फीफा वर्ल्ड कप में अनोखी तकनीक: ओपन स्टेडियम में लगाए गए AC, बाहर 55 डिग्री सेल्सियस तो मैदान में 22 डिग्री ही रहेगा टेम्परेचर
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दोहा6 मिनट पहलेलेखक: निकिता अग्रवाल
इस साल नवंबर में फुटबॉल फीवर शुरू होगा। कतर में 21 नवंबर से 18 दिसंबर के बीच फीफा वर्ल्ड कप खेला जाएगा। ये पहली बार है जब फुटबॉल वर्ल्ड कप किसी गल्फ कंट्री में खेला जा रहा है। कतर भी दुनिया के तमाम फुटबॉल फैन्स को यूनीक एक्सपीरिएंस देना चाहता है। उसने अपने 8 स्टेडियम को एयर कंडीशंड बनाया है। इसके लिए करोड़ों डॉलर खर्च किए।
दरअसल, खाड़ी देशों में रेगिस्तान होते हैं और यही वजह है कि यहां तापमान बाकी देशों के मुकाबले काफी ज्यादा होता है। ऐसे में खिलाड़ियों और दर्शकों की सुविधा के लिए स्टेडियम में एयर कंडीशनर लगवाए गए हैं।
दुनिया में ये भी पहला ही मौका है जब ओपन एयर स्टेडियम को एयर कंडीशंड बनाया जा रहा है। इस काम को अंजाम दिया है डॉ. कूल के नाम से मशहूर मैकेनिकल इंजीनियर डॉ. साउद गनी ने। गनी के मुताबिक, अगर स्टेडियम के बाहर तापमान 52 डिग्री सेल्सियस है तो अंदर का टेम्परेचर 22 डिग्री सेल्सियस ही रहेगा।
कतर में 21 नवंबर से 18 दिसंबर के बीच फीफा वर्ल्ड कप खेला जाएगा।
खुले मैदान में कैसे लगेंगे एसी?
डॉ. गनी कहते हैं- ओपन एयर स्टेडियम के लिए एयर कंडीशनिंग डिजाइन करना बहुत बड़ा चैलेंज था। गर्म हवा ठंडी हवा की तुलना में हल्की होती है। गर्म हवा ऊपर जबकि ठंडी हवा नीचे रहती है। स्टेडियम में हम इसी ठंडी हवा को रिसाइकिल करेंगे।
इसे एक उदाहरण से समझिए। जब एक ग्लास में पानी और तेल डाला जाता है, तब तेल ऊपर रहता है क्योंकि ये हल्का होता है। पानी नीचे बैठ जाता है क्योंकि ये भारी होता है। इस दौरान ग्लास में तैर रही मछली पानी की ठंडी सतह के नीचे रहती है। हमने इसी फॉर्मूले को अपनाया। मैच के दौरान स्टेडियम में बैठे लोग और खिलाड़ी ठंडी हवा में रहेंगे।
कैसे किया?
गनी के मुताबिक, इस किट का टेस्ट करते वक्त सभी सर्विस गेट्स बंद कर दिए गए। नीचे ठंडी हवा की एक लेयर बनाई गई। ऊपर की गर्म हवा तेल की तरह है, लेकिन हम नीचे की ठंडी हवा को रिसाइकिल करेंगे, ताकि ऊपर की गर्म हवा नीचे की ठंडी हवा में मिक्स ना हो। शुरू में यह नामुमकिन जैसा लग रहा था, लेकिन अब हम कामयाब हैं।
मैकेनिकल इंजीनियर डॉ. साउद गनी (सबसे दाएं) अपनी टीम के साथ एक मीटिंग के दौरान।
चुनिंदा जगहों पर जाएगी ठंडी हवा
टेस्टिंग के दौरान गनी को अहसास हुआ कि उन्हें पूरे स्टेडियम को ठंडा करने की जरूरत नहीं है, बल्कि सिर्फ ग्राउंड और फैन्स स्टैंड्स को कूल करना है। इसके बाद उन्होंने स्पॉट कूलिंग सिस्टम डेवलप करना शुरू किया। फायदा ये हुआ कि सिर्फ टार्गेटेड पॉइंट्स यानी चुनिंदा जगहों को ठंडा करने में कामयाबी मिल गई।
काफी रिसर्च और टेस्टिंग के बाद टीम ने ऐसी टेक्नोलॉजी बनाई, जिससे फुटबॉल के नाप के नोजल और एयर डिफ्यूजर की मदद से खिलाड़ियों और दर्शकों पर ठंडी हवा फेंकी जा सके।
फीफा वर्ल्ड कप हर 4 साल में खेला जाता है। यह पहली बार किसी गल्फ कंट्री में खेला जाएगा।
कूलिंग के साथ क्लीनिंग भी
खास बात यह है कि इस आर्टिफिशियल कूलिंग टेक्नोलॉजी में फिल्ट्रेशन सिस्टम भी है। ठीक वैसे ही जैसे एक कार में होता है। अगर हवा दूषित है तो उसे साफ भी किया जा सकेगा।
फीफा वर्ल्ड कप इस साल 21 नवंबर से 18 दिसंबर के बीच कतर में खेला जाएगा। इसमें 32 टीमें हिस्सा लेंगी।
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