फिर लौटा बिजली संकट: तेज गर्मी और कोयले की कमी से देश में नया बिजली संकट, कई जगहों पर 8 घंटों की बिजली कटौती
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नई दिल्ली2 घंटे पहले
तेज गर्मी और कोयले की भारी कमी ने भारत में नया बिजली संकट पैदा कर दिया है। बिजली की मांग में बढ़ोतरी के कारण पंजाब, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश सहित कई राज्यों को बिजली कटौती करनी पड़ रही है। कुछ जगहों पर तो ये कटौती आठ घंटे तक है। ऐसे में लोगों के पास या तो तेज गर्मी सहने का विकल्प है या फिर दूसरे महंगे विकल्प चुनने पर मजबूर होना पड़ रहा है।
भारत में 70% बिजली का उत्पादन कोयले से होता है, लेकिन कोयले के ट्रांसपोर्ट के लिए रेलवे रेक की उपलब्धता कम होने और कोयले के आयात में कमी के कारण सप्लाई बाधित हुई है। ऐसे में देश में बढ़ी बिजली की मांग पूरी नहीं हो पा रही है। कोरोना महामारी के कम होने के बाद इकोनॉमिक एक्टिविटीज के फिर से बढ़ने और देश में गर्मी के चरम पर पहुंचने के कारण डिमांड बढ़ी है।
1901 के बाद नेशनल ऐवरेज रिकॉर्ड 92 डिग्री पर
देश के कई हिस्सों में तापमान लगातार बढ़ रहा है, जिससे मौसम विभाग ने लू की चेतावनी जारी की है। भारतीय मौसम विभाग के अनुसार, देश की राजधानी नई दिल्ली में 20 अप्रैल को तापमान 108.7 डिग्री फारेनहाइट (42.6 डिग्री सेल्सियस) दर्ज किया गया, जो पांच वर्षों में सबसे गर्म दिन है। मार्च में नेशनल ऐवरेज रिकॉर्ड 92 डिग्री तक पहुंच गया, जो 1901 के बाद सबसे ज्यादा है।
मार्च में गर्मी ने कई रिकॉर्ड तोड़े। नेशनल ऐवरेज रिकॉर्ड 92 डिग्री तक पहुंच गया।
कोयले का केवल 8 दिन का स्टॉक
बिजली मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि, 19 अप्रैल को बिजली उत्पादकों के पास जो स्टॉक था जो औसतन आठ दिनों तक चल सकता था। इस महीने के फर्स्ट हाफ में उत्पादन में 27% की बढ़ोतरी के बावजूद, राज्य के स्वामित्व वाली कोल इंडिया लिमिटेड डिमांड को पूरा नहीं कर पा रही है। कोल इंडिया एशिया की कुछ सबसे बड़ी कोयला खदानों को ऑपरेट करती है।
बिजली उत्पादकों के पास कोयले का काफी कम स्टॉक बचा है
डिमांड ज्यादा कोयला कम
ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के शैलेंद्र दुबे ने कहा, ‘देश भर में थर्मल प्लांट कोयले की कमी से जूझ रहे हैं क्योंकि राज्यों में बिजली की मांग बढ़ गई है।’ वैसे गर्मियों में कोयले की कमी कोई नई बात नहीं है। ऐसा लंबे समय से चला आ रहा है। इसका मुख्य कारण कोल इंडिया की उत्पादन बढ़ाने में असमर्थता और खराब इंफ्रास्ट्रक्चर है। पिछले साल भी इकोनॉमी के खुलने के साथ देश ने ऐसा ही संकट देखा था।
आने वाले समय में बढ़े सकती है परेशानी
डेलॉइट टौच तोहमात्सु के मुंबई बेस्ड पार्टनर देबाशीष मिश्रा ने कहा, ‘अभी ये समस्या और बढ़ सकती है। आने वाले समय में मानसून की बारिश के साथ, खदानों में पानी भर सकता है और ट्रांसपोर्ट में भी परेशानी आ सकती है। इससे कोयले के प्रोडक्शन और सप्लाई में और कमी आ सकती है। मानसून के सीजन से पहले कोयले का स्टॉक जमा किया जाता है, लेकिन भारी डिमांड के कारण ऐसा नहीं हो पा रहा है।
मानसूम सीजन में कोयले का उत्पादन खदानों के भरने के कारण काफी कम हो जाता है
कुछ कपड़ा मिलों में बिजली की कमी से ऑपरेशन रुके
कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट अतुल गनात्रा के अनुसार, देश के पश्चिमी और दक्षिणी हिस्सों में कुछ कपड़ा मिलों में बिजली की कमी ने ऑपरेशन को रोक दिया है। कपास की उच्च लागत की वजह से वो महंगे डीजल-संचालित जनरेटर और अन्य विकल्पों पर खर्च नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इससे कपास की खपत में भारी कमी आएगी।
दक्षिणी हिस्सों में कुछ कपड़ा मिलों में बिजली की कमी ने ऑपरेशन रोक दिया है
डीजल के इस्तेमाल से मार्जिन घटा
पूर्वी राज्य बिहार में एक कार डीलरशिप और रिपेयर शॉप चलाने वाले अतुल सिंह ने कहा कि लगातार बिजली कटौती और डीजल के इस्तेमाल से उनका मार्जिन कम हो रहा है। किसानों पर भी बिजली कटौती का असर हो रहा है। उत्तर प्रदेश में मोहित शर्मा नाम के एक किसान ने कहा कि वह मकई के खेतों में सिंचाई नहीं कर पा रहे हैं। शर्मा ने कहा, “हमें न तो दिन में बिजली मिल रही है और न ही रात में। बच्चे शाम को पढ़ नहीं सकते।”
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