3-फैक्टर्स में जानें क्यों विकेट नहीं ले सके भारतीय गेंदबाज: कमजोर रणनीति, अटैकिंग अप्रोच नहीं; वेदर कंडीशन का लाभ भी नहीं उठाया
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लंदन2 मिनट पहले
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वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) के फाइनल में ऑस्ट्रेलिया ने मजबूत शुरुआत की है। टीम ने पहले ही दिन 327 रन बना डाले और उनके 7 विकेट बाकी हैं। ट्रेविस हेड और स्टीव स्मिथ की जोड़ी 251 रन की पार्टनरशिप कर नाबाद है। जो भारतीय फैंस के माथे पर चिंता की लकीरें खींच रही है, क्योंकि इसी दोनों प्लेयर्स ने बुधवार को भारतीय गेंदबाजों की जमकर खबर ली और अब दूसरे दिन भी बैटिंग जारी रखेंगे।
हेड 146 और स्मिथ 95 पर दूसरे दिन बैटिंग शुरू करेंगे। डेविड वार्नर ने 43 और मार्नस लाबुशेन ने 26 रन बनाए, जबकि उस्मान ख्वाजा जीरो पर आउट हुए। टीम इंडिया से मोहम्मद सिराज, मोहम्मद शमी और शार्दूल ठाकुर ने एक-एक विकेट लिया।
3 फैक्टर्स में जानें भारतीय गेंदबाज ग्रीन पिच पर भी ऑस्ट्रेलिया के विकेट क्यों नहीं ले सके…
1. प्लेइंग-11 का चुनाव
रोहित शर्मा फाइनल मुकाबले में चार तेज गेंदबाज और एक स्पिनर्स के बॉलिंग कॉम्बिनेशन के साथ उतरे। टीम में स्पेशलिस्ट स्पिनर रविचंद्रन अश्विन की जगह रवींद्र जडेजा को अहमियत दी गई। अश्विन को मौका दिया जा सकता था, क्योंकि ऑस्ट्रेलियाई टीम में 5 लेफ्टी बैटर्स हैं। ऐसे में जडेजा की लेफ्ट आर्म स्पिन प्रभावी नहीं रही, वहीं अश्विन का रिकॉर्ड लेफ्टी बैटर्स के खिलाफ काफी अच्छा है।
अश्विन ने 241 बार लेफ्टी बैटर्स को आउट किया है, जबकि 233 बार उन्होंने राइट हैंड बैटर्स के विकेट भी लिए हैं। दूसरी ओर जडेजा ने राइटी बैटर्स को 174 और लेफ्टी बैटर्स को 90 बार आउट किया है। दिग्गज सुनील गावसकर ने भी प्लेइंग-11 जारी होने के बाद कहा कि 5 लेफ्ट हैंड बैटर्स के सामने अश्विन को मौका दिया जाना चाहिए था। लेकिन जडेजा को उनकी बैटिंग के कारण प्राथमिकता मिल गई।
लेफ्ट हैंड बैटर ट्रेविस हेड और स्टीव स्मिथ की साझेदारी के दौरान भारतीय कप्तान रोहित शर्मा गेंदबाजी में विकल्पहीन दिखे। ऐसा लग रहा था कि पहले ही दिन टीम इंडिया को अश्विन की कमी खलने लगी और उनके पास 4 तेज गेंदबाजों के बावजूद टीम के पास बॉलिंग ऑप्शन नहीं हैं।
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2. वेदर एंड पिच कंडीशन
टॉस के बाद शुरुआती कुछ ओवर्स में भारतीय गेंदबाजों को अच्छी स्विंग मिल रही थी, क्योंकि तब लंदन के आसमान में बादल थे। ऐसे में पिच में नमी थी, जो स्विंग में मदद कर रही थी। टीम इंडिया ने इसका फायदा उठाया और 3 विकेट निकाले।
दोपहर होते-होते मैदान पर धूप खिल गई और नमी कम होती गई। ऐसे में मौसम के साथ पिच का मिजाज भी बदल गया। दूसरे सेशन से पिच में बॉल कम स्विंग हो रही थी। शुरुआती 25 ओवर में 3 विकेट निकालने के बाद हमारे बॉलर्स 60 ओवर तक एक भी विकेट नहीं ले सके।
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3. कमजोर रही रणनीति
भारतीय कप्तान और बॉलर्स की रणनीति भी कमजोर रही। तेज गेंदबाजों ने शुरुआत में गुड लेंथ पर बॉलिंग की और विकेट निकाले। लेकिन लाबुशेन के विकेट के बाद हमारे बॉलर ट्रेविस हेड पर दवाब नहीं बना सके।
हेड शॉर्ट बॉल पर जल्दी आउट हो जाते हैं, लेकिन बॉलर्स ने उन्हें शुरुआत में शॉर्ट पिच गेंदें कम फेंकी। उन्हें फुलर और गुड लेंथ गेंदें फेंकी, जिस पर उन्होंने अटैकिंग शॉट्स खेले और तेजी से 90 रन के स्कोर तक पहुंच गए। बॉलर्स ने जब हेड पर बाउंसर अटैक किया, तब तक वे सेट हो चुके थे। अगर हेड पर शुरुआती ओवरों में बाउंसर फेंके जाते तो विकेट के मौके ज्यादा बनते।
यहां कप्तान रोहित स्मिथ और हेड की रणनीति को भांप नहीं पाए। टॉप-3 विकेट गिरने के बाद स्मिथ एक ओर से संभलकर बल्लेबाजी कर रहे थे, वहीं हेड ने तेजी से रन बनाए।
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अब 2 पॉइंट्स में देखिए भारत की वापसी के रास्ते…
1. पहले सेशन में निकालने होंगे विकेट
भारतीय टीम को मुकाबले में बने रहना है तो दूसरे दिन पहले ही सेशन से विकेट निकालने होंगे। सिराज और शमी से दूसरे दिन भी अटैक करवाना होगा, क्योंकि दोनों ने पहले दिन 39 ओवर गेंदबाजी की और 144 रन देकर 2 विकेट लिए। उनके अलावा रवींद्र जडेजा, शार्दूल ठाकुर और उमेश यादव मिलकर 46 ओवर में 177 रन देकर भी एक ही विकेट ले सके।
ऐसे में जरूरी है कि टीम के दोनों प्रमुख गेंदबाज शमी और सिराज ही ऑस्ट्रेलियन बैटर्स पर दबाव बनाकर विकेट निकाले। अगर टीम इंडिया पहले सेशन में दबाव नहीं बना सकी तो आखिरी 2 सेशन में फिर से कंगारुओ के लिए बैटिंग करना आसान हो जाएगा। ऐसे में ऑस्ट्रेलियन टीम 450 रन का आंकड़ा पार कर टीम इंडिया को दबाव में डाल देगी।
2. टॉप ऑर्डर का चलना जरूरी
ऑस्ट्रेलिया को आउट करने के बाद भारत की वापसी के लिए टीम के टॉप ऑर्डर का बड़ा स्कोर करना जरूरी हो। इतना ही नहीं, हमारे बैटर्स को तय करना होगा कि टीम को शुरुआती झटके न लगे।
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