क्रिकेट के सबसे लंबे फॉर्मेट की रफ्तार कुछ ज्यादा ही तेजी से बढ़ गई।

1974 से 1990 तक 431 तक टेस्ट मैच खेले गए। इनमें से 42.92% मैच ड्रॉ रहे और 57.08% मैचों के नतीजे निकले। 1991 से 2007 तक 697 टेस्ट खेले गए, वनडे क्रिकेट के प्रभाव से करीब 29% मैचों के नतीजे निकले। वहीं IPL के पहले सीजन से 644 टेस्ट हुए, 80% मैचों के नतीजे निकले और महज 131 टेस्ट ही ड्रॉ रहे।

दोहरे शतक भी बढ़े
IPL आने के बाद टेस्ट बैटर्स के बड़े स्कोर भी तेजी से बढ़ने लगे। 1877 से 2007 तक 1856 टेस्ट में 275 बार ही दोहरे शतक लगे थे। लेकिन IPL के 15 सालों में 126 डबल सेंचुरी लग गईं। इसी स्पीड से डबल सेंचुरी लगीं तो 2040 तक ही उतनी डबल सेंचुरी लग जाएंगी जितनी टेस्ट क्रिकेट के शुरुआती 130 सालों में नहीं लगीं।

50 ओवर में 500 रन नामुमकिन नहीं
50 ओवर फॉर्मेट में तेजी लाने का श्रेय भी IPL और टी-20 क्रिकेट को ही जाता है। 1971 में पहले वनडे के बाद 2007 तक 5 बार ही टीमें 400 से ज्यादा का स्कोर बना सकी थीं। लेकिन IPL के 15 सालों में 17 बार टीमों ने 400 का स्कोर पार कर दिया। यहां तक कि 50 ओवर फॉर्मेट का सर्वाधिक स्कोर 500 से 2 ही रन कम 498 है। जो इंग्लैंड ने पिछले साल नीदरलैंड के खिलाफ ही बनाया था।

इस दौरान इंग्लैंड और भारत ने 5-5 बार 400+ स्कोर बनाए। जबकि 4 बार 400+ स्कोर के साथ साउथ अफ्रीका इस लिस्ट में दूसरे नंबर पर रहा। ऑस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड और श्रीलंका ने भी इस दौरान एक-एक बार 400 से ज्यादा रन बनाए।

80 बार 300+ स्कोर चेज हुए
IPL के बाद वनडे में टीमों के चेज करने की क्षमता भी बढ़ी। 3784 वनडे में से 407 बार टीमों ने पहली पारी में 300 रन बनाए। टारगेट का पीछा करते हुए 136 बार टीमें दूसरी पारी में 300+ स्कोर तक पहुंची। इनमें 80 बार टीमों को जीत भी मिली और 4 मुकाबले टाई रहे।

IPL से पहले 37 सालों में टीमों ने 236 बार पहली पारी में 300 से ज्यादा रन बनाए थे। इस दौरान दूसरी पारी में टीमें 43 बार ही 300+ के स्कोर तक पहुंच सकीं, इनमें 25 में उन्हें जीत मिली। खिलाड़ी भी तेजी से रन बनाने लगे, IPL के पहले एक भी दोहरा शतक नहीं बना था। लेकिन अब तक कुल 10 दोहरे शतक लग चुके हैं।

120 गेंदों में टीमें 300 रन बनाना चाहने लगीं
IPL टी-20 इंटरनेशनल क्रिकेट में भी क्रांति लेकर आया। पिछले 5 सालों में इस फॉर्मेट पर कुछ ज्यादा ही असर हुआ है। ICC भी ज्यादा से ज्यादा असोसिएट देशों को टी-20 क्रिकेट खेलने का दर्ज देने लगा। 2005 से 2007 तक 3 सालों में टी-20 वर्ल्ड कप के बाद भी महज 50 मैच हुए थे। लेकिन पिछले 5 सालों में दुनियाभर में 1400 से ज्यादा टी-20 मैच हो चुके हैं।

120 गेंदों के खेल में टीम का सर्वाधिक स्कोर 278 और खिलाड़ी का सर्वाधिक स्कोर 172 रन है। इसी स्पीड से क्रिकेट चला तो जल्द ही टी-20 क्रिकेट में भी कोई टीम 300 और कोई खिलाड़ी 200 रन का स्कोर पार कर देगा।

200+ स्कोर तेजी से चेज भी हुए
पिछले दिनों साउथ अफ्रीका ने 18.5 ओवर में ही 259 रन का विशाल टारगेट चेज कर दिखाया। ये सब IPL जैसी कई फ्रेंचाइजी क्रिकेट में बैटर्स के अटैकिंग अप्रोच के कारण ही पॉसिबल हो पाया है। 2005 से 2017 तक 43 बार टीमों ने पहली पारी में 200 से ज्यादा रन बनाए। इन 13 सालों के दौरान दूसरी पारी में 15 बार ही 200+ स्कोर बन सके, उनमें से 9 बार टीमों ने जीत हासिल की।

