5 पॉइंट्स में समझिए क्यों हारी टीम इंडिया: इंग्लैंड की नई स्ट्रैटिजी का खौफ, टॉप ऑर्डर के फ्लॉप शो ने भारत की लुटिया डुबोई
स्पोर्ट्स डेस्क4 मिनट पहले
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जब तक जीत मिल न जाए तब तक जश्न नहीं मनाना चाहिए। बर्मिंघम में इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट ने हमें इस कहावत की फिर से याद दिला दी है। टेस्ट के पहले तीन दिन हमारी टीम हावी रही। फैंस सेलिब्रेट करने लगे। हमने भी टीम इंडिया की जीत तय जैसी हेडिंग लगाई। लेकिन, फिर खेला हो गया।
चौथे दिन इंग्लैंड ने फाइटबैक किया और पांचवें दिन दो घंटे के खेल में मैच अपनी झोली में डाल लिया। 15 साल बाद इंग्लैंड में सीरीज जीतने का हमारा सपना चकनाचूर हो गया। 45 साल में बर्मिंधम में पहला टेस्ट जीतने का ख्वाब भी अधूरा रह गया। नए कप्तान जसप्रीत बुमराह जी-जान लगाने के बावजूद जीत से शुरुआत नहीं करे।
यह सब क्यों हुआ? हमारी टीम के साथ खेला कहां हो गया? चलिए 5 पॉइंट्स के साथ इसे जानने की कोशिश करते हैं
1. BAZBALL का खौफ ले डूबा
इस सीरीज से पहले BAZBALL शब्द इंटरनेशनल क्रिकेट में बहुत गूंज रहा था। यह शब्द इंग्लैंड क्रिकेट टीम की नई स्ट्रैटिजी के लिए गढ़ा गया। इंग्लैंड ने नए कोच ब्रैंडन मैकुलम का निक नेम BAZ है। उन्होंने कोच बनते ही ऐलान किया कि इंग्लैंड की टीम अब अधिक आक्रामक तरीके से खेलेगी और टेस्ट मैच की चौथी पारी में कितना भी बड़ा टारगेट मिले उसे चेज करने की कोशिश करेगी। इस रणनीति को BAZBALL कहा गया।
इंग्लैंड ने इसी स्ट्रैटिजी पर चलते हुए न्यूजीलैंड को 3-0 से क्लीन स्वीप किया। तीनों ही टेस्ट में इंग्लैंड ने चौथी पारी में 275 रन से अधिक का टारगेट चेज करते हुए जीत हासिल की। बर्मिंघम टेस्ट में भी इंग्लैंड ने टॉस जीतकर फील्डिंग चुनी ताकि उसे चौथी पारी में चेज करने का मौका मिले।
भारतीय टीम 378 रन का टारगेट सेट करने के बावजूद BAZBALL के दबाव में आ गई। टीम डर गई कि कहीं इंग्लैंड टारगेट चेज न कर दे। 2 रन के अंदर 3 विकेट निकालने के बावजूद भारत ने फील्ड खोल दी। आशंका थी कि जॉनी बेयरस्टो काफी तेज बैटिंग करेंगे। एक छोर से रवींद्र जडेजा से निगेटिव बॉलिंग भी कराई गई ताकि चौके-छक्के की बरसात न हो जाए।
इंग्लिश बल्लेबाजों बेयरस्टो और जो रूट ने भारत की इस डर का फायदा उठा लिया। उन्होंने खुली हुई फील्ड में आराम से सिंगल-डबल लिए। जरूरत पड़ने पर चौके भी जमाए। बिना कोई खास रिस्क लिए दोनों ने चौथे दिन ही इंग्लैंड को जीत के करीब पहुंचा दिया।
2. सुपरस्टार बल्लेबाजों का फ्लॉप शो
