62% शेयर ब्रोकिंग पर 5 बड़ी कंपनियों का कब्जा: बाजार से बाहर हो रहे छोटे ब्रोकर, 3 साल में 252 ने लौटाए लाइसेंस
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मुंबई25 मिनट पहले
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जीरो ब्रोकरेज फिनटेक कंपनियों ने बिगाड़ा मार्केट डायनेमिक्स।
रिटेल निवेशकों की संख्या में रिकॉर्ड बढ़ोतरी के बावजूद बीते कुछ सालों से पारंपरिक तरीके से शेयर ब्रोकिंग का बिजनेस कर रहे कई छोटे और मझोले कारोबारी इस बिजनेस से बाहर हो गए हैं। ऑनलाइन शेयर ट्रेडिंग को बढ़ावा मिलने, लो-कॉस्ट या जीरो ब्रोकरेज वाले मोबाइल फ्रेंडली फिनटेक स्टार्टअप की मौजूदगी के अलावा सेबी और स्टॉक एक्सचेंज के कड़े नियमों से इन पर दबाव बढ़ा है। तीन साल में 250 से ज्यादा छोटे ब्रोकर अपना लाइसेंस लौटा चुके हैं।
ब्रोकिंग मार्केट का सालाना लगभग 28 हजार करोड़ के रेवेन्यू
देश के अधिकांश छोटे और मझोले शेयर ब्रोकर या तो अपना बिजनेस बंद कर रहे हैं या फिर बड़ी कंपनियों से मर्ज होकर सब-ब्रोकर के रूप में काम कर रहे हैं। सालाना लगभग 28 हजार करोड़ के रेवेन्यू वाले इस सेक्टर में 62% कब्जा महज 5 ब्रोकिंग फिनटेक का है। मुकाबले में ठहर नहीं पाने की वजह से बीते 3 सालों में BSE के 130 और NSE के 122 छोटे और मझौले ब्रोकर्स ने अपना लाइसेंस लौटा दिया है।
कोटक महिंद्रा ग्रुप की कोटक सिक्योरिटीज ने हाल ही में 4 छोटी ब्रोकरेज कंपनियों को अपने प्लेटफार्म में शामिल किया है। 20 अन्य से उसकी बातचीत चल रही है। कंपनी के CEO जयदीप हंसराज कहते हैं, छोटे शहरों के ब्रोकर्स के पास फाइनेंशियल रिसोर्स, टेक्नोलॉजी के अलावा नियामक और एक्सचेंज द्वारा लागू सख्त नियमों का पालन करने के लिए दूसरी कैपेसिटी नहीं है। इसलिए बड़ी कंपनियां इन्हें अपने साथ जुड़ने का ऑफर दे रही हैं, जो कि कारोबार बंद करने से कहीं अच्छा है।
अपना परमिट लौटाकर कोटक को अपने क्लाइंट देने वाली 30 साल पुरानी हैदराबाद की पीसीएस सिक्युरिटीज के डायरेक्टर परेश शाह कहते हैं छोटे और मझोले ब्रोकर्स के लिए मार्केट में टिक पाना कठिन हो गया है। जल्द ही अन्य छोटे और क्षेत्रीय ब्रोकर्स भी इसी राह पर चलने वाले हैं।
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