वहीं पिछले 5 सालों में 147 बार पहली पारी में 200+ स्कोर बन गए। इस दौरान 28 बार दूसरी पारी में 200+ स्कोर बने और 18 बार सफलतापूर्वक चेज भी कर लिए गए। इन 5 सालों में भी टीम इंडिया ने सबसे ज्यादा 18 बार 200+ स्कोर बनाए। भारत के बाद न्यूजीलैंड ने 13 और वर्ल्ड चैंपियन इंग्लैंड ने 12 बार 200+ स्कोर बनाए।

फ्रेंचाइजी क्रिकेट की बाढ़ सी आ गई
IPL सिर्फ इंटरनेशनल क्रिकेट में ही बदलाव नहीं लाया, बल्कि दुनियाभर के कई देशों में अलग-अलग फ्रेंचाइजी लीग भी शुरू हो गई। अब तो आलम ये है कि साल भर किसी न किसी देश की टी-20 लीग जारी ही रहती है। लेकिन IPL जितनी प्रसिद्धि कोई और लीग हासिल नहीं कर सकी। प्रसिद्धि के अलावा पैसों के लिहाज से भी IPL दुनिया की सबसे महंगी लीग है।

15 सालों में बदल गया भारत का क्रिकेट
IPL के इन 15 सीजन में दुनिया का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) और भी ज्यादा अमीर हो गया। IPL से होने वाली कमाई के बाद BCCI अपने खिलाड़ियों को भी मालामाल करने लगा। पुरुषों के साथ महिला क्रिकेटर्स को भी अब एक समान कमाई दी जाती है। यहां तक कि पिछले दिनों जारी हुए एनुअल कॉन्ट्रैक्ट में 3 की जगह अब 4 खिलाड़ियों को A+ कैटेगरी में रखा गया है, जो सालाना 7 करोड़ रुपए सैलरी लेंगे।

टीम इंडिया को मिले ये स्टार्स
IPL ने टीम इंडिया को भी कई सितारे दिए, जो इंटरनेशनल लेवल पर टीम का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। इनमें जसप्रीत बुमराह, हार्दिक पंड्या, अर्शदीप सिंह, मोहम्मद सिराज, शार्दुल ठाकुर, कप्तान-रोहित शर्मा, सूर्यकुमार यादव, अक्षर पटेल, ईशान किशन, थंगारसु नटराजन और नवदीप सैनी जैसे कई बड़े नाम शामिल हैं।

इनके अलावा भारतीय टीम में इस वक्त 6 से 7 पेसर्स लगातार 145 से ज्यादा की स्पीड से गेंदबाजी कर रहे हैं। इनमें जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद सिराज, नवदीप सैनी, उमरान मलिक, प्रसिद्ध कृष्णा जैसे गेंदबाज IPL की ही देन हैं। इनके अलावा कमलेश नागरकोटी, यश दयाल, शिवम मावी, रसिख सलाम जैसे बॉलर्स लगातार 145+ की स्पीड से गेंदबाजी करते हुए टीम इंडिया में आने की तैयारी कर रहे हैं।

भारतीय ऑलराउंडर्स सबसे बड़ी देन IPL ने भारतीय क्रिकेट को सबसे बड़ा गिफ्ट ऑलराउंडर्स के रूप में दिया है। हार्दिक पंड्या जैसे बेहतरीन ऑलराउडंर के अलावा शार्दुल ठाकुर, रवींद्र जडेजा, वॉशिंगटन सुंदर, अक्षर पटेल जैसे प्लेयर्स को प्रेशर में परफॉर्म करने का शानदार प्लेटफॉर्म दिया। IPL का प्रेशर मैनेज करने के बाद इन खिलाड़ियों ने इंटरनेशनल लेवल पर भी टीम इंडिया के लिए शानदार परफॉर्मेंस दी।

इनके अलावा राहुल तेवतिया, अभिषेक शर्मा, शिवम दुबे, कमलेश नागरकोटी, शिवम मावी, वेंकटेश अय्यर, कृष्णप्पा गौतम, क्रुणाल पंड्या, रियान पराग, महिपाल लोमरोर, शाहबाज अहमद, कर्ण शर्मा, मयंक डागर और अब्दुल समद जैसे कई ऑलराउंडर्स लगातार टीम इंडिया में आने के लिए तैयार हो रहे हैं।

भारत को टेस्ट प्लेयर्स कम मिलने लगे
IPL के कारण क्रिकेट के सबसे चैलेंजिंग फॉर्मेट टेस्ट क्रिकेट में भारत को प्लेयर्स मिलने भी कम हो गए। चेतेश्वर पुजारा और अजिंक्य रहाणे जैसे टेस्ट स्पेशलिस्ट बैटर्स की डिमांड IPL में कम है। इस कारण युवा खिलाड़ी टेस्ट क्रिकेट में अपना इंटरेस्ट कम ले रहे हैं। जिसका असर ये हुआ कि IPL से अब तक महज 47 खिलाड़ी ही टेस्ट डेब्यू कर सके। जबकि वनडे में इस दौरान 78 और टी-20 में 81 खिलाड़ियों ने डेब्यू किया।

1974 से 1990 तक 17 सालों में 62 और 1991 से 2007 तक 17 सालों में 67 खिलाड़ियों ने भारत के लिए टेस्ट डेब्यू किया था। लेकिन पिछले 15 सालों में ये आंकड़ा कुछ हद तक कम हुआ है।

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