17 महीने के उच्चतम स्तर पर महंगाई: मार्च में रिटेल महंगाई दर 6.95% रही, खाने-पीने का सामान महंगा होने से बिगड़ा बजट
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नई दिल्ली23 मिनट पहले
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आम आदमी को मार्च में महंगाई के मोर्चे पर झटका लगा है। खाने-पीने के सामान महंगा होने से महंगाई 17 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई हैं। मंगलवार को जारी किए गए सरकारी आंकड़ों के मुताबिक कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) आधारित रिटेल महंगाई दर मार्च में बढ़कर 6.95 पर पहुंच गई है। खाने-पीने के सामानों की महंगाई 5.85% से बढ़कर 7.68% हो गई। दूसरी ओर, फरवरी में IIP -3.2% से बढ़कर 1.7% हो गई।
यह लगातार तीसरा महीना है जब महंगाई दर RBI की 6% की ऊपरी लिमिट के पार रही है। फरवरी 2022 में रिटेल महंगाई दर 6.07% और जनवरी में 6.01% दर्ज की गई थी। एक साल पहले मार्च 2021 में रिटेल महंगाई दर 5.52% थी। बीते दिनों रिजर्व बैंक ने इस वित्त वर्ष की अपनी पहली मॉनेटरी पॉलिसी मीटिंग के बाद महंगाई के अनुमान को बढ़ाते हुए पहली तिमाही में 6.3%, दूसरी में 5%, तीसरी में 5.4% और चौथी में 5.1% कर दिया था।
CPI क्या होता है?
दुनियाभर की कई अर्थव्यवस्थाएं महंगाई को मापने के लिए WPI (Wholesale Price Index) को अपना आधार मानती हैं। भारत में ऐसा नहीं होता। हमारे देश में WPI के साथ ही CPI को भी महंगाई चेक करने का स्केल माना जाता है। भारतीय रिजर्व बैंक मौद्रिक और क्रेडिट से जुड़ी नीतियां तय करने के लिए थोक मूल्यों को नहीं, बल्कि खुदरा महंगाई दर को मुख्य मानक (मेन स्टैंडर्ड) मानता है। अर्थव्यवस्था के स्वभाव में WPI और CPI एक-दूसरे पर असर डालते हैं। इस तरह WPI बढ़ेगा, तो CPI भी बढ़ेगा।
रिटेल महंगाई की दर कैसे तय होती है?
रिटेल महंगाई मापने के लिए कच्चे तेल, कमोडिटी की कीमतों, मैन्युफैक्चर्ड कॉस्ट के अलावा कई अन्य चीजें होती हैं, जिसकी रिटेल महंगाई की दर तय करने में अहम भूमिका होती है। करीब 299 सामान ऐसे हैं, जिनकी कीमतों के आधार पर रिटेल महंगाई का रेट तय होता है।
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