बर्मिंघम की पिच रनों से भरपूर थी। इसके बावजूद हमारे चार बल्लेबाज ऐसे रहे जो दोनों इनिंग्स में फ्लॉप हुए। शुभमन गिल ने 17 और 4 का स्कोर बनाया। हनुमा विहारी ने 20 और 11 रनों की पारी खेली। विराट कोहली 11 और 20 के स्कोर पर आउट हुए। वहीं, श्रेयस अय्यर पहली पारी में 15 और दूसरी पारी में 19 रन ही बना सके।
जब टॉप-6 में शामिल चार बल्लेबाज इस तरह फेल हों तो टेस्ट मैच जीतने की उम्मीद करना भी बेमानी है। पांच दिन हम मुकाबले में इसलिए टिके रहे क्योंकि हमारे लिए उन लोगों ने रन बनाए जिनकी मुख्य भूमिका कुछ और है। विकेटकीपर पंत ने सेंचुरी और हाफ सेंचुरी जमाई। जडेजा ने भी सेंचुरी जमाई। नंबर-10 बल्लेबाज जसप्रीत बुमराह ने एक ओवर में सबसे ज्यादा रन बनाने का रिकॉर्ड बनाया।
3. खराब फील्डिंग/खराब फील्ड प्लेसमेंट
जॉनी बेयरस्टो BAZBALL स्ट्रैटिजी की सबसे अहम कड़ी थे। उन्होंने दोनों पारियों में शतक जमाए। दूसरी पारी में बेयरस्टो के दो-दो कैच छोड़े गए। जब बेयरस्टो 14 रन बनाकर खेल रहे थे तब हनुमा विहारी ने उनका कैच छोड़ दिया। इसके बाद जब वे 39 रन पर थे जब ऋिषभ पंत ने कैच टपका दिया।
फील्ड प्लेसमेंट के मामले में भी भारत की ओर से गलती हुई। स्पिल में फील्डिंग करने वाले चेतेश्वर पुजारा की उंगली पर चोट लगी तो उनके स्थान पर हनुमा विहारी को स्लिप में खड़ा किया गया। विहारी स्लिप के स्पेशलिस्ट फील्डर नहीं हैं। बेयरस्टो का हाथ में आया कैच टपकाकर उन्होंने इसका सबूत भी दिया। शुभमनगिल, श्रेयस अय्यर जैसे खिलाड़ी स्लिप में अच्छी फील्डिंग करते हैं। इन दोनों ने इसी मैच में स्लिप पर तैनाती भी दी। इसके बावजूद इनकी जगह विराही को तैनात किया गया था।
4. जडेजा ऑलराउंडर नहीं सिर्फ बल्लेबाज नजर आए
रवींद्र जडेजा भारतीय टीम में बतौर ऑलराउंडर शामिल हैं। उनका मुख्य काम एक स्पिनर के तौर पर विकेट लेना है। जडेजा ने बल्ले से तो शानदार प्रदर्शन किया लेकिन बतौर गेंदबाज फ्लॉप रहे। पहली पारी में उन्हें सिर्फ दो ओवर गेंदबाजी मिली। दूसरी पारी में चौथे दिन तक उन्होंने 15 ओवर फेंके और 53 रन दिए। विकेट एक भी नहीं मिला।
5. अश्विन को मौका नहीं मिला
इस समय खेल रहे भारतीय गेंदबाजों में रविचंद्रन अश्विन के नाम सबसे ज्यादा विकेट हैं। इसके बावजूद इंग्लैंड के खिलाफ पांच मैचों की सीरीज में एक बार भी मौका नहीं दिया गया। इंग्लैंड के बल्लेबाज क्वालिटी स्पिन के खिलाफ बहुत मजबूत नहीं माने जाते हैं। इसके बावजूद उनको टीम में शामिल न करना चौकाने वाला रहा।
जाते-जाते एक बार और भारतीय टीम यह मैच भले हारी है सीरीज तो ड्रॉ हो ही गई है। 15 साल बाद वहां हमारी टीम सीरीज न जीत सकी यह ठीक है लेकिन 11 साल में पहली बार वहां सीरीज न हारने का रिकॉर्ड बना है। 7 जुलाई से टी-20 सीरीज होनी है उसका आनंद लेने की तैयारी कीजिए।
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