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स्टाफ को बहाली की चिंता: बकाया लेने NCLAT के पास गए जेट के कर्मचारी, लैप्स हुआ सबको 22,800 रुपए के नगद का प्रस्ताव

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  • Jet Employees Went To NCLAT To Collect Dues, They Have To Get A Total Of Rs 1,254 Crore From The Company

2 दिन पहले

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जेट एयरवेज के स्टाफ ने कंपनी के खिलाफ नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्राइब्यूनल (NCLAT) का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने कैलरॉक-जालान कंसॉर्टियम के रिजॉल्यूशन प्लान के कुछ पहलुओं को लेकर आपत्ति जताई है। कंसॉर्टियम के रिजॉल्यूशन प्लान को नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (NCLT) ने 22 जून को मंजूरी दी थी।

कंपनी के स्टाफ को कंसॉर्टियम की तरफ से ऑफर किया गया कंपनसेशन पैकेज भी मंजूर नहीं है। दरअसल, इसके पक्ष में कंपनी के लगभग 9,000 एंप्लॉईज में से लगभग 3,000 ने ही वोट दिया था। गौर करने वाली बात यह है कि वोटिंग में कंपनी के 61% यानी 5,500 कर्मचारी शामिल नहीं हुए थे।

स्टाफ का बकाया और नौकरी-बहाली की चिंता

भारतीय कामगार सेना (BKS) और जेट एयरवेज केबिन क्रू एसोसिएशन (JACCA) ने कंपनी के रिजॉल्यूशन के खिलाफ बुधवार को NCLAT में अपील दाखिल की। उनकी अपील कंसॉर्टियम, पिछले रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल, जेट की कमेटी ऑफ क्रेडिटटर्स और मॉनिटरिंग कमेटी के खिलाफ है। इसको लेकर BKS के अरविंद सावंत ने कहा है, ‘हम दो चीजों को लेकर फिक्रमंद हैं। पहली, जेट के स्टाफ का बकाया और दूसरा, उनकी नौकरी, यानी बहाली।’

बंद होने के समय से जुड़े हुए थे 4,000 कर्मचारी

अप्रैल 2019 में जब से जेट का कारोबार रुका था, तब से लगभग 4,000 कर्मचारी उसके साथ बने हुए थे। जेट को दोबारा पैरों पर खड़ा करने का जो प्लान बना है, उसमें कंपनी के पुराने स्टाफ में से सिर्फ 50 को रखा गया है। बाकी लोगों को नई बनने वाली ग्राउंड हैंडलिंग कंपनी के लिए मूल कंपनी से अलग कर दिया गया है।

रिजॉल्यूशन प्लान में हर स्टाफ को 22,800 रुपए का नगद भुगतान करने का प्रस्ताव भी था। उसमें 11,800 रुपए का रिंबर्समेंट माता-पिता के मेडिकल खर्च, बच्चों की स्कूल फीस, स्टेशनरी का खर्च और मोबाइल रिचार्ज शामिल था।

रिजॉल्यूशन को 95% स्टाफ की मंजूरी थी जरूरी

कंसॉर्टियम ने एक शर्त जोड़ी थी कि ऑफर तभी मिलेगा जब कम से कम 95% स्टाफ रिजॉल्यूशन प्लान को मंजूरी देंगे और उसको चुनौती नहीं देंगे। गुरुवार, 19 अगस्त को वोटिंग के नतीजों को लेकर जारी संदेश में कंसॉर्टियम ने कहा कि टोटल स्टाफ में से सिर्फ 35% ने प्रपोजल के पक्ष में वोट दिया, इसलिए प्रापोजल लैप्स हो गया।

NCLAT में BKS और JACCA का पक्ष रख रहे वकील ने कहा, ‘हमारी अपील जेट को दोबारा चालू करने के खिलाफ नहीं है। यह लेबर लॉ के अहम प्रावधानों के उल्लंघन के विरोध में है। वर्करों को उस कंपनी में शिफ्ट किया गया है, जो चालू नहीं है और जो नए मालिकान के विवेक पर बंद की जा सकती है।’

रिजॉल्यूशन प्लान के अतिरिक्त थे कंसॉर्टियम के बेनेफिट ऑफर

कंसॉर्टियम के प्रपोजल में जो बेनेफिट ऑफर किए गए थे, वे रिजॉल्यूशन प्लान के अतिरिक्त थे। NCLT के ऑर्डर में स्टाफ को 52 करोड़ के बकाया का भुगतान करने के लिए कहा गया है। ऑर्डर में यह भी कहा गया है कि कंपनी अगर लिक्विडेट होती है तो स्टाफ का बकाया चुकाए जाने के बाद बचने वाली रकम प्राथमिकता आधार पर उनके बीच बांटी जाएगी।

कंसॉर्टियम ने पिछले महीने कहा था कि कंपनी के वर्करों और एंप्लॉईज को मिलने वाली लिक्विडेशन वैल्यू लगभग 100 करोड़ रुपए है। यह वो रकम है जो कंपनी के दिवालिया घोषित होने की तारीख पर उसके एसेट बेचकर उगाही जा सकती थी। कंपनी पर जेट के कर्मचारियों के प्रोविडेंट फंड, ग्रेच्युटी, लीव एनकैशमेंट और छह महीने के वेतन के रूप में 1,254 करोड़ रुपए का बकाया है।

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