पैरा ओलंपिक में निशाना लगाएंगे तीरंदाज श्याम: लकड़ी के धनुष से शुरू की थी प्रैक्टिस, सब्जी का ठेला लगाने वाले पिता ने ब्याज पर पैसे लेकर खरीदे उपकरण; VIDEO में देखें संघर्ष की कहानी
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- Bikaner’s Shyamsundar Will Target The Indian Team In The Paralympics To Be Held In Tokyo, Has Been Practicing In Bikaner Itself
बीकानेर8 मिनट पहलेलेखक: अनुराग हर्ष
पैरा ओलंपिक के लिए सलेक्ट हुए श्यामसुंदर।
बीकानेर का तीरंदाज श्याम सुंदर स्वामी टोक्यो में आयोजित होने वाले पैरा ओलंपिक में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व करेगा। अभावों की जिंदगी जीने वाले श्यामसुंदर के लिए यह सपना पूरा होने जैसा अनुभव है। श्याम के पिता यहां गली-गली ठेला ले जाकर सब्जी बेचते हैं। कभी सामान्य तीर कमान से निशाने साधने वाले श्याम सुंदर ने अब भारतीय तीरंदाजी में स्वयं को स्थापित कर लिया है। मंगलवार को जारी भारतीय टीम की सूची में राजस्थान से अकेले श्याम सुंदर को शामिल किया गया है।
अभ्यास में व्यस्त श्याम सुंदर स्वामी।
यहां एमएम ग्राउंड में श्याम सुंदर अभ्यास करता था। इसके बाद भारतीय टीम के प्रशिक्षक अनिल जोशी के निर्देशन में प्रैक्टिस शुरू की। भारत में होने वाले हर कॉम्पिटिशन में श्याम सुंदर ने सफलता प्राप्त की है। श्याम सुंदर बताता है कि उसके लिए यह उपलब्धि है और अब सपना पूरा होने वाला है। भारत के लिए पदक जीतने के लिए दिनरात मेहनत कर रहा हूं। भारतीय राष्ट्रगान को ओलंपिक में गूंजता हुआ देखना ही मेरे जीवन का लक्ष्य है। मेरा निशाना गोल्ड पर ही है।
पिता ने ब्याज पर रुपए लेकर खरीदे उपकरण
स्वामी का जन्म 31 दिसंबर 1996 बीकानेर की कोलायत तहसील के भोलासर गांव में हुआ है। स्वामी बहुत ही गरीब परिवार से है। पिताजी बस स्टैंड पर सब्जी का ठेला लगाते हैं और माताजी गृहिणी है। एक भाई भी है जो बचपन से ही विकलांग है। स्वामी की माली हालत ठीक नहीं होने की वजह से पिताजी ने ब्याज पर पैसे लेकर सब्जी का ठेला लगाया और रात दिन एक कर सब्जी बेची और श्याम सुंदर के लिए उपकरणों की व्यवस्था की। घर के पास ग्राउंड होने की वजह से स्वामी वहां तीरंदाजी सीखने जाता था।
कोच अनिल जोशी के साथ श्याम सुंदर।
लकड़ी के धनुष से की थी शुरूआत
स्वामी के कोच अनिल जोशी बताते हैं कि स्वामी लकड़ी के धनुष से तीरंदाजी किया करता था, लेकिन राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आने के लिए आधुनिक उपकरणों की आवश्यकता होती है। जिसका इंतजाम करना उसके पिताजी के लिए बड़ी चुनौती से कम नहीं था, लेकिन जैसे-तैसे करके उन्होंने इंतजाम कर दिया। पैरा तीरंदाजी नेशनल चैंपियन में राजस्थान की तरफ से खेलते हुए टूर्नामेंट का चैंपियन रहा। श्याम बताता है कि वो भी पहले सब्जी का ठेला चलाता था लेकिन पिताजी ने बाद में मना कर दिया। उनकी इच्छा है कि मैं देश के लिए पदक लेकर आऊं। इस पैरा ओलंपिक में पदक लाने का प्रयास रहेगा।
बचपन से पैर खराब
भारतीय टीम के सदस्य बने श्याम का एक पैर बचपन से खराब है। पैर ना सिर्फ टेढ़ा है बल्कि कमजोर भी है। इस कमी को उसने स्वयं पर हावी नहीं होने दिया और आज इस मुकाम पर पहुंच गया।
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