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5 लाख करोड़ रुपए के हाउसिंग प्रोजेक्ट प्रभावित: टॉप 6 शहरों में 1.40 लाख करोड़ के प्रोजेक्ट रुके, 3.64 लाख करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट में देरी

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मुंबई9 घंटे पहले

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  • NCR में रुके हुए प्रोजेक्ट में से 24% अफोर्डेबल सेगमेंट के हैं
  • मुंबई और इसके आस-पास में 22% अफोर्डेबल सेगमेंट के घर हैं

कोरोना के चलते पिछले 18 महीनों में देश भर के टॉप शहरों में हाउसिंग प्रोजेक्ट पर बुरा असर दिखा है। इसमें करीबन 1.40 लाख करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट रुक गए हैं। जबकि 3.64 लाख करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट में देरी हो गई है। यानी कुल 5.05 लाख करोड़ रुपए के हाउसिंग प्रोजेक्ट प्रभावित हुए हैं।

कैश की किल्लत है देरी के पीछे की वजह

एनारॉक कंसल्टेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, इस देरी की मुख्य वजह कैश की किल्लत है। इससे बिल्डर और डेवलपर्स अपने प्रोजेक्ट को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। इससे उन लोगों के सामने दिक्कत होगी, जिन्होंने इस प्रोजेक्ट में अपना घर बुक कराया है। आंकड़े बताते हैं कि सबसे ज्यादा प्रोजेक्ट राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में रुके हैं। यहां पर 1 लाख 13 हजार 860 घर फंसे हैं। इनकी कुल वैल्यू 86 हजार 463 करोड़ रुपए है।

NCR में रुके हुए प्रोजेक्ट में से 50% घर मिड सेगमेंट के हैं

NCR में रुके हुए प्रोजेक्ट में से 50% घर मिड सेगमेंट के हैं। 24% अफोर्डेबल सेगमेंट के हैं। 20% प्रीमियम सेगमेंट के हैं। 6% प्रोजेक्ट लग्जरी सेगमेंट के फंसे हैं। मुंबई और इसके आस-पास में कुल 41,720 घर अटके हैं। इनकी वैल्यू 42,417 करोड़ रुपए है। इसमें 37% घर लग्जरी सेगमेंट के हैं। 22% अफोर्डेबल सेगमेंट के हैं। 21% प्रीमियम और 20% मिड सेगमेंट के हैं।

पुणे में 5,854 करोड़ रुपए के घर अटके हैं

पुणे की बात करें तो यहां कुल 5,854 करोड़ रुपए की 9,990 यूनिट अटकी है। इसमें 52% घर मिड सेगमेंट के जबकि 26% अफोर्डेबल सेगमेंट के घर हैं। 15% प्रीमियम सेगमेंट के और 7% लग्जरी सेगमेंट के हैं। हैदराबाद में 2,727 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट हैं। यहां 4,150 घर फंसे हैं। इसमें 55% घर मिड सेगमेंट के हैं जबकि 28% प्रीमियम सेगमेंट के, 9% लग्जरी के और 8% अफोर्डेबल सेगमेंट के हैं।

बंगलुरू में 3,061 करोड़ रुपए के 3,870 घर फंसे हैं। इसमें 44% मिड सेगमेंट के हैं, 32% प्रीमियम, 17% लग्जरी और 7% अफोर्डेबल सेगमेंट के घर हैं।

NCR में 1.63 लाख करोड़ रुपए के 2.14 लाख घरों में देरी आई है

देरी वाले प्रोजेक्ट की बात करें तो NCR में 1.63 लाख करोड़ रुपए के 2.14 लाख घरों में देरी आई है। मुंबई और इसके आस-पास में 1.09 लाख करोड़ रुपए के 1.07 लाख घरों में देरी हुई है। बंगलुरू में 30 हजार करोड़ रुपए के 37,910 घरों में देरी हुई है। पुणे में 40 हजार घरों के बनने में देरी हुई है। इनकी कुल वैल्यू 23,536 करोड़ रुपए है। जबकि कोलकाता में 28,960 घरों में देरी हुई है। इनकी वैल्यू 17,869 करोड़ रुपए है। हैदराबाद में 13,810 घर हैं जिनमें देरी हुई है। इनकी वैल्यू 9,083 करोड़ रुपए है।

बिल्डर और ग्राहक दोनों को दिक्कत

दरअसल इन प्रोजेक्ट के रुकने या देरी होने से बिल्डर और ग्राहक दोनों को दिक्कत होती है। बिल्डर को जहां पैसे मिलने में देरी होती है और उसकी लागत बढ़ जाती है, वहीं ग्राहक को महंगे भाव पर घर मिलता है। यहां तक कि अगर ग्राहक ने घर खरीद लिया है और फिर उसे घर नहीं मिला तो भी किस्त भरनी होती है। इसलिए उसे दूसरी जगह रह कर दूसरे घर के लिए किस्त चुकानी होती है।

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