3 साल में 85% घटा कंपनी का वैल्यूएशन: 1.8 लाख करोड़ के कर्ज में डूबी वोडाफोन-आइडिया को बचाने की आखिरी कोशिश, बिड़ला अपनी हिस्सेदारी सरकार को देने को भी तैयार
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- Last Attempt To Save Vodafone Idea, Which Is In Debt Of 1.8 Lakh Crore, Birla Is Also Ready To Give His Stake To The Government
नई दिल्लीएक घंटा पहले
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भारी कर्ज में डूबी वोडाफोन आइडिया लिमिटेड को लेकर आदित्य बिड़ला ग्रुप के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला ने हाथ खड़े कर दिए हैं। वे कंपनी में अपनी प्रमोटर हिस्सेदारी छोड़ने को तैयार हैं। उन्होंने सरकार से कहा है कि कंपनी का अस्तित्व बचाने के लिए वो किसी भी सरकारी या घरेलू फाइनेंशियल कंपनी को अपनी हिस्सेदारी देने को राजी हैं। कैबिनेट सचिव राजीव गौबा को लिखे पत्र में उन्होंने कहा है कि वे कंपनी पर अपना नियंत्रण छोड़ने को भी तैयार हैं।
कंपनियों ने ताजा निवेश न करने का लिया फैसला
वोडाफोन इंडिया के प्रमोटर और चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला हैं। कंपनी में उनकी 27% (6401 करोड़ रुपए) और ब्रिटेन की कंपनी वोडाफोन PLC की 44% हिस्सेदारी है। कंपनी का मौजूदा मार्केट कैप 23,706.70 करोड़ रुपए है। कंपनी की खस्ता हालत देख दोनों प्रमोटर्स ने कंपनी में ताजा निवेश नहीं करने का फैसला किया है। वोडाफोन पहले ही कंपनी में अपने पूरे निवेश को बट्टे खाते में डाल चुकी है। वोडाफोन इंडिया पर करीब 1.8 लाख करोड़ रुपए का कर्ज है।
सरकारी मदद के बिना निवेशक कंपनी को पैसा देने के लिए तैयार नहीं
कंपनी के बोर्ड ने सितंबर-2020 में 25 हजार करोड़ रुपए की पूंजी जुटाने की मंजूरी दी थी, पर सरकारी मदद के बिना निवेशक कंपनी को पैसा देने के लिए तैयार नहीं हैं। दरअसल ये स्थिति लाइसेंस फीस और स्पेक्ट्रम यूसेज चार्ज को परिभाषित करने के विवाद से बनी है।
ऑपरेटर चाहते थे कि सिर्फ टेलीकॉम संबंधी जरूरी सेवाओं से होने वाली कमाई को ही साझा किया जाए। जबकि, सरकार किराए, डिविडेंड, ब्याज और अचल संपत्ति से बेचने पर कमाई जैसी सभी चीजों में हिस्सा चाहती है। 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की मांग को जायज ठहराया।
सुप्रीम कोर्ट ने AGR की दोबारा गणना को लेकर याचिका खारिज की
वोडाफोन-आइडिया ने भारती एयरटेल के साथ मिलकर सुप्रीम कोर्ट में एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) की दोबारा गणना को लेकर याचिका दाखिल की थी। कोर्ट ने पिछले हफ्ते इसे खारिज कर दिया था। वोडाफोन PLC और आइडिया का विलय अगस्त 2018 में पूरा हुआ था। उस वक्त कंपनी का मूल्यांकन 1.55 लाख करोड़ रुपए आंका गया था, जो अब 85% घट चुका है।
कंपनी पर 58,254 करोड़ रुपए का AGR बकाया
कंपनी पर 58,254 करोड़ रुपए AGR बकाया है। इसमें से कंपनी ने 7,854 करोड़ चुका दिए हैं। वहीं 50,400 करोड़ रु. बकाया है। रिलायंस जियो इन्फोकॉम की कम डेटा दरों के कारण भी कंपनी को बाजार में टिके रहने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। तीन साल में कंपनी 40 करोड़ ग्राहकों में से एक तिहाई को खो चुकी है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक बाजार में हिस्सेदारी पर दबदबा रखने के लिए जियो जब तक डेटा के दाम कम रखेगी, तब तक बाकी कंपनियों के लिए अर्थतंत्र में सुधार की बहुत उम्मीद नहीं है।
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